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घाटा-घाटा चिल्ला रहा अमेरिका लेकिन सच्चाई तो कुछ और, भारत के साथ व्यापार में किसे हो रहा सच में फायदा?

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GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका भारत से हर साल 80-85 अरब डॉलर कमाता है, जबकि व्यापार घाटा 44.4 अरब डॉलर है. शिक्षा, डिजिटल सेवाएं, बैंकिंग और रॉयल्टी से अमेरिका को असली फायदा होता है.

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नई दिल्ली. अमेरिका बार-बार भारत के साथ 44.4 अरब डॉलर के व्यापार घाटे की बात कर भारत पर शुल्क कम करने और बाज़ार खोलने का दबाव बनाता है, लेकिन सच्चाई इससे कहीं अलग है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की नई रिपोर्ट बताती है कि जब अमेरिका की शिक्षा, डिजिटल सेवाएं, वित्तीय गतिविधियां, रॉयल्टी और हथियार बिक्री से होने वाली कमाई को जोड़ा जाए, तो वह भारत से हर साल 80–85 अरब डॉलर कमाता है. यानी कि असल में अमेरिका को भारत से 35–40 अरब डॉलर का फायदा होता है.

घाटा-घाटा चिल्ला तो रहा अमेरिका, पर भारत के साथ व्यापार की सच्चाई कुछ और

ईटी की खबर में जीटीआरआई के हवाले से कहा गया है कि 2024–25 में भारत और अमेरिका के बीच कुल व्यापार 186 अरब डॉलर रहा. इसमें भारत ने अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर का सामान और 28.7 अरब डॉलर की सेवाएं एक्सपोर्ट कीं, जबकि अमेरिका से 45.3 अरब डॉलर का सामान और 25.5 अरब डॉलर की सेवाएं आयात कीं. यानी कुल मिलाकर भारत का व्यापार सरप्लस 44.4 अरब डॉलर रहा. लेकिन GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, ये आंकड़े अधूरे हैं क्योंकि अमेरिका की असली कमाई गुड्स या सर्विस ट्रेड में नहीं, बल्कि अन्य बड़े स्रोतों में है, जो अक्सर ट्रेड डाटा में दिखते नहीं.

ये भी पढ़ें- ट्रंप भारत पर मढ़ रहे थे दोष, अब अमेर‍िकावाले भुगतने जा रहे सजा

कहां से आती है अमेरिका की असली कमाई?

अमेरिकी शिक्षा क्षेत्र
हर साल भारत से लाखों छात्र अमेरिका पढ़ने जाते हैं और 25 अरब डॉलर खर्च करते हैं. इनमें से करीब 15 अरब डॉलर ट्यूशन फीस और बाकी रहने-खाने व जीवन यापन पर खर्च होता है. US की शीर्ष यूनिवर्सिटीज़ जैसे USC, NYU, Northeastern और Purdue इससे करोड़ों डॉलर कमाती हैं.

डिजिटल सेवाएं
Google, Amazon, Meta, Apple और Microsoft जैसी अमेरिकी कंपनियां भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल बाजार से हर साल 15-20 अरब डॉलर कमाती हैं. डिजिटल विज्ञापन, क्लाउड सर्विस, ऐप स्टोर, सब्सक्रिप्शन और सॉफ्टवेयर बिक्री—ये सभी कमाई सीधी अमेरिका जाती है.

बैंकिंग और कंसल्टिंग सेवाएं
अमेरिकी बैंक और कंसल्टिंग फर्में भारत में वित्तीय सेवाओं के जरिए 10–15 अरब डॉलर सालाना कमाती हैं.

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC)
Bengaluru और Hyderabad जैसे शहरों में मौजूद GCCs, जिनमें भारतीय काम करते हैं लेकिन आर्थिक लाभ अमेरिका में दर्ज होता है, ये अकेले 15–20 अरब डॉलर की सालाना कमाई करते हैं.

पेटेंट और रॉयल्टी
अमेरिकी दवा कंपनियां, ऑटो सेक्टर और हॉलीवुड—इन सभी के जरिए अमेरिका भारत से 5-6 अरब डॉलर रॉयल्टी और लाइसेंसिंग से कमाता है.

रक्षा सौदे
अमेरिका ने भारत को कई अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं, जिनकी रकम सार्वजनिक नहीं होती लेकिन अनुमान है कि ये कमाई भी बड़ी है.

क्यों भारत को अब आत्मविश्वास से FTA करना चाहिए

GTRI का कहना है कि अमेरिका जब भारत पर व्यापार घाटा कम करने के लिए एकतरफा रियायतें देने का दबाव बनाता है, तो भारत को यह बताने की जरूरत है कि वास्तविक तस्वीर अलग है. भारत सिर्फ आयात करने वाला देश नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए एक बड़ा और स्थायी मुनाफे का स्रोत है. अजय श्रीवास्तव कहते हैं, “भारत को अब FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) की बातचीत में दबाव में आने की जरूरत नहीं, बल्कि पूरी मजबूती से अपनी बात रखनी चाहिए. असली आंकड़े दिखाते हैं कि व्यापार घाटे का तर्क खोखला है.”

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार संबंध कहीं ज्यादा जटिल और गहरे हैं जितना कि सिर्फ आयात-निर्यात आंकड़े दर्शाते हैं. जब शिक्षा, टेक्नोलॉजी, बैंकिंग और रॉयल्टी जैसी कमाई को जोड़ा जाए, तो भारत नहीं, बल्कि अमेरिका को भारत से फायदा हो रहा है. ऐसे में भारत को हर व्यापार वार्ता में संतुलन, पारदर्शिता और पारस्परिक लाभ की शर्त पर ही आगे बढ़ना चाहिए.

About the Author

जय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा देश व दुनिया की अर्थव्यव्स्था संबंधी जटिल खबरों को आसान भाषा में पाठक तक पहुंचना पसंद है. पॉलिटिक्स व नेशनल खबरों का भी अनुभव है.
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