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Tommy Hilfiger: वो ट्रिक, जिसने पलक झपकते बना दिया ब्रांड, पहले नाम तक नहीं जानते थे लोग

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टॉमी हिलफिगर ने अपने दोस्त जॉर्ज लोइस के साथ मिलकर एक ऐसा विज्ञापन बनाया, जिसने लोगों के दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी. इससे पहले कि ब्रांड के कपड़े बाजार में आते, लोगों के जेहन में ब्रांड का नाम छप चुका था. 8500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा के इस ब्रांड की कहानी दिलचस्प है.

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आपके पास भी कोई ऐसी जींस, टी-शर्ट या दूसरे कपड़े जरूर होंगे, जिन पर टॉमी हिलफिगर (Tommy Hilfiger) छपा होगा. टॉमी हिलफिगर आज एक बहुत बड़ा ब्रांड है. दुनिया के तमाम देशों में इसके कपड़े बिकते हैं. लेकिन आप यह जानकर जरूर हैरान होंगे कि टॉमी हिलफिगर कैसे रातों-रात ब्रांड बना. एक भ्रम पैदा किया गया, जिसने लोगों के दिलो-दिमाग में ब्रांड का नाम डाल दिया. हद तो ये है कि जब लोगों को इस ब्रांड के बारे में पता चला, तब तक कंपनी ने कपड़े बनाने शुरू भी नहीं किए थे. पहले ब्रांड बना और बाद में कपड़े. फैशन इंडस्ट्री में इस तरह का यह अनोखा उदाहरण है. टॉमी हिलफिगर की कहानी सिर्फ फैशन की नहीं, बल्कि एक ऐसी चतुर रणनीति की है, जिसने एक अनजान नाम को रातों-रात मशहूर कर दिया.

Tommy Hilfiger एक ट्रिक ने पलक झपकते बना दिया ब्रांड, पहले कोई जानता न था

टॉमी हिलफिगर नाम का एक व्यक्ति था. उसका जन्म 1951 में न्यूयॉर्क के एक छोटे से शहर एलमायरा में हुआ था. एक मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े टॉमी को बचपन से ही फैशन और स्टाइल का शौक था. स्कूल के दिनों में वह अपने दोस्तों के लिए जींस खरीदकर उन्हें कस्टमाइज करते और बेचते थे. 1970 के दशक में उन्होंने अपनी पहली दुकान ‘पीपल्स प्लेस’ खोली, जो हिप्पी और रॉक-एन-रोल कल्चर से प्रेरित थी. लेकिन यह दुकान ज्यादा दिन नहीं चली और दिवालिया हो गई. यह असफलता टॉमी के लिए एक सबक की तरह थी, जिसने उन्हें और मजबूत बनाया.

एक बिलबोर्ड ने बदल दी पूरी इंडस्ट्री

फैशन उनकी रग-रग में था. 1980 के दशक में टॉमी ने फैशन की दुनिया में फिर से कदम रखा, लेकिन इस बार उनके पास सिर्फ डिजाइन नहीं, बल्कि एक बड़ा सपना था. 1985 में जब उन्होंने अपनी कंपनी शुरू की तब उनके पास ज्यादा पूंजी नहीं थी. उनके पास केवल अपना दिमाग था और एक पार्टनर था- जॉर्ज लोइस (George Lois). जॉर्ज लोइस मार्केटिंग का जादूगर था. दोनों ने मिलकर एक ऐसी रणनीति बनाई, जिसने फैशन की दुनिया को हिला दिया. न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में एक विशाल बिलबोर्ड लगाया गया. इस बिलबोर्ड पर एक सिंपल सा मैसेज था. बिलबोर्ड पर चार नाम लिखे थे. चार में तीन नाम ऐसे थे, जो उस समय के मशहूर फैशन डिजाइनर थे. लेकिन चौथा नाम ऐसा था, जिसे कोई नहीं जानता था. तीन नामों में राल्फ लॉरेन, पेरी एलिस और केल्विन क्लेन थे. चौथा नाम था- टॉमी हिलफिगर. न्यूयॉर्क में कोई नहीं जानता था कि टॉमी हिलफिगर कौन हैं. लेकिन यही तो रणनीति थी.

Image – rshotton@twitter

इस बिलबोर्ड के देखने वाले लोगों के दिमाग में एक स्वाभाविक सवाल पैदा हुआ कि “यह टॉमी हिलफिगर कौन है, जो इन बड़े नामों के साथ बिलबोर्ड पर है?” यह एक रहस्य था, जिसने मशहूर डिजाइनरों के साथ टॉमी हिलफिगर का नाम भी जोड़ दिया. लोग उत्सुक हो गए. इसके कुछ दिनों बाद जब टॉमी हिलफिगर की पहली कलेक्शन लॉन्च हुई, तो लोग पहले से ही मान चुके थे कि वे इस बड़े नाम को जानते हैं. उनके डिजाइन क्लासिक अमेरिकन स्टाइल के थे जो युवाओं को बेहद पसंद आए. जल्द ही, टॉमी हिलफिगर के कपड़े डिपार्टमेंट स्टोर्स, मैगजीन्स, टीवी और म्यूजिक वीडियोज में छा गए. वह सिर्फ कपड़े नहीं बेच रहे थे, बल्कि वह अपनी पहचान बेच रहे थे, जो उस बिलबोर्ड ने दिलाई थी.

1992 में शेयर बाजार में आई कंपनी

हिप-हॉप कल्चर के साथ टॉमी का जुड़ाव भी उनकी सफलता का एक दूसरा पहलू था. 1990 के दशक में, जब हिप-हॉप कलाकारों जैसे स्नूप डॉग और कूलियो ने उनके ओवरसाइज कपड़े पहनने शुरू किए, तो टॉमी का ब्रांड यूथ कल्चर का प्रतीक बन गया. टॉमी ने इस मौके को भुनाया और अपने डिजाइनों को और अधिक स्ट्रीट-फ्रेंडली बनाया. यह एक ऐसा कदम था, जिसने उनके ब्रांड को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई. 1992 में उनकी कंपनी पब्लिक हुई, और कुछ ही सालों में टॉमी हिलफिगर एक अरब डॉलर (लगभग 8500 करोड़ रुपये) का ब्रांड बन गया.

आज टॉमी हिलफिगर एक ग्लोबल नाम है, जिसके स्टोर्स 100 से ज्यादा देशों में हैं. लेकिन उनकी कहानी सिर्फ फैशन की नहीं, बल्कि यह सिखाने की है कि सही समय पर सही दांव कैसे खेला जाता है. टॉमी ने कभी अप्रूवल का इंतजार नहीं कि कि लोग कहेंगे तो वे बड़े बनेंगे. अपनी मुहर वे खुद बन गए. वह बिलबोर्ड सिर्फ एक विज्ञापन नहीं था, बल्कि एक बड़ा स्टेटमेंट था कि सपने और समझदारी मिलकर कोई भी मंजिल पा सकते हैं.

About the Author

मलखान सिंह पिछले 16 वर्षों से ख़बरों और कॉन्टेंट की दुनिया में सक्रिय हैं. प्रिंट मीडिया से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई नामी संस्थानों का नाम प्रोफाइल में जुड़ा है. ढाई साल से News18Hindi के साथ काम कर रहे हैं. फिलहाल डिप्टी एटिडर के पद पर हैं और मनी (बिज़नेस, ऑटो, टेक्नोलॉजी) सेक्शन देख रहे हैं. बिज़नेस में खासकर शेयर बाजार की ख़बरों पर अच्छी पकड़ है. पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी जटिलताओं को आसान करके समझाना अच्छा लगता है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के बारे में जानना और बताना रुचियों में शुमार है. शुरुआत समाचार-पत्र पंजाब केसरी से की और फिर वाया दैनिक भास्कर, दैनिक हिन्दुस्तान होते हुए भारत के पहले हिन्दी इंटीग्रेटेड सर्च इंजन 'रफ्तार' पहुंचे. अगला पड़ाव आजतक था, जहां बतौर चीफ सब एडिटर सेवाएं दीं. जमाना कंप्यूटर से मोबाइल पर शिफ्ट हो रहा था और इंटरनेट स्पीड पकड़ रहा था तो मलखान ने मोबाइल इंडस्ट्री में समाचार देने वाली ऐप्स का रुख किया. इस दौरान BSB, यूसी ब्राउज़र और फिर Helo के साथ कुल 7 साल बिताये. अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में ग्रेजुएट होने के बाद जनसंचार (मास कम्युनिकेशन्स) में मास्टर्स डिग्री ली.
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