Dhamtari News: छत्तीसगढ़ में एक गांव ऐसा भी, यहां कोई नहीं बनना चाहता सरपंच, हैरान करने वाली है कहानी!
Dhamtari News: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले से चौंकाने वाली खबर है. यहां की भटगांव पंचायत में सरपंच पद पर बैठने वालों पर या तो जान का खतरा पैदा हो जाता है या तो फिर वे कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते. बीते 12 साल में यहां 5 सरपंच बदल चुके हैं. इनमें से 4 की अचानक मौत हो गई.
छत्तीसगढ़ में एक गांव ऐसा भी, यहां कोई नहीं बनना चाहता सरपंच, हैरान करने वाली है कहानी!धमतरी. छत्तीसगढ़ का धमतरी जिला. यहां जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर भटगांव हैं. यहां भी बाकी गांवों की तरह पंचायत बॉडी है. हर पांच साल में चुनाव होते हैं. लोग अपना पंच और सरपंच चुनते हैं. ये पंचायत सरकार की योजनाओं को लागू करती है. ज्यादातर किसान इसी गांव में रहते हैं. लेकिन, यहां एक असामान्य बात है. यह बात डराने और चिंता में डालने वाली है. दरअसल, भटगांव में जो सरपंच बनता है वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता. या तो उसकी जान चली जाती है या पद छोड़ना पड़ता है. पिछले डेढ़ दशक का रिकॉर्ड देखें तो हर बार ऐसी ही घटना नजर आती है.

भटगांव के पूर्व सरपंच मोहित देवांगन बताते हैं कि पिछले पंचायत चुनाव साल 2020-25 के लिए जनता ने अजमेर सिंह को सरपंच चुना था. लेकिन, सिर्फ 2 साल बाद उनकी बीमारी से मौत हो गई. उसके बाद उप चुनाव हुए. इसमें जनता ने बोधन ध्रुव को सरपंच चुना, लेकिन, उनकी भी एक महीने पहले मौत हो गई. जबकि, अभी चुनावों में कुछ महीने बाकी हैं. बताया जा रहा है कि ध्रुव की मौत अचानक बीमार पड़ने की वजह से हुई. इसी तरह 2010 -15 के चुनाव में झनक राम देवदास सरपंच बने. लेकिन, उनकी भी सिर्फ 30 साल की उम्र में अचानक बीमारी से मौत हो गई. फिर, उनकी जगह उसी कार्यकाल के लिए गिरवर देवदास को सरपंच बनाया गया. वे भी कार्यकाल खत्म होने से पहले बुरी तरह बीमार हो गए. कार्यकाल खत्म होने के कुछ दिन बाद उनका भी निधन हो गया.
गांववालों के चेहरों पर चिंता की लकीरें
भटगांव के पंच मोहन साहू ने बताया कि उससे पहले चेतराम सरपंच बने थे. लेकिन, वे भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस गए. इस लेकर उठे विवाद के बाद धारा 40 के तहत उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था. एक के बाद एक समान तरीके से भटगांव के पदासीन सरपंच के साथ घटी ये घटनाएं हैरानी और चिंता पैदा करती हैं. इसलिए यहां के लोग अब आशंकाओं से घिरे हैं. हालांकि, गांववाले इस पर खुलकर कुछ नहीं कहते. इतना जरूर है कि अब आगामी पंचायत चुनाव में सरपंच पद के लिए दावेदारी करने में गांववाले हिचक जरूर रहे हैं.