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पिछले तीन गठबंधनों से इसलिए अलग है अखिलेश-मायावती का गठबंधन

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ये गठबंधन नेताओं के कहने से नहीं जनता और वोटरों के चाहने से हुआ है. ये गठबंधन ऊपर से नीचे नहीं नीचे से ऊपर आया है. 2018 के उपचुनाव इसका बड़ा उदाहरण हैं.

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अखिलेश यादव और मायावती का ये गठबंधन कई मायनों में खास बताया जा रहा है. बसपा संग हुए पिछले तीन गठबंधन से ये एकदम अलग कहा जा रहा है. न्यूज18 यूपी के एक्जिक्यूटिव एडिटर अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है कि ये गठबंधन नेताओं के कहने से नहीं जनता और वोटरों के चाहने से हुआ है. ये गठबंधन ऊपर से नीचे नहीं नीचे से ऊपर आया है. 2018 के उपचुनाव इसका बड़ा उदाहरण हैं.

पिछले तीन गठबंधनों से इसलिए अलग है अखिलेश-मायावती का गठबंधन


एक्जिक्यूटिव एडिटर अमिताभ अग्निहोत्री ने चर्चा के दौरान कहा कि प्रेसवार्ता के दौरान अखिलेश और मायावती ने विरोधियों के कहने के लिए अब कुछ छोड़ा नहीं है. गेस्ट हाउस कांड पर उन्होंने साफ कर दिया कि देश और जनहित में गेस्ट हाउस कांड पीछे है. सीबीआई मामले में भी उन्होंने अखिलेश को समर्थन दिया.


छोटे-बड़े का अदब करते हुए अखिलेश यादव ने विरोधी ही नहीं अपने कार्यकर्ता और नेताओं के लिए भी साफ किया कि मायावती का अपमान मेरा अपमान है. दोनों पार्टी के कार्यकर्ता और नेता क्या चुनाव क्षेत्र में साथ काम कर पाएंगे या वोटर एक-दूसरे को वोट देंगे. इस बारे में अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है कि 2018 के चार उपचुनाव गोरखपुर, फूलपुर, नूरपुर और कैराना पहले ही इसका जवाब दे चुके हैं.


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दोनों ही पार्टी के वोटरों ने और कार्यकर्ताओं ने चार उपचुनाव से संदेश दिया था कि साथ आने में उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. बल्कि दोनों के वोटर और कार्यकर्ता-नेता चाहते थे कि ये गठबंधन हो. जबकि मुलायम सिंह और कांशीराम, बसपा-कांग्रेस और बसपा-भाजपा का जो गठबंधन पहले हुआ था वो नेताओं के कहने से हुआ था. उसमे कार्यकर्ता या वोटर की कोई मर्जी नहीं थी.


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