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फरीदाबाद: एक साल में 4 बार प्रेग्नेंट हो गईं महिलाएं! CBI कर रही जांच

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ईएसआई कारपोरेशन (Esi Corporation) के अधिकारियों ने दिल्ली (Delhi) से सटे फरीदाबाद में किया चमत्कार! एक ही महिला कई बार दिया मैटर्निटी लीव (esi maternity leave salary) का फायदा. सरकार को लगाया करोड़ों का चूना, जांच में जुटी सीबीआई (CBI)

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दिल्ली (Delhi)  से सटे फरीदाबाद (Faridabad) में एक अजूबा हुआ है. यहां कुछ महिलाएं एक ही साल में चार-चार बार प्रेग्नेंट (गर्भवती) हो गईं. विज्ञान इसे भले ही नहीं मानेगा लेकिन हुआ ऐसा ही है. यह कारनामा ईएसआई कारपोरेशन (ESI Corporation) के अधिकारियों के सहयोग से हुआ. सूत्र बता रहे हैं कि निजी कंपनियों (Private Companies) में काम करने वाली कुछ महिलाओं ने साल में चार बार तो कुछ ने आठ-दस बार तक मैटर्निटी का लाभ लिया. पूरे सिस्टम को ध्वस्त करके सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया. मामला इतना बड़ा है कि जांच सीबीआई (CBI) को देनी पड़ी. सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच-चंडीगढ़ की टीम ने इसे लेकर ईएसआई की सेक्टर-23 ब्रांच और सेक्टर-16 स्थित रीजनल आफिस के कागजात खंगाले हैं.

एक साल में 4 बार प्रेग्नेंट हो गईं महिलाएं CBI कर रही जांच
निजी कंपनियों में कार्यरत महिलाओं को ईएसआई कारपोरेशन देता है मैटर्निटी लाभ प्रतीकात्मक फोटो


बताया जा रहा है कि ऐसी एक हजार से अधिक महिलाएं हैं जिनके नाम पर एक ही साल में कई-कई बार मैटर्निटी लीव सैलरी (Esi Maternity leave salary) का फायदा दिया गया है. सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि असल में ऐसी कोई महिला थी ही नहीं. लाभार्थी महिलाएं भी सिर्फ कागजों में गढ़ी गईं. कागजों में वो किसी कंपनी में कार्यरत थीं. इसीलिए कागजों में ही उन्हें एक ही साल में कई बार प्रेगनेंट दिखाकर फरीदाबाद में ईएसआई कारपारेशन से मैटर्निटी का लाभ ले लिया गया. इसमें मैनपावर सप्लाई करने वाले ठेकेदारों से लेकर ईएसआई के उच्चाधिकारी तक शामिल बताए जा रहे हैं.


सीबीआई कर रही है मैटर्निटी घोटाले की जांच


मैटर्निटी में कौन देता है वेतन? 


निजी कंपनियों में कार्यरत उन महिलाओं का ईएसआई कारपोरेशन में अंशदान कटता है जो जिनकी सैलरी 21 हजार रुपये प्रतिमाह से अधिक नहीं है. कारपोरेशन ऐसी महिलाओं को डिलीवरी के दौरान छह माह की मैटर्निटी लीव और पूरा वेतन देता है. इसे मैटर्निटी बेनिफिट (Esi Maternity Benefit) कहते हैं. गर्भपात के केस में 42 दिन की लीव दी जाती है. इस लीव का पैसा कारपोरेशन खुद महिला के बैंक खाते में भेजता है. इसी सुविधा का का गलत लाभ उठाया गया. किसी महिला ने कागजों में खुद को साल में चार-चार बार तो किसी ने दस-दस बार प्रेगनेंट दिखाकर ईएसआई कारपोरेशन से पैसा लिया. पूरा सिस्टम इतना सड़ गया था कि कहीं पर ऐसा करने वालों को फर्जी बिल पास करवाने में परेशानी नहीं आई.


इस तरह सामने आया मैटर्निटी घोटाला!


सूत्रों ने बताया कि ईएसआई कारपोरेशन की एक विजिलेंस रिपोर्ट में दो-तीन मामलों में गड़बड़ी दिखी थी. बताया जाता है कि  ऑनलाइन आए अप्लीकेशन के जब मूल कागजातों से मिलान किया गया तो वह अलग-अलग मिले. महिला एक ही होती थी, उसका बैंक अकाउंट एक ही होता था लेकिन वो अलग-अलग नाम से लाभ ले लेती थी. उसके कागजात फर्जी होते थे. कुछ ठेकेदारों ने फर्जी मेडिकल सर्टिफकेट बनवाया. उस पर डॉक्टर की मुहर लगवाई लोकल व रीजनल ऑफिस में मिलकर मैटर्निटी लीव का पैसा निकाल लिया.


स्पेशल ऑडिट टीम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कई लाभार्थियों के बैंक खाते ऐसे पाए गए हैं जिनमें मैटर्निटी लीव के नाम पर एक साल में कई बार पैसा गया था. मामला बड़ा दिखा तब इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई. इस मामले में 10 अधिकारी और कर्मचारी सस्पेंड किए गए हैं.


अधिकारियों पर सख्त एक्शन की मांग


सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट पद्मश्री ब्रह्मदत्त कहते हैं कि ईएसआई कारपोरेशन का पूरा सिस्टम सड़ गया था इसलिए एक-एक महिला को एक ही साल में कई-बई बार मैटर्निटी लाभ मिल गया. अभी तक इस मामले में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. इसमें नीचे से ऊपर तक जितने कर्मचारी-अधिकारी शामिल हैं सभी पर एक्शन होना चाहिए. यदि कोई लाभार्थी महिला है तो उसे भी मुजरिम बनाकर उनसे पूरी रकम वसूल की जानी चाहिए. इस मामले में भ्रष्टाचार की पूरी चेन तोड़नी चाहिए.


मैटर्निटी लाभ लेने के लिए एक ही साल में कई बार प्रेग्नेंट दिखाई गईं महिलाएं!


बात करने से कतरा रहे अधिकारी


इस बारे में हमने ईएसआई कारपोरेशन के अपर आयुक्त डीके मिश्रा से बातचीत करने के लिए उन्हें फोन लगाया. मिश्रा ने मैटर्निटी घोटाले का नाम सुनते ही फोन काट दिया. इसके बाद हमने फोन किया लेकिन उन्होंने बात नहीं की. हालांकि, कारपोरेशन के गैर सरकारी सदस्य बेचू गिरी ने कहा, करोड़ों का घपला हुआ है. जब से जांच सीबीआई को गई है तब से अधिकारियों ने मुंह बंद कर लिया है. गिरी का कहना है कि फैक्ट्रियों में ठेकेदारी पर काम करवाने वालों ने कागजों में ही औरतें गढ़ीं. फर्जी सर्टिफकेट से उन्हें प्रेगनेंट दिखाया और अधिकारियों की मिलीभगत से उनके नाम पर सरकार के खाते से पैसा निकाल लिया.




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