रमजान में बढ़ जाती है इस खास पकवान की डिमांड, इसकी खुशबू से महक उठती हैं गलियां!
Ramadan Special: सहरी के समय रोजदार बकरखानी खाना खूब पसंद करते है. जिस कारण रमजान के महीने में इसकी डिमांड और भी बढ़ जाती है. यूं तो बकरखानी की शुरुआत बांग्लादेश में हुई थी, लेकिन अब इसके दीवाने पूरे भारत में देखने को मिलते है.

हजारीबाग. रमजान का पाक महीना चल रहा है और इस दौरान कई तरह के पकवान बनाए और खाए जाते हैं. रमजान के महीने में सहरी के समय रोजेदार बकरखानी खाना बहुत पसंद करते हैं, जिससे इसकी डिमांड और भी बढ़ जाती है. बकरखानी की शुरुआत बांग्लादेश में हुई थी, लेकिन अब इसके दीवाने पूरे भारत में मिलते हैं.
बकरखानी अब रमजान का हिस्सा बन चुकी है. रमजान के महीने में इसे बड़े पैमाने पर बनाया और बेचा जाता है. पाव रोटी जैसी दिखने वाली बकरखानी पाव रोटी से बिल्कुल अलग होती है. हजारीबाग के जामा मस्जिद रोड भी इसी बकरखानी के लिए जाना जाता है. यहां लगभग आधा दर्जन बेकरी में पूरे रमजान के महीने बकरखानी बनाई जाती है. इसकी सुगंध से पूरी सड़क महक उठती है.
सहरी के समय करते हैं पसंद
इसी गली में गोल्डन बेकरी के संचालक मोहम्मद शमीम इख्तियार बताते हैं कि इस गली में पिछले लगभग 100 सालों से कई प्रकार की बकरखानी, श्रीमाल, पाव, टोस्ट आदि बनते आ रहे हैं. धीरे-धीरे यहां एक दुकान से कई दुकानें हो गईं. रमजान के महीने में बकरखानी और श्रीमाल की डिमांड अधिक रहती है, जिससे दुकानदार भी इसे बनाने में व्यस्त रहते हैं. सहरी के समय लोग बकरखानी और श्रीमाल खाना अधिक पसंद करते हैं.
उन्होंने आगे बताया कि अभी दुकान में रोजाना 1 क्विंटल मैदे की बकरखानी और 1 क्विंटल मैदे का श्रीमाल बनाया जा रहा है. यहां बनाई गई बकरखानी गिरिडीह, रामगढ़, कोडरमा आदि जिलों में भी सप्लाई की जाती है. बकरखानी की शुरुआत 30 रुपए पीस से होती है और 120 रुपए तक की बकरखानी दुकान में उपलब्ध है. बकरखानी की कीमत उसके साइज और उसमें डाले गए पदार्थों पर निर्भर करती है.
ऐसे होती हैं तैयार
बकरखानी बनाने के लिए सबसे पहले मैदा, ईस्ट, रिफाइन, दूध और पानी की मदद से मैदा गूंथ कर तैयार किया जाता है. फिर लगभग 45 मिनट से 1 घंटे तक ईस्ट को फुलने दिया जाता है. इसके बाद मैदे को छोटे-छोटे आकार में बेलकर उसमें मावा, नारियल और कई प्रकार के ड्राई फ्रूट्स भरे जाते हैं. फिर उसे अच्छे से गार्निश कर 180 डिग्री में भट्टी में लगभग 6 मिनट पकाया जाता है. अंत में उसके ऊपर देशी घी से पॉलिश की जाती है, जिससे इसकी रंगत और स्वाद और भी निखर कर बाहर आता है.