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कनॉट प्लेस में 8 एकड़ की हवेली, कीमत हजारों करोड़, मगर इस्लाम प्रेम में चुना पाकिस्तान, ऐसा हुआ तबाह कि...

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वर्ष 1947 में देश के बंटवारे के साथ करोड़ों की संख्या में लोग विस्थापित हुए. इसमें कुछ बेहद अमीर और जमींदार थे तो कुछ बड़ी-बड़ी रियासतों के नवाब. हम सभी हैदराबाद के नवाब के बारे में जानते हैं लेकिन एक ऐसे भी नवाब थे जो हैदराबाद के नवाब की तरह अमीर और ताकतवर थे. लेकिन वह इस्लाम प्रेम में दिल्ली की अपनी हजारों करोड़ की हवेली छोड़ पाकिस्तान के साथ हो लिए. फिर वह इतिहास में ऐसे लुप्त हुए कि आज नाम लेने वाला भी कोई नहीं है.

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वर्ष 1947 में देश के बंटवारे में अमीर से गरीब हर किसी को बड़ी तबाही झेलनी पड़ी थी. करोड़ों की संख्या में लोग विस्थापित हुए थे. लाखों की हत्या हुई और सैकड़ों जमींदार, नवाब और राजा को अपनी रियासतें और करोड़ों-अरबों की संपत्ति छोड़नी पड़ी थी. इस तबाही में सबसे बड़ा नाम हैदराबाद के नवाब का लिया जाता है. हैदराबाद का नवाब उस वक्त दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक था. लेकिन, अपनी बदनियती की वजह से वह पूरी तरह तबाह हो गया. आज उसके खंदान में उसका नाम लेने वाला कोई नहीं है. लेकिन, इस बंटवारे के वक्त एक और नवाब था जो हैदराबाद के शासक का रिश्तेदार था. वह भी अमीरी में हैदराबाद के नवाब को टक्कर देता था. उसके पास दिल्ली के दिल यानी कनॉट प्लेस के पास आठ एकड़ से अधिक क्षेत्र में बनी शानदार हवेली थी. आज भी यह हवेली बदस्तूर बड़ी है. इसकी खूबसूरती देखने लायक है.

कनॉट प्लेस में 8 एकड़ की हवेली, कीमत हजारों करोड़, मगर इस्लाम प्रेम में...
शत्रु की यह संपत्ति दिल्ली के दिल यानी कनॉट प्लेस के पास है.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के बहावलपुर के नवाब की. ब्रिटिश राज में सैकड़ों रियासतों की तरह यह भी एक बड़ी रियासत थी. इस रियासत का क्षेत्रफल 45,911 वर्ग किमी था. इस रियासत की स्थापना 1748 में नवाब बहावल खान अब्बासी ने की थी. फिर यह ब्रिटिश राज के अधीन आ गया. देश की आजादी के बाद अन्य रियासतों की तरह इसके नवाब के पास भी भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में शामिल होने या फिर आजाद रहने का विकल्प था. इसने फिर यह पाकिस्तान में शामिल में शामिल होने का फैसला किया. दूसरी तरफ 500 से अधिक रियासतें भारत के इलाके में थीं. देश के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में सफलतापूर्वक इन सभी का भारत में विलय कराया गया.

बहावलपुर की कहानी
हैदराबाद की तरह बहावलपुर एक बेहद अमीर रियासत थी. यह मुस्लिम बहुल था लेकिन यहां के कारोबार पर हिंदू और सिख समुदाय के लोगों का प्रभाव था. बंटवारे के बाद यहां से अधिकतर हिंदू और सिख लोगों को विस्थापित होना पड़ा.

इस नवाब की अमीरी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान की स्थापना के वक्त उसका खजाना खाली था. वह एक तरह से भीख का कटोरा लेकर पैदा हुआ था. फिर मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने चाहने वालों से कर्ज लेना शुरू किया. उसने उस वक्त दुनिया के एक सबसे अमीर इंसान हैदराबाद के नवाब से 20 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. फिर बहावलपुर के नवाब से सात करोड़ रुपये का कर्ज लिया. फिर बहावलपुर के नवाब ने ही पाकिस्तान के पूरे कर्मचारियों को पहले महीने की सैलरी दी.

दिल्ली में खूबसूरत हवेली
इस रियासत की दिल्ली में एक बेहद खूबसूरत हवेली थी. ब्रिटिश राज में दिल्ली यात्रा के दौरान बहावलपुर का नवाब इस हवेली में ठहरता था. यह राजधानी दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस से चंद कदमों की दूरी पर सिंकदर रोड पर स्थित है. इसका आज भी नाम बहावलपुर हाउस है. यह हवेली आठ एकड़ से अधिक क्षेत्र में है. आज की तारीख में इस हवेली में भारत सरकार का प्रतिष्ठित संस्था ‘राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय’ स्थापित है.

दिल्ली मेट्रो का मंडी हाउस स्टेशन भी इस हवेली के अहाते में पड़ता है. दिल्ली में जमीन के बाजार भाव को देखें तो इस हवेली की केवल जमीन की कीमत हजारों करोड़ रुपये बैठेगी. हालांकि बाद में बहावलपुर रियासत पर पाकिस्तान की सरकार में पूरी तरह कब्जा कर लिया. फिर उसका पंजाब प्रांत में विलय कर दिया गया. आज पाकिस्तान में इस रियासत का नाम खत्म हो चुका है.

About the Author

न्यूज18 हिंदी में बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्सिटी, भोपाल से स्नातक और गुरु जाम्बेश्वर, हिसार से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. इस दौरान तमाम संस्थानों में न्यूज से जुड़ी अहम जिम्मेदारियां निभाई.
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