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क्या यूक्रेन को 'पश्चिमी टैंक' मिलने से पहले ही खत्म हो जाएगा रूस से युद्ध?

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रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) में यूक्रेन ने अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी से नए टैंक (Western Tanks) की मांग की है. इसके साथ ही रूस (Russia) ने यूक्रेन पर मिसाइलों से हमले तेज कर दिए हैं. कई विशेषज्ञों का मानना है कि रूस यूक्रेन के इस कदम से बौखला गया है जिसके बाद वह निर्णायक कदम उठाकर अपनी सैन्य कार्रवाई को पूरा करने का अंजाम दे सकता है.

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यूक्रेन की मांग पर जैसे ही पश्चिमी देशों ने उसे टैंक की आपूर्ति Tanks supply from western countries) करने का ऐलान किया है, रूस ने उस पर ताबड़तोड़ मिसाइल (Russian Missile attack on Ukraine) के हमले शुरू कर दिए हैं. यह फैसला कई महीनों से पश्चिमी देशों की ओर से चल रही हिचक के बाद लिया गया है जिससे रूस ने यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई (Russian Military operations) तेज कर दी है. रूस पहले ही लगातार चेता रहा था कि यूक्रेन को पश्चिमीदेशों की मदद को वह रूस पर उन देशों के हमले के रूप में देखेगा. कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यूक्रेन में टैंक पहुंचने से पहले ही रूस यूक्रेन के अहम क्षेत्रों पर कब्जा करके अपना सैन्य ऑपरेशन खत्म करता है.

क्या यूक्रेन को 'पश्चिमी टैंक' मिलने से पहले ही खत्म हो जाएगा रूस से युद्ध
पश्चिमी देशों की यूक्रेन को टैंक Western Tanks की आपूर्ति के ऐलान युद्ध को नया मोड़ देने वाले साबित हो सकते हैं. तस्वीर Wikimedia Commons

किसकी ओर से कितने टैंक
अमेरिका ने हाल ही में ऐलान किया है कि वह यूक्रेन को 31 अबराम टैंक देने का ऐलान किया है और जर्मनी ने भी थोड़ी सी हिचक दिखाने के बाद,अमेरिकी दबाव में आकर अपने 14 लेपर्ड टैंक को यूक्रेन भेजने के लिए  हामी भर दी है. इसके अलावा पिछले हफ्ते ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी अपने 14 चैलेंजर टैंक भेजने का ऐलान किया था.

कम हैं टैंक
लेकिन ये कुल मिलाकर केवल 59 टैंक ही हैं जबकि यूक्रेन ने 300 टैंक की मांग की है. लेकिन पश्चिमी देशों की ओर से यह फैसला भी कई महीनों के बाद आया है जब वे सीधे युद्ध में अपनी भागीदारी नहीं दिखाना चाहते थे. जर्मनी ने भी इस मामले में काफी संकोच दिखाया था जिसके बाद अमेरिका को उस पर दबाव डालना पड़ा.

हालत कैसे हैं अलग
बात केवल टैंक भेजने के फैसले भर की नहीं है. अमेरिका इससे पहले अनाधिकृत तौर पर यूक्रेन की इस तरह से मदद कर रहा था. वह कह रहा था कि एम1 अबराम टैंक यूक्रेन भेजना मुश्किल काम होगा भेजा. इतना ही नहीं उसने यह भी कहा था कि उसका रखरखाव महंगा है और उसे चलाना यूक्रेन की सेना के लिए मुश्किल होगा. लेकिन अब अमेरिका का यह रवैया बदल गया है. यहां तक कि उसने जर्मनी पर भी दबाव डाला है.

रूस ने हाल ही में यूक्रेन (Ukraine)पर मिसाइल से तेज हमले किए हैं. Twitter/MattiMaasikas)

रूस भी अलग दिख रहा है
वहीं रूस ने भी इस बार किसी तरह की तीखी बात नहीं की है. केवल फैसलों की आलोचना की है वह भी किसी राजनैतिक और सैन्य नेतृत्व से किसी तरह के खतरे के संकेत वाले बयान आए हैं. रूस इस बार ज्यादा आत्मविश्वास से भरा दिखाई दे रहा है और इससे ऐसा लगता है कि उससे इन टैंक से कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है. लेकिन उसकी कार्यवाहियां कुछ अलग बात बता रही हैं.

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कोई बहुत फायदा नहीं
यूक्रेन पर रूस का हमला कोई हैरानी की बात नहीं लग रही है. पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि ये टैंक कोई युद्ध के हालात बदल देने वाले साबित नहीं होने वाले हैं जहां रूस इस मामले में पहले से ही आगे चल रहा है. उन्हें लगता है कि अब रूस बखमुट सोलेडार, जापोरिझिझिया में अपनी स्थिति टैंक पहुंचने से पहले ही मजबूत कर लेगा.

यूक्रेन के टैंक मिलने से पहले ही रूस (Russia) अपनी कार्रवाई पूरी कर सैन्य ऑपरेशन खत्म कर सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

रूसी पूरी करेगा कार्रवाई
टेलीग्राम ग्रुप के विशेषज्ञ संकेत दे रहे हैं कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन टैंक पहुंचने से पहले ही यूक्रेन के कई इलाकों में पर कब्जा करने का प्रयास करेंगे और खास इलाकों पर कब्जे के बाद रूस की यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई खत्म करने का ऐलान भी कर देंगे.वहीं पश्चिमी टैंक का विध्वंस अमेरिका और जर्मनी को शर्मिंदा कर देगा जिससे वे जवाबी कार्रवाई करने को भी मजबूर हो सकते हैं.

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ऐसे में रूस चाहेगा कि ऐसी नौबत की ना आने पाए कि उसे पश्चिमी टैंक ध्वस्त करने की स्थिति का सामना ही करना पड़े. वहीं जर्मनी को अन्य यूरोपीय नाटो देशों को उसके द्वारा दिए गए लेपर्ड टैंक यूक्रेन को देने को कहा जा सकता है जिसके लिए उस प्रतिबंध को खत्म करना होगा जिसके मुताबिक जर्मनी से खरीदे गए हथियार किसी और को नहीं बेचे जाएंगे. कुल मिलाकर टैंक यूक्रेन पहुंचने में समय लगेगा जिससे पहले रूस कुछ जरूरी काम निपटना चाहेगा.

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