सहरसा के 'कोशी आम' के आगे फीका है मलिहाबादी आम, बाजार में आने को तैयार, खरीदने के टूट पड़ते हैं लोग
सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर के आमों की मिठास और लोकप्रियता बिहार के बाहर भी प्रसिद्ध है. जून से आम तोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी. गुलाब खास आम की मांग सबसे अधिक है.

सहरसा. सहरसा सहित अन्य जिलों के बाजारों में जल्द ही आपको कोशी के आमों की सुगंध मिलेगी. अगले महीने, यानी जून से, सहरसा जिले के बाजारों में सिमरी बख्तियारपुर सहित अन्य इलाकों के आम बागानों से आम तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर में छोटे वृंदावन के नाम से प्रसिद्ध आम के बागान में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. बागान में रहने वाले लोगों ने बताया कि अगले महीने से आम तोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी, जो तीन महीने तक चलेगी. इसके साथ ही, बाजारों में भी इस इलाके के आम उपलब्ध होंगे.
सहरसा के आमों की मिठास
सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर के आमों की चर्चा बिहार के बाहर भी होती है. यहां के आमों की मिठास के लोग दीवाने हैं. यही कारण है कि हर साल लोग इस इलाके के आमों का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं. बागान की देखरेख करने वाले जमशेद आलम ने बताया कि जनवरी से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. यह बागान 51 बीघा में फैला हुआ है, जिसमें कई किस्म के आम उगाए जाते हैं. इनमें मालदा, बम्बई, किसन भोग, आलू जर्दा, फैजली, गुलाब खास, कद्दू आम, भरत भोग, मलिका, आम्रपाली, हिमसागर, बीजू जैसी किस्में शामिल हैं.
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व्यापार और लोकप्रियता
यहां अलग-अलग राज्यों से व्यापारी पहुंचते हैं और इस बागान के आमों को ट्रांसपोर्ट के ज़रिए अपने राज्यों में ले जाते हैं. छोटे वृंदावन के नाम से मशहूर सिमरी बख्तियारपुर का यह बागान अपनी खास किस्म के आमों के लिए जाना जाता है. खास तौर पर गुलाब खास आम की मांग सबसे ज़्यादा है. यह आम न केवल देखने में खूबसूरत है, बल्कि खाने में भी उतना ही स्वादिष्ट और मिठास से भरा होता है. लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं और इसे संदेश के रूप में विदेश भी ले जाते हैं.