MP के मुख्यमंत्रीः श्यामा चरण का सपना सच होता तो ‘वेनिस’ की तरह बसता भोपाल, क्यों टूट गया सपना?
CMs of Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में पंडित श्यामाचरण शुक्ल का नाम 3 बार आता है. अविभाजित मप्र की राजधानी भोपाल की खूबसूरती को बतौर सीएम जिस नेता ने सबसे पहली बार परखा, उनमें 'श्यामा भैया' का नाम प्रमुख है. उन्हें प्रदेश में हरित क्रांति का जनक भी माना जाता है. वे भोपाल को दुनिया के खूबसूरत शहरों की लिस्ट में लाना चाहते थे, इसके लिए सपना भी देखा था, मगर एक मुख्यमंत्री का यह आइडिया अमल में क्यों नहीं आ पाया, पढ़ें यह रिपोर्ट.
भोपाल. पं. श्यामाचरण शुक्ल का नाम मध्य प्रदेश के विजनरी मुख्यमंत्रियों में प्रमुखता के साथ लिया जाता है. वे राज्य में न केवल हरित क्रांति और सिंचाई प्रोजेक्ट्स के जनक माने जाते हैं, बल्कि अर्बन डेवलपमेंट यानी शहरी विकास को लेकर भी उनकी अलग सोच थी. प्रदेश की राजधानी भोपाल को लेकर देखे उनके सपने पर ही गौर करें तो इस शहर की झीलों के उपयोग को लेकर उनका अलग सपना था. वे भोपाल में बाणगंगा इलाके से भदभदा तक और जलमार्ग बनाना चाहते थे. बिल्कुल इटली के वेनिस शहर की तरह. अगर उनका सपना साकार होता तो भोपाल झीलों के दोनों तरफ डेवलप होता.

प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल के पुत्र श्यामाचरण शुक्ल तीन बार एमपी के मुख्यमंत्री रहे. वे अविभाजित मप्र के राजिम विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे. वे 1957, 1962, 1967, 1972, 1990, 1993 और 1998 में इस क्षेत्र से विधायक चुने गए. इस बीच सिर्फ 1977 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. श्यामा भैया के नाम से लोकप्रिय शुक्ला 1998 में महासमुंद सीट से सांसद चुने गए. अपने मुख्यमंत्री काल में भोपाल को लेकर उनका अलग दृष्टिकोण था.
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जल मार्ग के लिए सर्वे भी कराया
मध्य प्रदेश की राजधानी में जलमार्ग बनाने के लिए उन्होंने बाणगंगा यानी रवींद्र भवन के पास से भदभदा तक जल मार्ग बनाने के लिए सर्वे भी करा लिया था. पंडित शुक्ल का मानना था कि पूरा भोपाल इस जलमार्ग के दोनों तरफ बसाया जाए. इस आइडिया पर उन्होंने काम करना भी शुरू कर दिया था, लेकिन इस पर काम करने के लिए उन्हें ज्यादा समय नहीं मिल सका और भोपाल के वेनिस बनने का सपना भी अधूरा ही रह गया.
जल शक्ति को पहचाने वाले नेता
देश और दुनिया में बीते दो दशक से पानी की ताकत पहचानते हुए काम किए जा रहे हैं. केंद्र में जल शक्ति मंत्रालय काम कर रहा है, लेकिन जल शक्ति को श्यामा चरण शुक्ल बहुत पहले ही भांप गए थे. वे शहरों में आर्थिक विकास के लिए भी पानी की उपयोगिता का विचार रखते थे तो ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई से हरित क्रांति लाने पर काम करते थे. ग्रामीण क्षेत्र में विकास के लिए वे सिंचाई सुविधाओं को ही सबसे बड़ा जरिया मानते थे. नहरों के विस्तार के साथ ही वे कई छोटे सिंचाई प्रोजेक्ट भी लेकर आए. प्रदेश के तवा, बरगी, बारना और हलाली बांध जैसे सिंचाई प्रोजेक्ट उनके कार्यकाल में ही मूर्त रूप ले सके. यही वजह है कि आज इन परियोजनाओं के किसान समृद्ध रूप में स्थापित हैं.
पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक वानिकी प्रोजेक्ट
श्यामा चरण शुक्ल ने सिंचाई के अलावा पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काम शुरू किया था. 1975 में लाए सामाजिक वानिकी (सोशल फॉरेस्ट्री) का प्रोजेक्ट भी उनकी परिकल्पना थी. इसके अलावा मेडिकल में प्री एग्जाम का विचार भी उन्हीं का रहा. शुक्ला सबसे पहले मार्च 1969 से जनवरी 1972 तक, इसके बाद दिसंबर 1975 से अप्रैल 1977 तक और फिर दिसंबर 1989 से मार्च 1990 तक तीसरी बार मुख्यमंत्री रहे. काबिले गौर है कि पूर्व मुख्य सचिव एमएन बुच उन्हें एकमात्र विजनरी मुख्यमंत्री मानते थे.