बीड लोकसभा सीट: प्रीतम मुंडे ने हासिल की थी देश की सबसे बड़ी जीत
पिता की सड़क दुर्घटना में हुई मौत के बाद बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे ने चुनाव लड़ा और 9,22,416 वोट पाकर 6,96,321 वोटों से जीत हासिल की. यह देश की अब तक की सबसे बड़े अंतर से हुई जीत थी.
महाराष्ट्र की बीड लोकसभा सीट काफी चर्चित संसदीय क्षेत्रों में से एक है. यह सीट सबसे ज्यादा मतों से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए जानी जाती है. इसी सीट से दिवंगत बीजेपी नेता गाेपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम मुंडे ने सबसे ज्यादा मतों से चुनाव जीता था जो अपने आप में रिकॉर्ड है. जहां तक यहां पार्टियों की जीत के आंकड़े की बात है तो बीजेपी सहित कांग्रेस, सीपीआई, जनता दल सभी को जीत हासिल हुई है.

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने अपनी मौजूदा सांसद प्रीतम मुंडे को ही उम्मीदवार घोषित किया है. जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने बजरंग मनोहर सोनवणे को टिकट दिया है. वंचित बहुजन आघाडी की ओर से विष्णु जाधव चुनाव लड़ेंगे तो वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से सपा ने सैयद मुजम्मिल सैयद जमील को प्रत्याशी घोषित किया है. इनके अलावा बीड सीट से 26 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. लिहाजा कुल 36 उम्मीदवार इस सीट से मैदान में हैं.
बीड लोकसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार प्रीतम मुंडे
ऐसे हुई सबसे बड़ी जीत
2014 में आई मोदी सरकार में गोपीनाथ मुंडे को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया. मंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही 3 जून 2014 को गोपीनाथ मुंडे सुबह दिल्ली में एक कार दुर्घटना के शिकार हो गए और उनकी मौत हो गई. यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका था. तभी बीड लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराए गए और बीजेपी ने गोपीनाथ मुंडे की मझली बेटी प्रीतम मुंडे को चुनाव मैदान में उतारा.
प्रीतम मुंडे ने चुनाव लड़ा और 9,22,416 वोट पाकर 6,96,321 वोटों से जीत हासिल की. यह देश की अब तक की सबसे बड़े अंतर से हुई जीत थी. दूसरे स्थान पर कांग्रेस के अशोक शंकरराव पाटील रहे जिन्हें सिर्फ 2,26,095 वोट मिले. तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार तेजस अंकुश घुमारे रहे जिन्हें 59,986 वोट मिले थे.
दिवंगत बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे
सीट का इतिहास
1952 में बीड लोकसभा सीट का पहला सांसद पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी का था. अगले दो चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली. 1967 में सीपीआई, 1971 में कांग्रेस, 1967 में सीपीआई (एम), 1980 में कांग्रेस (ई), 1984 में कांग्रेस, 1989 में जनता दल, 1991 में कांग्रेस के सांसद बने. इस तरह किसी भी पार्टी के लिए ये सेफ सीट नहीं रही. 1996 में बीजेपी की रजनी पाटील इस सीट से सांसद बनीं और 1998,1999 में जयसिंहराव पाटील बीजेपी के टिकट से लड़कर सांसद बने. 2004 में पाटील ने पाला बदलते हुए एनसीपी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उसके बाद गोपीनाथ मुंडे लगातार दो बार सांसद बने.
सामाजिक ताना-बाना
बीड लोक सभासीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं. गेवराई, माजलगांव, आष्टी, कैज और परली विधानसभा सीटों पर बीजेपी का वर्चस्व है तो बीड में एनसीपी अपनी साख बचाए हुए है.
2004 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जीती सीट
2014 में बीजेपी से ही गोपीनाथ मुंडे दूसरी बार इस सीट से चुनाव लड़े और 6,35,995 वोट पाकर जीत हासिल की. दूसरे स्थान पर एनसीपी के सुरेश रामचंद्र दास रहे जिन्हें 4,99,541 वोट मिले. तीसरे स्थान पर बीएसपी के दिगंबर रामराव राठौर रहे जिन्हें 14,166 वोट मिले थे. वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में मोदी गोपीनाथ मुंडे को 5,53,994 वोट मिले थे जबकि एनसीपी के रमेश बाबूराव कोकाटे को 4,13,042 वोट मिले थे.