ईडी अफसर ही फंस गया, मामला सेटल करने के लिए मांग रहा था पैसे, दर्ज हो गई एफआईआर
ईडी का अधिकारी भ्रष्टाचार में फंसा, विजिलेंस विभाग ने केस दर्ज किया. अनीश बाबू पर 24.73 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप. ईडी की साख पर सवाल, जांच जारी.
- ईडी अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप
- विजिलेंस विभाग ने दर्ज की एफआईआर
- ईडी की साख पर उठे सवाल
ईडी का एक अफसर खुद ही भ्रष्टाचार की जाल में फंस गया. विजिलेंस विभाग की एंटी करप्शन यूनिट ने एक ईडी अधिकारी और कुछ निजी व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है. इन पर मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे एक आरोपी से केस सेटल कराने के नाम पर पैसे मांगने का गंभीर आरोप है.

यह मामला एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा है. जिसमें आरोपी अनीश बाबू पर 24.73 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. अनीश बाबू, उनके पिता बाबू जॉर्ज और मां अनीता बाबू पर आरोप है कि उन्होंने विदेशी काजू सस्ते में आयात कराने के नाम पर कई निवेशकों से मोटी रकम ऐंठ ली. केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच और कोट्टारकारा पुलिस ने इस परिवार के खिलाफ पांच एफआईआर दर्ज की. इनमें विश्वासघात, धोखाधड़ी, साजिश, जालसाजी, जाली दस्तावेज का उपयोग करने जैसे आरोप हैं.
ईडी की जांच की टाइमलाइन
मार्च 2021 में ईडी ने इन सभी मामलों के आधार पर रिपोर्ट दर्ज की. इसके बाद कोच्चि स्थित ईडी के जोनल ऑफिस ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जांच शुरू की. बैंक रिकॉर्ड, शिकायतकर्ताओं के बयान और अन्य स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर अनीश बाबू, बाबू जॉर्ज और अनीता बाबू को धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी माना.
अब सवालों के घेरे में ईडी खुद
इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आया, जब विजिलेंस को शिकायत मिली कि ईडी से जुड़े कुछ लोग और एक अधिकारी ने अनीश बाबू से केस को सेटल करने के बदले पैसे मांगे. इस शिकायत के आधार पर विजिलेंस विभाग ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है. इस मामले की जांच अब विजिलेंस विभाग कर रहा है. यदि आरोप साबित होते हैं, तो यह न केवल आरोपी अधिकारी बल्कि ईडी की साख के लिए बड़ा झटका हो सकता है. साथ ही यह सवाल भी उठेगा कि क्या ऐसी शक्तिशाली जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर कोई प्रभावी निगरानी है?