Liquro Scam Tamil Nadu: ब्रांड में हेरफेर, बोगस खरीद, बार लाइसेंस... कैसे तमिलनाडु में सामने आया बड़ा शराब घोटाला
Liquro Scam in Tamil Nadu: तमिलनाडु की सरकारी शराब एजेंसी TASMAC बड़े भ्रष्टाचार घोटाले में फंसी है, जिसमें शराब आपूर्ति हेरफेर, फर्जी टेंडरिंग और राजनीतिक संबंधों से जुड़े बेनामी कारोबार शामिल हैं.
चेन्नई. तमिलनाडु की सरकारी शराब वितरण एजेंसी TASMAC इस समय एक बड़े भ्रष्टाचार घोटाले के केंद्र में है. इस घोटाले ने राज्यभर में फैले शराब आपूर्ति हेरफेर, फर्जी टेंडरिंग, और राजनीतिक संबंधों से जुड़े बेनामी कारोबार की परतें खोल दी हैं.

ब्रांड हेरफेर और डेटा में धांधली:
TASMAC का ऑरैकल सिस्टम सामान्यतः स्टॉक ट्रांसफर और डिपो डेटा के आधार पर ब्रांड्स की डिमांड जनरेट करता है, लेकिन आरोप है कि डिपो मैनेजर जानबूझकर मांगी गई ब्रांड की कम आपूर्ति कर, कुछ विशेष ब्रांड्स को ज़बरदस्ती बढ़ावा दे रहे हैं. इससे चयनित डिस्टिलरियों को अनुचित लाभ मिला है, जो कि अंदरूनी सांठगांठ और मोटी रिश्वतखोरी की ओर इशारा करता है.
बोगस खरीद और कैश फ्लो:
जांच में सामने आया है कि कुछ डिस्टिलरियां बोतल सप्लाई करने वाली कंपनियों के माध्यम से फर्जी खरीदारी दिखाकर भारी नकद पैसा उत्पन्न कर रही हैं. यह पैसा बिचौलियों के माध्यम से घूस के रूप में आगे पहुँचता है.
राथेश राज शनमुगवेल की भूमिका:
राथेश को TASMAC प्रशासन में अघोषित पावर ब्रोकर बताया गया है. व्हाट्सएप चैट्स में TASMAC के MD के साथ ब्रांड अप्रूवल, बार लाइसेंस हेरफेर और अधिकारियों के तबादले की चर्चा सामने आई है. राथेश को इस काले कारोबार का किंगपिन माना जा रहा है.
बार लाइसेंस घोटाला:
घोटाले की जांच में पाया गया कि बार लाइसेंस फर्जी डिमांड ड्राफ्ट्स (DDs) के जरिए बांटे गए. एक जिले में 50 में से 47 लाइसेंस ऐसे DDs के जरिए दिए गए जो कि बेनामी व्यक्तियों द्वारा बनाए गए थे. Mr. X (सांकेतिक नाम) (42 DDs), Mr. Y (23 DDs), Mr. Z (21 DDs) जैसे नाम सामने आए हैं—जिनकी पहचान या तो नकली है या वे फरार हैं.
आउटलेट्स पर ज़्यादा दाम वसूली:
TASMAC अधिकारियों ने खुद माना है कि दुकानों पर ₹10-₹30 प्रति बोतल अधिक वसूला जा रहा है. इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. संदेह है कि इस नकद का उपयोग भी अवैध गतिविधियों में किया जा रहा है.
ट्रांसपोर्ट टेंडर में भी घोटाला:
एक आवेदक X (सांकेतिक नाम) ने 16 DDs जमा किए, पर केवल एक टेंडर मिला. बाक़ी DDs को TASMAC अधिकारियों ने अवैध रूप से अन्य आवेदकों को दे दिया, जिससे टेंडर प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी हुई.
निष्कर्ष
TASMAC घोटाला सिर्फ आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि राजनीतिक साठगांठ, बेनामी संपत्तियों का निर्माण और आम जनता के विश्वास का खुला उल्लंघन है. इस घोटाले की पूरी जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है, ताकि राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके.