पहले तो डरी मां, फिर बेटे को पैरों से लिखना सिखाया, सहारनपुर के शिवम को देख कांप जाएंगे 'कामचोर'
Saharanpur news in hindi today: एक तरफ जब लोग शारीरिक रूप से सक्षम होते हुए भी तमाम बहाने बनाते रहते हैं ऐसे में शिवम कुमार की कहानी लोगों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है. शिवम के दोनों हाथ नही हैं ऐसे में वह.....

सहारनपुर: आपने कई बार लोगों को ऐसा कहते हुए सुना होगा कि इरादे मजबूत हों तो इंसान कुछ भी कर सकता है. कई लोगों की सक्सेस स्टोरी पढ़ते हुए भी ये लाइन आपने पढ़ी होगी. इसके बाद भी बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अपने जीवन में तमाम बहाने बनाते रहते हैं. हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होते हैं और बहुत कुछ करने के काबिल नहीं होते हैं लेकिन, उनके इरादे कहीं ज्यादा मजबूत होते हैं. कई दिव्यांगों ने अलग-अलग क्षेत्रों में बड़ा नाम किया है और कुछ अपने मजबूत इरादों के साथ संघर्ष करते हुए कुछ बड़ा करने के प्रयास में लगए हुए हैं. आज ऐसे ही एक शख्स की हम आपको कहानी बताने जा रहे हैं.
हम आपको जिस युवक के बारे में बताने जा रहे हैं उसके बचपन से ही दोनों हाथ नही हैं. लोगों ने उनका मजाक भी बनाया लेकिन, हार नही मानी. हम बात कर रहे हैं सहारनपुर के रहने वाले शिवम कुमार की जिनके बचपन से ही दोनों हाथ नही हैं. उन्होंने जब होश संभाला तब से उन्होंने खुद को औरों से अलग पाया. हालांकि, उन्होंने इससे हार नहीं मानी और अपने आंसुओं को थाम कर अपने अंदर एक जुनून पैदा किया और शिक्षा को अपना हथियार बनाया. शिवम के माता-पिता ने भी उनका साथ दिया और उनके हौसलों को कमजोर नहीं होने दिया. उनके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई शुरू कराई.
पैरों से लिखते हैं शिवम
आज शिवम सहारनपुर के जेवी जैन डिग्री कॉलेज से एमए कर रहे हैं. उनका लक्ष्य है कि वह किसी पर बोझ ना बनें इसलिए वह आईएएस की तैयारी कर अच्छा अफसर बनना चाहते हैं. हाथ नहीं होने पर भी शिवम पैरों से लिखाई करता है पैरों से शिवम कुमार को लिखना उसकी मां ने सिखाया. परिजनों को शिवम कुमार से पूरी उम्मीद है कि वह अपने लक्ष्य में जरूर कामयाब होंगे. शिवम अन्य लोगों के साथ ही दिव्यांगों के लिए भी बड़े प्रेरणा स्त्रोत हैं. ऐसे दिव्यांग जिनके शरीर से हाथ, पैर कट जाते हैं और वह भी शिवम से भारी प्रेरणा ले सकते हैं.
अजीब तरीके से देखते थे लोग
शिवम कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि जब वह 5 से 6 साल के हुए और उनको कुछ समझ में आया तो उन्होंने अपने आप को देखा और दूसरे लोगों को देखकर लगा कि वह बिल्कुल दूसरों से अलग हैं. उनके दोनों हाथ नही हैं. शिवम के साथ खेलने वाले बच्चे स्कूलों में पढ़ाई करने चले गए और शिवम घर पर ही रह गया. शिवम को उदास देखकर उनकी माता ने उन्हें घर पर ही पैरों से लिखना सिखाया. इसके बाद शिवम कुमार का स्कूल में दाखिला कराया गया. शिवम ने स्कूल में जाना शुरू किया तो स्कूल में सब लोग उसी को देखा करते थे क्योंकि वह हाथ से नहीं बल्कि पैरों से लिखता था. धीरे-धीरे उनके दोस्त बने और आज सहारनपुर के जेवी जैन डिग्री कॉलेज से शिवम एमए की पढ़ाई कर रहा है. शिवम का कहना है कि अब वह एक अच्छा अधिकारी बनना चाहते हैं जिससे कि वह जिंदगी में किसी पर बोझ बनकर न रहें.
मां ने शिवम को पैरों से लिखना सिखाया
शिवम कुमार की माता कविता ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि शिवम के जन्म के दौरान जब उनको पता चला बेटे के दोनों हाथ नही हैं तो उन्होंने सोचा पता नहीं क्यों भगवान ने उनके साथ ऐसा किया. उन्होंने अपने बेटे की इस हालत को देखते हुए उसे पैरों से लिखना सिखाया. शिवम हाथों के बिना कुछ भी नहीं कर पाते थे. उनकी मां उन्हें प्यार से खाना खिलाती और समझाती थी कि वह बहुत कुछ कर सकते हैं. इसलिए उनकी मां ने उन्हें पैरों से लिखना सिखाया. शिवम पैरों से ही खाना भी खा लेते हैं और सभी काम जो हाथों से किए जा सकते हैं वह अपने पैरों से ही करते हैं.