अब बायोगैस से फर्राटा भरेंगे वाहन, किसानों की भी होगी कमाई, आजमगढ़ में करोड़ों की लागत से बन रहे हैं प्लांट
bio gas plant in azamgarh: जेट्रोफा के पौधे से पेट्रोल-डीजल बनाने से लेकर गांवों में गोबर गैस प्लांट लगाने तक ईंधन के वैकल्पिक स्त्रोतों के लिए तमाम तरह के उपाय किए गए. हालांकि, इनसे किसी को कुछ खास फायदा नहीं मिला. अब बायोगैस प्लांट लगाए जा रहे हैं. इसके लिए किसानों से...

आजमगढ़: वाहनों से होने वाले प्रदूषण और पारंपरिक ईंधन जैसे पेट्रोल-डीजल की खपत को कम करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए सीएनजी वाहन से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन तक चलाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि अभी हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों सहित अन्य विकल्पों पर भी लोग काम कर रहे हैं. हालांकि, अभी भी कोई भरोसेमंद और मजबूत विकल्प नहीं मिला है. जैसे बात करें सीएनजी की तो सड़कों पर सीएनजी वाहन तो खूब चलते हैं लेकिन, लोगों को सीएनजी स्टेशन सभी जगह नहीं मिलते हैं. इससे उन्हें मजबूरी में पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल करना पड़ता है. ऐसे में अब बायोगैस आधारित वाहनों और अन्य उपकरणों को बढ़ावा देने के लिए बायोगैस प्लांट बनाए जा रहे हैं. आजमगढ़ में भी इसकी तैयारी तेज है. यहां एक नहीं बल्कि तीन बायोगैस प्लांट बन रहे हैं.
आजमगढ़ में बायोगैस प्लांट बनने के बाद यहां सीएनजी वाहन चलाने वालों को राहत मिलेगी. इससे लोगों की लागत में भी कमी आ सकती है. आपको बता दें कि आजमगढ़ में 75 करोड़ रुपए की लागत से दो बायोगैस प्लांट की स्थापना की जाएगी. इसमें एक प्लांट में 6 टन और दूसरे प्लांट में 3 टन बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा. नेपियर घास से बनने वाले इन बायोगैसों से डीजल पेट्रोल और एलपीजी गैस पर निर्भरता कम हो सकेगी.
तीन बायोगैस प्लांट का हो रहा निर्माण
बायोगैस प्लांट का निर्माण होने से जहां एक तरफ गैस पर निर्भरता कम होगी वहीं दूसरी तरफ इससे किसानों को भी बेहतरीन लाभ मिल सकेगा. बायोगैस के संचालन के लिए नेपियर घास की जरूरत होती है. ऐसे में आसपास के किसान नेपियर घास का उत्पादन करते हुए बायो गैस प्लांट को इसकी सप्लाई करते हुए बढ़िया मुनाफा भी कमा सकते हैं. आजमगढ़ में स्थापित होने वाले 3 बायोगैस प्लांट को एक वर्ष तक संचालित करने के लिए 190 हेक्टेयर में नेपियर घास की जरूरत होगी. इस घास को लगाने के लिए किसानों से एग्रीमेंट किया जाएगा.
नेपियर घास की खेती वाले किसानों को होगा फायदा
जिले में बायोगैस प्लांट बनने से आजमगढ़ के लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा. सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिए बायोगैस आसानी से मिल सकेगी. नेपियर घास की खेती करने वाले किसान भी अभी तक केवल जानवरों के लिए चारा उगाते थे और अब इसे औद्योगिक प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी और उन्हें आर्थिक लाभ भी होगा.
रोजाना 6 टन बायोगैस का होगा उत्पादन
आजमगढ़ के अहरौला ब्लॉक के अरुषा गांव में पूर्वांचल के सबसे बड़े बायोगैस प्लांट का निर्माण होने जा रहा है जो लगभग 20 बीघे में तैयार होगा. इस प्लांट से प्रतिदिन 6 टन बायोगैस का उत्पादन किया जा सकेगा. नेपियर घास का उत्पादन करने वाले किसानों से अनुबंध करते हुए नेपियर घास की खरीदी की जाएगी. इससे किसानों को भी इसका लाभ मिल सकेगा. एक दिन बायोगैस प्लांट चलाने के लिए करीब दो बीघा नेपियर घास की जरूरत पड़ेगी.
इन जगहों पर हो रहा बायोगैस प्लांट का निर्माण
परियोजना अधिकारी यूपी नोएडा रामदरश यादव से मिली जानकारी में उन्होंने बताया कि अहरौला के कोठारा और पवई के हमीरपुर में निजी क्षेत्र में बायोगैस प्लांट का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा रिलायंस कंपनी की तरफ से भी फूलपुर में बायोगैस प्लांट लगाया जा रहा है. इसके लिए 15 एकड़ भूमि की जरूरत होगी जिसमें से 10 एकड़ की भूमि उपलब्ध करा दी गई है.

