अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में नहीं चलेगा जुगाड़, देना होगा यह टेस्ट, जानिए पूरी प्रक्रिया
Mirzapur News: प्रदेश सरकार की ओर से स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक तैयार किया गया है. टेस्ट दिए बगैर आपका डीएल नहीं बन पाएगा. अत्याधुनिक संसाधनों से लैस टेस्ट ट्रैक पर पास होने के लिए जुगाड़ काम नहीं आएगा. टेस्ट ट्रैक पर 12 अलग-अलग विधा के लिए नंबर मिलेंगे.

मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : अक्सर आप ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से पहले जुगाड़ खोजते हैं. जुगाड़ कई बार काम भी आ जाता है. हालांकि, अत्याधुनिक सेंसर से लैस टेस्ट ट्रैक बनने के बाद अब जुगाड़ नहीं काम आएगा. प्रदेश सरकार की ओर से स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक तैयार किया गया है. टेस्ट दिए बगैर आपका डीएल नहीं बन पाएगा. अत्याधुनिक संसाधनों से लैस टेस्ट ट्रैक पर पास होने के लिए जुगाड़ काम नहीं आएगा. टेस्ट ट्रैक पर 12 अलग-अलग विधा के लिए नंबर मिलेंगे. मारुति सुजुकी की ओर से ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनवाया गया है. इसके साथ ही ड्राइविंग के लिए ट्रक और कार के सैम्युलेटर भी इंस्टाल किए गए हैं.
मिर्जापुर जिले के आईटीआई परिसर में ड्राइवर ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टिट्यूट बनाया गया है. इंस्टिट्यूट को विदेशी टेक्नोलॉजी के आधार पर विकसित किया है. यूपी में मिर्जापुर से पहले अयोध्या में सुविधा शुरू की गई है. ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के साथ ही अत्याधुनिक स्वचलित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक तैयार हो गया है. यह पूरी तरह से स्वचालित है. ट्रैक दो हिस्सों में बनाया गया है. एक हिस्से में बड़े वाहन और दूसरे हिस्से में छोटे वाहनों के आवेदकों को टेस्ट देना होगा. टेस्ट ट्रैक में एडवांस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है.
ट्रैफिक सिग्नल और पर्किंग का परीक्षण
टेस्ट ट्रैक पर टेस्टिंग के दौरान ट्रैफिक सिग्नल, रिवर्स मोड़, मोड़, पर्किंग आदि स्किल प्रदर्शित करना होगा. टेस्ट के दौरान ही ऑटोमैटिक नंबर जनरेट होंगे. टेस्ट पूर्ण होने के बाद कम्प्यूटर पर ही पास या फेल होने की जानकारी मिल सकेगी. एआरटीओ प्रशासन संतोष कुमार सिंह ने लोकल 18 से बताया कि करीब तीन करोड़ रुपये की लागत से ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनाया गया है. एक करोड़ रुपये से मारुति सुजुकी के द्वारा टेस्ट ट्रैक और सिम्युलेटर लगाए गए हैं. डीएल बनवाने के लिए आवेदन के बाद यहां पर रजिस्ट्रेशन होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद आपको ट्रैक पर गाड़ी चलाना होगा.
सेंसर से निर्धारित होगा परिणाम
एआरटीओ संतोष कुमार सिंह ने बताया कि गाड़ी ड्राइव करते वक्त सेंसर के द्वारा आटोमेटिक पूरी मॉनिटरिंग होती है. 12 पॉइंट आपको पास करने होते हैं. पास होने के बाद आपको सर्टिफिकेट दिया जाएगा. वहीं, फेल होने पर दोबारा फीस कटाकर परीक्षा दे सकते हैं. अलग-अलग वाहनों के लिए 18 से 28 घंटे तक ट्रेनिंग दी जाएगी. यहां पर कार और ट्रक दोनों के सिम्युलेटर है. यह पूरी तरह से संचालित है. जल्द ही इसे शुरू करा दिया जाएगा.