कर्ज में डूबे किसान ने किया किडनी और आंख बेचने का ऐलान
किसान शिव तिवारी ने सिंचाई के लिए कर्ज लेकर ट्यूबबेल का बोर कराया. नए ट्रांसफार्मर के रुपए बिजली विभाग में जमा करने के बाद भी विभाग किसान को ट्रासंफार्मर नहीं दे पाया. इससे किसान की खेती बर्बाद हो गयी है.
किसानो को लेकर सरकार तमाम दावे और वादे करती है लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों की सुनवाई का सच कुछ और ही बयां कर रहा है. कर्ज में डूबे किसान आज भी संसाधनों के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. प्रदेश की बिजली विभाग की लापरवाही की वजह से भदोही में कर्ज से डूबे एक किसान ने अपनी किडनी और एक आंख बेचने तक का ऐलान कर दिया है.

दरअसल किसान ने सिंचाई के लिए कर्ज लेकर ट्यूबबेल का बोर कराया. नए ट्रांसफार्मर के रुपए बिजली विभाग में जमा करने के बाद भी विभाग किसान को ट्रासंफार्मर नहीं दे पाया. इससे किसान की खेती बर्बाद हो गयी है.
भदोही जिले के डीघ ब्लाक के बेरासपुर गांव निवासी शिव लोलारक तिवारी ने एम कॉम तक पढ़ाई की है. कहीं नौकरी नहीं मिली तो इन्होंने अपनी पुश्तैनी ज़मीन में खेती करने की सोची. शिव बताते हैं कि इन्होंने अपने खेत में 2009 बोर कराया लेकिन बिजली कनेक्शन और ट्रांसफार्मर के लिए रूपये नहीं जुटा पाए. इस वर्ष कर्ज के सहारे सामान्य योजना के तहत किसान ने बिजली कनेक्शन लिया और अप्रैल माह में ट्यूबबेल चलाने के लिए बिजली विभाग में 32 हजार रुपया ट्रांसफार्मर के लिए जमा कराया.
विभाग ने 78 हजार रुपए का इस्टीमेट बनाया था लेकिन योजना के तहत छूट मिलने के बाद किसान ने 32 हजार का भुगतान किया. वह कहते हैं कि उन्होंने सोचा था कि निजी सिंचाई के साधन से अच्छी खेती कर कर्ज चुका देंगे. लेकिन काफी दौड़ भाग के बाद भी बिजली विभाग से ट्रांसफार्मर नहीं मिला. उनका कहना है कि इस वर्ष की खेती उनकी बर्बाद हो गयी है. यहां तक कि ऋण मोचन योजना का लाभ भी उन्हें नहीं मिला. बैंक का एक लाख रुपया केसीसी है.
परेशान होकर किसान ने सोशल मिडिया पर अपनी किडनी और एक आँख बेचने का वीडियो पोस्ट किया है. उनका कहना है कि अब उसके पास कोई रास्ता ही नहीं बचा है. बैंक का कर्ज और दुकानदारों का कर्ज, ऐसे में अब वह क्या करें.
उधर इस संबंध में भदोही के डीएम राजेंद्र प्रसाद ने बताया की बिजली विभाग द्वारा जानकारी दी गई है कि एक महीने पहले किसान ने भुगतान किया है. अभी स्टोर में ट्रांसफार्मर नहीं है. डीएम ने अधिकारियो को निर्देश दिए है कि जल्द ही किसान को ट्रांसफार्मर दिया जाए.
दिलचस्प बात ये है कि बिजली विभाग जहां डीएम को बता रहा है कि एक महीने पहले किसान ने भुगतान किया, वहीं किसान के अनुसार उसने अप्रैल माह में भुगतान किया है. अब देखना है की डीएम के निर्देश के बाद कब किसान को ट्रांसफार्मर मिलता है?
(रिपोर्ट: दिनेश पटेल)
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