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भोजपत्र पर लिखे गए प्राचीन ग्रंथ, इस पौधे के चमत्कारी गुणों के बारे में भी जान लीजिए

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इस पौधे की छाल से भोजपत्र की पहचान होती है. प्राचीन ग्रंथों की रचना इसकी छाल पर ही हुई थी. उत्तराखंड के माणा में भोजपत्र में आकृतियां, यंत्र बनाने में काम चल रहा है. मान्यता है कि इस पौधे की छाल का प्रयोग भगवान शिव ने वस्त्र के तौर पर किया था. उन्होंने बताया कि इसका धार्मिक महत्व होने के साथ ही साथ आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है.

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तनुज पाण्डे/ नैनीताल. देवभूमि उत्तराखंड में 2100 फीट से लेकर 3600 फीट तक उच्च हिमालय इलाकों में पाया जाने वाला भोजपत्र का पौधा (Bhoj Patra Plant) जितना पवित्र माना जाता है, उतना ही अपने चमत्कारी औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है. इस पौधे का प्रयोग यूनानी दवाओं में भी किया जा रहा है. इसे स्थानीय भाषा में बिर्च के नाम से जाना जाता है. इस पौधे को इसकी सफेद छाल से पहचाना जा सकता है. इसकी छाल में कई प्राचीन ग्रंथों की रचना भी की गई है. वहीं इसमें कई ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो औषधीय रूप में बेहद कारगर हैं. इस पौधे का प्रयोग रक्त पित्त रोग में, कर्ण रोग, विष विकार, कुष्ठ रोग, पेट के कीड़े और हड्डी संबंधित रोगों के उपचार के लिए किया जाता है.

नैनीताल के डीएसबी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ ललित तिवारी ने बताया कि हिमालय इलाकों में 4500 मीटर तक ऊंचाई में पाया जाने वाला भोजपत्र हिमालय सिल्वर बिर्च (Himalaya Silver Birch) के नाम से जाना जाता है. इस पौधे की छाल से भोजपत्र की पहचान होती है. प्राचीन ग्रंथों की रचना इसकी छाल पर ही हुई थी. उत्तराखंड के माणा में भोजपत्र में आकृतियां, यंत्र बनाने में काम चल रहा है. मान्यता है कि इस पौधे की छाल का प्रयोग भगवान शिव ने वस्त्र के तौर पर किया था. उन्होंने बताया कि इसका धार्मिक महत्व होने के साथ ही साथ आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है.


औषधीय गुणों से युक्त भोजपत्र

प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि भोजपत्र का पौधा कई औषधीय गुणों से युक्त है. इसका प्रयोग मोटापा कम करने, हड्डी संबंधित बीमारी के इलाज में, अर्थराइटिस संबंधित इलाज, पेट में कीड़े दूर करने में, कान का दर्द दूर करने के साथ ही यूनानी दवाओं में किया जाता है. उन्होंने बताया कि रक्त पित्त रोग, कुष्ठ रोग और विष विकार में भी इस पौधे का प्रयोग किया जाता है.

भोजपत्र का प्रयोग

भोजपत्र का इस्तेमाल कई दवाओं को बनाने में किया जाता है. इसकी छाल का प्रयोग काढ़ा बनाने और पाउडर के रूप में किया जाता है. चरक सहिंता में भोजपत्र के अनेक उपयोग दिए गए हैं. भोजपत्र की छाल का क्वाथ बनाएं और उसके बाद पीने से बुखार में लाभ मिलता है. भोजपत्र पेड़ की गांठ, लहसुन, शिरीषत्वक्, वचा, गुगल और सरसों का तेल मिलाकर कुष्ठ रोगियों को मालिश करने से लाभ मिलता है. इसकी गांठ, कासीस, त्रिवृत् और गुगल को पीसकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है.

Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई आदि विषयों पर आलेख अथवा वीडियो समाचार सिर्फ पाठकों/दर्शकों की जानकारी के लिए है. इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है. हमारा उद्देश्य पाठकों/दर्शकों तक महज सूचना पहुंचाना है. इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी. Local 18 इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है.

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