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एक वक्त का फेवरिट, आज गायब....बिहार से गायब होता जा रहा है ये 'राजा आम', जानें क्यों संकट में है इसकी वैरायटी

Reported by:
Agency:Local18
Last Updated:

Mango Farming: बिहार के भागलपुर के जर्दालु और मालदा आम प्रसिद्ध हैं. व्यापारी राहुल कुमार के अनुसार, मालदा आम की डिमांड अधिक है लेकिन इसके बगीचे कम हो रहे हैं.

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आम का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना शुरू हो जाता है. उसका स्वाद तक मन में घुलने लगता है. बिहार की बात करें तो यहां कई प्रजाति के आम के बगीचे मिल जाएंगे. हालांकि, अब यहां कुछ प्रजाति के आम विलुप्त होते नजर आ रहे हैं.
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भागलपुर क्षेत्र के जर्दालु आम से लेकर अन्य क्षेत्रों के मालदा और लंगड़ा आम काफी फेमस हैं. अब बिहार से कुछ आम की प्रजातियां विलुप्त होती नजर आ रही हैं. सबसे बेहतरीन प्रजाति का आम मलादा माना जाता है. इसे कई जगहों पर लंगड़ा कहा जाता है. अब यह विलुप्त होता नजर आ रहा है.
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जब इस बारे में आम के व्यपारी राहुल कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि देखिए मैं पिछले 20 सालों से इस कारोबार से जुड़ा हूं. पूरे बाजार में सबसे अधिक डिमांड मालदा का होता है क्योंकि ये आम का राजा कहलाता है.
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इसकी मुख्य वजह है कि आम के मामले में लंगड़ा सबसे स्वादिष्ट और साइज में बड़ा होता है. अब इस आम के बगीचे काफी कम बचे हैं. इसका कारण यह है कि मालदा आम के जो पुराने बगीचे हैं वही बचे हैं. नए बगीचे या तो जर्दालु आम के हैं या फिर अन्य किस्म के आम के हैं.
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लोग अभी रंगीन आम के बगीचे पर अधिक ध्यान दे रहे हैं इसलिए आम की ये वैरायटी विलुप्त हो रही है. मलादा का बगीचा अब इस क्षेत्र में काफी कम बचा है जबकि बाजार में इसकी काफी डिमांड रहती है. लोग इसे सबसे पहले पसंद करते हैं. बाजार में अभी भी इसकी कीमत 50 रुपए किलो से अधिक है. इस आम के वजन की बात करें तो करीब 300 ग्राम तक एक आम होता है. 1 किलो में 3 से 4 मालदा आम चढ़ते हैं. इसके एक आम से पेट भर जाता है.
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आपको बता दें कि मालदा सबसे अधिक फलने वाला पेड़ है. एक पेड़ में 4 से 5 क्विंटल आम आसानी से निकल जाता है. बुरे हाल में भी 2 क्विंटल आम जरूर निकलेगा. इस आम का पेड़ भी सबसे अधिक बड़ा होता है. इसलिए मालदा आम के कई पेड़ आंधी और हवा में टूटकर और उखड़कर बर्बाद हो गए. इससे भी यह धीरे-धीरे खत्म होता चला गया.
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