अब किसान और सरकार के साथ बातचीत में शामिल होने के लिए इस बड़े संगठन ने की मांग, जानिए क्या है उनका तर्क
Agency:News18Hindi
Last Updated:
इस संगठन ने किसानों और सरकार के बीच बातचीत में शामिल होने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) से मांग की है. इस संगठन ने किसानों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में खुद को शामिल करने की अर्जी दाखिल की है.
प्रदर्शनकारी किसान तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की मांग कर रहे हैं(सांकेतिक तस्वीर) नई दिल्ली. तीनों कृषि क़ानूनों का संबंध किसानों से सिर्फ 40 फीसदी है. जबकि इन क़ानूनों का 60 फीसद हिस्सा देशभर में सभी क्षेत्रों के व्यापारियों से जुड़ा हुआ है. इसलिए व्यापारियों के प्रतिनिधित्व के बिना कृषि क़ानूनों पर किसी भी तरह के समझौते का कोई अर्थ नहीं होगा. इसलिए व्यापारियों को बातचीत की प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. देशभर के व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने यह मांग की है. कैट ने यह मांग कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) से की है. गौरतलब रहे किसानों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चल रहे मामले में भी कैट ने खुद को शामिल करने के लिए भी एक अर्जी दाखिल की है.
आड़ितयों संग इनके भी आवाज़ उठा रहा है कैट
कैट का मानना है है कि व्यापारियों की प्रमुख चिंता उन व्यापारियों का उन्मूलन है जो आढ़ती के रूप में मंडियों में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं और फसलों की बिक्री में एवं आवश्यकता पड़ने पर वित्तीय सहायता आदि देने में किसानों की सहायता करते आ रहे हैं. यह कहना गलत है कि कृषि क़ानून केवल किसानों से जुड़े हैं. देश का एक बड़ा व्यापारी वर्ग किसानों को कृषि के लिए कई सामान और संसाधन उपलब्ध कराने में लगा हुआ है.
एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला फसल की बुवाई से लेकर कृषि उपज को सामान्य उपभोक्ता तक पहुंचाने तक का काम करती है और करोड़ों लोग उससे अपनी जिंदगी चलाने के लिए उस श्रृंखला से जुड़े होते हैं. यह निश्चित है कि वे भी सीधे कृषि कानूनों से जुड़े होंगे और इसलिए उन करोड़ों लोगों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा या नहीं और कौन उनके हितों का ध्यान रखेगा? यह देखा जाना जरूरी है और इसलिए कैट को इस वार्ता का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
जहां पुलिस ट्रैफिक को कंट्रोल कर रही थी वहीं सबसे ज़्यादा एक्सीडेंट हुए-रिपोर्ट
यह बिचोलिए नहीं सरकारी व्यवस्था फेल होने पर किसान के मददगार हैं
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर बिचोलिये ख़त्म करने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की जिनको बिचोलिया कह जा रहा है ये वो व्यापारी हैं जो हर सूरत में देश के किसान की फसल को बिकाने में किसान की सहायता करते हैं. ये वो लोग हैं जब देश के बैंक और सरकारी व्यवस्था किसान की मदद करने में फेल ही जाती है तब ये लोग किसान को वित्तीय और अन्य सहायता देते हैं. ये वो लोग हैं जो किसान को बीज देने से लेकर उसके उत्पाद को आम उपभोक्ता तक अपनी सप्लाई चैन के द्वारा देशभर में पहुँचाते हैं. ऐसे लोगों को बिचोलिया कहना उनके साथ बेहद अन्याय और सरासर उनका अपमान करना है.
आड़ितयों संग इनके भी आवाज़ उठा रहा है कैट
कैट का मानना है है कि व्यापारियों की प्रमुख चिंता उन व्यापारियों का उन्मूलन है जो आढ़ती के रूप में मंडियों में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं और फसलों की बिक्री में एवं आवश्यकता पड़ने पर वित्तीय सहायता आदि देने में किसानों की सहायता करते आ रहे हैं. यह कहना गलत है कि कृषि क़ानून केवल किसानों से जुड़े हैं. देश का एक बड़ा व्यापारी वर्ग किसानों को कृषि के लिए कई सामान और संसाधन उपलब्ध कराने में लगा हुआ है.
एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला फसल की बुवाई से लेकर कृषि उपज को सामान्य उपभोक्ता तक पहुंचाने तक का काम करती है और करोड़ों लोग उससे अपनी जिंदगी चलाने के लिए उस श्रृंखला से जुड़े होते हैं. यह निश्चित है कि वे भी सीधे कृषि कानूनों से जुड़े होंगे और इसलिए उन करोड़ों लोगों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा या नहीं और कौन उनके हितों का ध्यान रखेगा? यह देखा जाना जरूरी है और इसलिए कैट को इस वार्ता का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.
जहां पुलिस ट्रैफिक को कंट्रोल कर रही थी वहीं सबसे ज़्यादा एक्सीडेंट हुए-रिपोर्ट
यह बिचोलिए नहीं सरकारी व्यवस्था फेल होने पर किसान के मददगार हैं
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर बिचोलिये ख़त्म करने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की जिनको बिचोलिया कह जा रहा है ये वो व्यापारी हैं जो हर सूरत में देश के किसान की फसल को बिकाने में किसान की सहायता करते हैं. ये वो लोग हैं जब देश के बैंक और सरकारी व्यवस्था किसान की मदद करने में फेल ही जाती है तब ये लोग किसान को वित्तीय और अन्य सहायता देते हैं. ये वो लोग हैं जो किसान को बीज देने से लेकर उसके उत्पाद को आम उपभोक्ता तक अपनी सप्लाई चैन के द्वारा देशभर में पहुँचाते हैं. ऐसे लोगों को बिचोलिया कहना उनके साथ बेहद अन्याय और सरासर उनका अपमान करना है.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
और पढ़ें