रेलिगेयर Finvest मामला: दिल्ली हाई कोर्ट ने 1 करोड़ रुपए के बॉन्ड के साथ शिविंदर सिंह को दी जमानत
Agency:News18Hindi
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दिल्ली हाई कोर्ट ने शिविंदर सिंह कुछ शर्तें के साथ जमानत दी है. कोर्ट ने कहा है कि वह विदेश नहीं जा सकते हैं. साथ ही उन्हें 1 करोड़ रुपए का निजी बेल बॉन्ड और परिवार के सदस्यों की तरफ से 25-25 लाख रुपए के दो बेल बॉन्ड भरना होगा.

नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने फोर्टिस हेल्थकेयर (Fortis Healthcare) के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत दे दी है. शिविंदर सिंह पर रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (Religare Finvest Limited) फंड में हेराफेरी करने का आरोप लगा था. दिल्ली हाई कोर्ट ने शिविंदर सिंह कुछ शर्तें के साथ जमानत दी है. कोर्ट ने कहा है कि वह विदेश नहीं जा सकते हैं. साथ ही उन्हें 1 करोड़ रुपए का निजी बेल बॉन्ड और परिवार के सदस्यों की तरफ से 25-25 लाख रुपए के दो बेल बॉन्ड भरना होगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने शिविंदर सिंह को अपना पासपोर्ट भी जमा करने को कहा है ताकि वह विदेश ना भाग सकें.
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप जयराम भमभानी ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलील पिछले हफ्ते सुनी थी. उसके बाद उन्होंने अपना फैसला इस मामले में सुरक्षित रखा था. एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट शिविंदर सिंह को जमानत देने के पक्ष में नहीं था. ED का कहना था कि शिविंदर सिंह बाहर निकलने के बाद सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं.
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आपको बता दें कि मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह ने 2008 में रैनबैक्सी को दायची सांक्यो (Daiichi Sankyo) के हाथों बेच दिया था. बाद में सन फार्मास्युटिकल्स ने दाइची से 3.2 अरब डॉलर में रैनबैक्सी को खरीद लिया. जापानी दवा निर्माता का आरोप है कि सिंह बंधुओं ने उसे रैनबैक्सी बेचते हुए कई तथ्य छिपाए थे. दिसंबर 2018 में, Religare Finvest Limited द्वारा दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में सिंह बंधुओं और प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी.
सिंगापुर ट्रिब्युनल ने भी दोनों भाइयों को दोषी करार दिया है
शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह की दाइची सांक्यो नाम की एक कंपनी पर 3,500 करोड़ रुपये का कर्ज है. सिंगापुर की एक ट्रिब्युनल ने दोनों भाइयों को इस मामले में दोषी करार दिया है. दोनों भाइयों पर आरोप है कि वो जापानी ड्रगमेकर कंपनी को बिना किसी विस्तृत जानकारी के ही रैनबैक्सी कंपनी को बेचने की तैयारी कर रहे थे.
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप जयराम भमभानी ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलील पिछले हफ्ते सुनी थी. उसके बाद उन्होंने अपना फैसला इस मामले में सुरक्षित रखा था. एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट शिविंदर सिंह को जमानत देने के पक्ष में नहीं था. ED का कहना था कि शिविंदर सिंह बाहर निकलने के बाद सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं.
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आपको बता दें कि मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह ने 2008 में रैनबैक्सी को दायची सांक्यो (Daiichi Sankyo) के हाथों बेच दिया था. बाद में सन फार्मास्युटिकल्स ने दाइची से 3.2 अरब डॉलर में रैनबैक्सी को खरीद लिया. जापानी दवा निर्माता का आरोप है कि सिंह बंधुओं ने उसे रैनबैक्सी बेचते हुए कई तथ्य छिपाए थे. दिसंबर 2018 में, Religare Finvest Limited द्वारा दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में सिंह बंधुओं और प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी.
सिंगापुर ट्रिब्युनल ने भी दोनों भाइयों को दोषी करार दिया है
शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह की दाइची सांक्यो नाम की एक कंपनी पर 3,500 करोड़ रुपये का कर्ज है. सिंगापुर की एक ट्रिब्युनल ने दोनों भाइयों को इस मामले में दोषी करार दिया है. दोनों भाइयों पर आरोप है कि वो जापानी ड्रगमेकर कंपनी को बिना किसी विस्तृत जानकारी के ही रैनबैक्सी कंपनी को बेचने की तैयारी कर रहे थे.
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