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Papankusha Ekadashi 2022: आज पापांकुशा एकादशी की पूजा के समय पढ़ें यह व्रत ​कथा, मिलेगा पुण्य

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Papankusha Ekadashi 2022: पापांकुशा एकादशी व्रत आज 06 अक्टूबर को है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का महत्व है. जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत कथा के बारे में.

आज पापांकुशा एकादशी की पूजा के समय पढ़ें यह व्रत ​कथापापांकुशा एकादशी व्रत आश्विन शुक्ल एकादशी तिथि को रखते हैं.
आजPapankusha Ekadashi 2022: पापांकुशा एकादशी व्रत आज 06 अक्टूबर को है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का महत्व है. भगवान विष्णु के आशीर्वाद से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है. युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आश्विन शुक्ल एकादशी के महत्व और व्रत विधि के बारे में विस्तार से बताने का आग्रह किया. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनको बताया कि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पापांकुशा एकादशी के नाम से जानी जाती है. यह सभी पापों को दूर करने वाली और यमलोक की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत कथा के बारे में.

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को पापांकुशा एकादशी व्रत कथा जो सुनाई, वह कुछ इस प्रकार से हैं. विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था. वह बेहद ही हिंसक, कठोर, अधर्मी, पाप कर्मों में लिप्त रहने वाला व्यक्ति था. समय के बीतने के साथ ही उसके जीवन का भी अंतिम क्षण आने वाला था. उसके मृत्यु से एक दिन पूर्व यम दूतों ने उसे संदेशा दिया कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है, कल तुम्हारे प्राण लेने के लिए वे आएंगे.

इस बात को जानकर बहेलिया बहुत ही दुखी और भयभीत हो गया. इसका उपाय जानने के नलए वह अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंच गया. वह अंगिरा ऋषि को दंडवत प्रणाम किया और अपने साथ हुई घटना को उनसे बताया.
उसने कहा कि उसने पूरे ​जीवन पाप कर्म किए हैं. इनसे वह मुक्त होना चाहता है, इसलिए आप से अनुरोध है कि कोई ऐसा उपाय बताएं, जिसे करने उसे मोक्ष मिल जाए और पापों से भी वह मुक्त हो जाए.
तब ऋषि ने उसे पापांकुशा एकादशी व्रत को विधिपूर्वक करने को कहा. तब उस बेहलिए ने पापांकुशा एकादशी व्रत को विधि विधान से किया, जैसा ऋषि ने उसे बताया था. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उसके जीवन भर के सभी पाप नष्ट हो गए. जीवन के अंतिम क्षणों में उसे श्रीहरि की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति भी हो गई.
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