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वो काम जो सऊदी महिलाओं को मर्दों से पूछ कर करने पड़ते हैं

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सऊदी अरब की महिलाओं को हाल ही में ड्राइविंग की इजाज़त मिली है. जून में 10 महिलाओं को लाइसेंस भी दे दिए गए. लेकिन सऊदी की महिलाओं के लिए इतना काफी नहीं. अभी उन्हें और कई लाइसेंस हासिल करने हैं

वो काम जो सऊदी महिलाओं को मर्दों से पूछ कर करने पड़ते हैंसऊदी महिलाओं को हाल ही में ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए गए
सऊदी अरब की सरकार ने हाल ही में अपने देश की 10 महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए हैं. यह ऐतिहासिक कदम सरकार की उस घोषणा के 20 दिन बाद उठाया गया जिसके तहत महिलाओं की ड्राइविंग पर लगी पाबंदी को हटा दिया गया था.

ड्राइविंग पर पाबंदी हटाने का कदम क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उठाया जो कि सऊदी शासक के बेटे हैं. युवराज मोहम्मद ने सऊदी साम्राज्य के तल पर निर्भर अर्थव्यवस्था को बदलने और सऊदी परिवारों की जिंदगी में बेहतरी लाने के उद्देश्य से इस तरह के कदम उठाए हैं. हालांकि कई कट्टरपंथी संगठनों के गले से यह बात नहीं उतर पा रही है.

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संरक्षण पद्धति

यह बात अलग है कि अभी भी सऊदी की महिलाओं को काफी लंबा रास्ता तय करना है. ऐसे बहुत सारे रोज़मर्रा के काम हैं, फैसले हैं जो अभी भी सऊदी महिलाएं, पुरुष की इजाज़त के बगैर नहीं ले सकती. दरअसल सऊदी में संरक्षण पद्धति के तहत महिलाओं को बांधकर रखा गया है. इसके मुताबिक महिला को किसी एक पुरुष के संरक्षण में रहना जरूरी है. यह संरक्षण, पिता, भाई, पति, कोई भी हो सकता है. कई बार तो एक पांच साल के लड़के को भी औरत का संरक्षक मान लिया जाता है.

सऊदी की महिलाओँ को अभी और कई लाइसेंस हासिल करने हैं


संरक्षण पद्धति की वजह से पासपोर्ट, बैंक अकाउंट, शादी और तलाक जैसे फैसले लेने के लिए महिला को पुरुष संरक्षक की इजाजत चाहिए. हालांकि संरक्षण पद्धति के बारे में सऊदी के कानून में लिखित में जिक्र नहीं है, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर इसका काफी पालन किया जाता है. मसलन, घरेलू हिंसा की शिकार औरतों को अक्सर शिकायत दर्ज करने से पहले पुलिस के सवाल का सामना करना पड़ता है कि संरक्षक की इजाज़त है या नहीं. मई 2017 में महिला संगठनों के विरोध के बाद सर्जरी करवाने, नौकरी करने जैसे कुछ मामलों को लेकर औरतों को हरी झंडी मिली है.

मेकअप पर पाबंदी

महिलाओं के पहनावे पर कड़ी निगरानी रखी जाती है और शरिया के मुताबिक ही ड्रेस कोड निर्धारित की जाती है. ज्यादातर औरतें हिजाब और अबाया पहनती हैं. जरूरी नहीं कि चेहरा ढका हुआ हो लेकिन सज संवरकर बाहर निकलना अभी भी सऊदी में पाबंदी है. नैतिकता की दुहाई देने वाले संगठन इस पर आपत्ति जताते दिख जाते हैं. पिछले साल एक छह सेकंड की क्लिप ने सऊदी में हंगामा खड़ा कर दिया था जिसमें एक महिला रियाध के एक किले में मिनि स्कर्ट में दिखाई दी थी.

गैर मर्दों से बातचीत पर पाबंदी है


गैर मर्दों से बातचीत पर पाबंदी

गैर मर्दों से ज्यादा बातचीत के लिए भी महिलाओं को मुसीबत झेलनी पड़ सकती है. ज्यादातर सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं और पुरुषों के बैठने की जगह अलग है. किसी भी तरह से मेलजोल को लेकर आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है जिसमें पुरुष से कहीं ज्यादा सज़ा महिला के खाते में आ सकती है. कुछ साल पहले सऊदी में बलात्कार से जुड़े एक मामले ने इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान बटोरा क्योंकि पुरुष के साथ महिला को भी सज़ा का पात्र माना गया. वजह - महिला देर रात बाहर क्या कर रही थी.

स्विमिंग पूल के इस्तेमाल पर पाबंदी

महिलाएं खुले स्विमिंग पूल में तैर नहीं सकती और उनके लिए निजी पूल बनाए जाते हैं. रॉयटर्स की एडिटर आर्लेंड गेट्ज़ ने अपने एक अनुभव में लिखा था कि एक महंगे रियाध होटल में ठहरने के दौरान मुझे स्विमिंग पूल की तरफ देखने भी नहीं दिया गया क्योंकि वहां पुरुष स्विमसूट में घूम रहे हैं (ऐसा होटल के स्टाफ ने गेट्ज़ से कहा).

खेलों में पाबंदी

2015 में सऊदी अरब ने महिलाओं के बगैर ओलंपिक खेलों की मेजबानी का प्रस्ताव रखा. लंदन 2012 में सऊदी ने पहली बार दो महिला खिलाड़ियों को भेजा जिसका कड़ा विरोध किया गया. कट्टरपंथी गुटों ने उन महिलाओं को वैश्या तक कह डाला. महिलाएं पुरुष संरक्षक के साथ गई और सिर ढककर हिस्सा लिया. हालांकि 2017 में सऊदी ने अपने राष्ट्रीय स्टेडियम में महिलाओं के आने पर लगी पाबंदी को हटा दिया.
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