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कभी आपकी गाड़ी से हो जाए टक्कर तो पैसे देने के बजाए करें ये काम

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क्या करें अगर आपकी कार या बाइक से दूसरे वाहन को नुकसान पहुंचा है या उस पर स्क्रैच आ गया है. ऐसे में कभी धन देने के दबाव में नहीं आएं

कभी आपकी गाड़ी से हो जाए टक्कर तो पैसे देने के बजाए करें ये कामसड़क दुर्घटना
कई बार हम अपनी कार या कोई दूसरा वाहन लेकर कहीं जा रहे हैं तो दूसरे वाहन से टक्कर हो जाती है, इससे दूसरे वाहन में नुकसान पहुंचता या कार में स्क्रैच आ जाता है या कोई घायल हो जाता है तो ऐसी स्थिति में अक्सर दूसरे वाहन का मालिक पैसों की डिमांड करता है और क्षतिपूर्ति के नाम पर ठीक ठाक रकम ले लेता है. हममें से कोई भी इस स्थिति में फंस सकता है, लेकिन जब भी ऐसा हो तो ये अच्छी तरह समझ लें कि अगर दूसरा वाहन मालिक आपसे रकम की डिमांड करे तो उसे कोई पैसा देने की जरूरत ही नहीं है.

ऐसी स्थिति में आप कतई मत घबराएं. अगर आपके वाहन का इंश्योरेंस है तो आपको स्पॉट पर कोई समझौता नहीं करना चाहिए. कुछ तय प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए या दूसरी पार्टी को पुलिस के पास चलने को कहना चाहिए. ऐसी स्थिति में आप पर कोई लायबिलिटी नहीं आएगी. अगर आपका वाहन इंश्योर्ड है तो क्षतिपूर्ति का जिम्मा आपकी इंश्योरेंस कंपनी का हो जाता है.

इंश्योरेंस कंपनियां इसके लिए कुछ शर्त भी रखती हैं. मसलन ड्राइविंग कर रहे शख्स के पास दुर्घटना के वक्त ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन से संबंधित अन्य कागज होने चाहिए. कभी उसका लाइसेंस जब्त नहीं हुआ हो.

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अगर आपके पास लर्निंग लाइसेंस है तो भी इसे पास रखें. केंद्रीय मोटर व्हीकल नियम 1989 अगर आपके पास वैद्य लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के कागज हैं तो ये आपको ड्राइव करने का अधिकार देता है.

घटनास्‍थल पर न करें कोई समझौता
अगर आपकी कार या बाइक से एक्‍सीडेंट हो जाता है तो आपको स्‍पॉट पर किसी तरह का कोई एग्रीमेंट साइन नहीं करना चाहिए. अगर आपकी गाड़ी का बीमा है तो इसकी सारी लायबिलिटी बीमा कंपनी वहन करेगी.

फिर ये भी समझ लें कि जिस वाहन को नुकसान हुआ है, वो उसकी क्षतिपूर्ति का दावा अपनी इंश्योरेंस कंपनी से भी कर सकता है. ये अक्सर होता है कि जिस वाहन का नुकसान होता है वो आपसे भी रकम की मांग करता है. फिर अपनी इंश्योरेंस कंपनी से भी क्षतिपूर्ति के लिए क्लेम करता है.



ऐसी स्थिति में वो दोनों ओर से लाभ की स्थिति में होता है. लिहाजा ऐसी हालत में हमेशा पुलिस के पास जाना और अपनी इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करना सबसे उचित तरीका है.

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पुलिस को दें गाड़ी के दस्‍तावेज
अगर आपकी कार या बाइक से एक्‍सीडेंट हो जाता है तो आपको सबसे पहले पुलिस को सूचित करें और अपनी गाड़ी के डाक्‍युमेंट्स की फोटोकॉपी उन्हें उपलब्ध कराएं. इन स्थितियों में पुलिस या किसी भी एजेंसी के साथ सहयोग करना चाहिए.

बीमा कंपनी को देंं जानकारी
अपनी बीमा कंपनी को एक्‍सीडेंट के बारे में पूरी जानकारी दें. साथ में पॉलिसी पॉलिसी नंबर की डिटेल भी देनी चाहिए. एक्‍सीडेंट में अगर कोई घायल हो गया है या उसकी मौत हो गई है तो इसके लिए आपकी कोई लायबिलिटी नहीं होगी. सारी लायबिलिटी बीमा कंपनी की होगी और वह कोर्ट में आपका केस लड़ेगी.

कितनी क्षतिपूर्ति इंश्योरेंस के जरिए
सेक्शन 2-1(आई) एक्ट कहता है कि अगर आपके वाहन की टक्कर से किसी मृत्य हो जाए या फिर कोई गंभीर तौर पर घायल हो जाए कितनी रकम अधिकतम दी जाती है. मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 2-1 के अनुसार नुकसान पर थर्ड पार्टी को 7.5 लाख रुपए तक कवर होता है.

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कोर्ट में दें सही जानकारी
अगर आपको कोर्ट से समन आता है तो आपको कोर्ट में पेश होकर एक्‍सीडेंट के बारे में सही जानकारी देनी चाहिए. आप कोर्ट को एक नक्‍शा बना कर भी दे सकते हैं कि एक्‍सीडेंट कैसे हुआ. अगर आप सही जानकारी देते हैं तो मुकदमे का निपटारा जल्‍द हो जाएगा.



ड्राइविंग लाइसेंस और दस्‍तावेज होने चाहिए वैध
अगर आपकी गाड़ी से एक्‍सीडेंट हुआ है तो इसकी पूरी लायबिलिटी बीमा कंपनी वहन करेगी. इसके लिए जरूरी है कि जो भी गाड़ी चला रहा हो उसका ड्राइविंग लाइसेंस और गाड़ी के दूसरे दस्‍तावेज वैध होने चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो बीमा कंपनी क्‍लेम स्‍वीकार नहीं करेगी और सारी लायबिलिटी आप पर आ जाएगी.

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शराब पी हुई है तो हो सकती है मुश्किल
अगर आपने शराब पी रखी है और आपकी कार या बाइक से एक्‍सीडेंट में कोई घायल हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है, तब आप जरूर मुश्किल में फंस सकते हैं.

ऐसी स्थिति में आपके शरीर में एक निश्चित मात्रा से अधिक अल्‍कोहल पाई जाती है तो बीमा कंपनी कोई लायबिलिटी वहन नहीं करेगी. सारी लायबिलिटी आपको उठानी होगी. कोर्ट में खुद ही केस लड़ना होगा.

लापरवाही पड़ सकती है महंगी
हमेशा ध्यान रखें कि सड़क पर जब भी वाहन चलाएं, तब गंभीरता बरतें. लापरवाही से वाहन नहीं चलाएं. अगर पुलिस जांच में ये पाया गया कि आप लापरवाही से गाड़ी चला रहे थे, इस वजह से एक्‍सीडेंट हुआ है तो आप मुश्किल में फंस सकते हैं.

नए मोटर व्‍हीकल एक्‍ट में तीन साल तक की जेल का प्रस्‍ताव किया गया है. इसी तरह से अगर आप मोटर व्‍हीकल एक्‍ट के किसी प्रावधान का उल्‍लंघन करते हुए पाए जाते हैं तब भी मुश्किल हो सकती है.

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