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Breast Cancer Awareness Month 2022: ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े इन 5 मिथकों पर आप भी तो नहीं करतीं यकीन, जानें हकीकत

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Breast Cancer Awareness Month 2022: 'ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ 2022' पूरी दुनिया में 1 से लेकर 31 अक्टूबर तक मनाया जाता है. ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला बेहद कॉमन कैंसर है. इस कैंसर से संबंधित आज भी दुनिया भर में कुछ मिथक मौजूद हैं, जिनका झूठ-सच आपको ज़रूर जान लेना चाहिए.

ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े इन 5 मिथकों पर आप भी तो नहीं करतीं यकीन, जानें हकीकतब्रेस्ट कैंसर से जुड़े इन 5 मिथकों पर आप भी तो नहीं करतीं यकीन, जानें हकीकत?
Breast Cancer Awareness Month 2020: ‘ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ 2022’ पूरी दुनिया में 1 से लेकर 31 अक्टूबर तक मनाया जाता है. इसका उद्देश्य है लोगों को स्तन कैंसर जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरूक करना. समय रहते ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को पहचानकर इसका निदान और इलाज शुरू करवाना. महिलाओं में यूटरस कैंसर के बाद ब्रेस्ट कैंसर सबसे कॉमन कैंसर है, जिससे लाखों महिलाएं ग्रस्त होती हैं. कई बार एडवांस स्टेज में कैंसर के पहुंचने के कारण इससे मौत भी हो जाती है. देश-दुनिया में आज भी बीमारियों को लेकर कुछ टैबू, स्टिग्मा और मिथक व्याप्त हैं. ब्रेस्ट कैंसर की बात करें तो इसे भी लेकर कई मिथक हैं, जिन पर लोग यकीन करते हैं और इलाज कराने में देरी करते हैं. जानते हैं कुछ ऐसे ही ब्रेस्ट कैंसर से संबंधित कुछ मिथकों के बारे में.

मिथ- अंडरवायर या टाइट ब्रा पहनने से ब्रेस्ट कैंसर होता है.

सच्चाई- इस बात में कोई भी सच्चाई और वैज्ञानिक तथ्य मौजूद नहीं हैं. इंटरनेट पर इस तरह की कई गलत धारणा, मिथक मौजूद हैं, जिस पर आंख बंद करके किसी को भी यकीन नहीं करना चाहिए. अंडरवायर ब्रा पहनने से लिम्फैटिक फ्लूइड का बहाव रुक जाता है, जिससे विषाक्त पदार्थों का निर्माण होने लगता है. इससे ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. इस बात को समर्थन करने वाला कोई वैज्ञानिक प्रमाण या अध्ययन फिलहाल मौजूद नहीं है, इसलिए आप ब्रा बेफिक्र होकर पहनें. मेडिकलन्यूजटुडे डॉट कॉम में छपी एक खबर के अनुसार, वायर वाले ब्रा पहनने से त्वचा में खुजली या इर्रिटेशन हो सकती है, जिससे स्किन ब्रेकडाउन होता है. ब्रेकडाउन के कारण बैक्टीरिया स्तन में प्रवेश कर सकता है, जिससे इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है.
मिथ- आईवीएफ से ब्रेस्ट कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है.

सच्चाई- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया में अंडाशय या ओवरी को अंडे (Eggs) प्रोड्यूस करने के लिए कुछ दवाइयां दी जाती हैं. ये दवाएं एस्ट्रोजन की गतिविधि की नकल करती हैं. इस कारण से कुछ विशेषज्ञों का ये सोचना है कि क्या वे एस्ट्रोजन रिसेप्टर पॉजिटिव स्तन कैंसर के विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन कैंसर कोशिकाओं की झिल्ली पर एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स होते हैं. लेकिन इस तरह की किसी भी स्टडी में अब तक ये साबित नहीं हुई है कि आईवीएफ के दौरान ओवेरियन स्टिम्युलेशन ड्रग्स लेने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है.
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मिथ- ब्रेस्ट कैंसर होने की फैमिली हिस्ट्री नहीं है तो मुझे नहीं हो सकता है.
सच्चाई- ऐसा बिल्कुल नहीं है. अब ब्रेस्ट कैंसर जीवनकाल में कभी भी, किसी भी उम्र में हो सकता है. सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर ही जेनेटिक म्यूटेशन के कारण होते हैं. इसका मतलब है कि अधिकांश स्तन कैंसर के होने का कोई वंशानुगत कारण नहीं होता है. पारिवारिक इतिहास स्तन कैंसर के जोखिम का केवल एक कारक होता है, इसलिए स्क्रीनिंग करवाना बेहद ज़रूरी है. 40 वर्ष की आयु की प्रत्येक महिला को स्तन कैंसर के पारिवारिक इतिहास की परवाह किए बिना वार्षिक मैमोग्राम करवाना चाहिए.

मिथ- हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क कम होता है.
सच्चाई- ऐसा कुछ भी नहीं है जो ब्रेस्ट कैंसर होने के जोखिम को कम कर सकता है. सच ये भी है कि अधिक वजन वाली पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं में स्तन कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है. इतना ही नहीं, जो महिलाएं बाइलेटरल मास्टेक्टॉमी से गुजरती हैं, उनमें भी ब्रेस्ट कैंसर विकसित होने का खतरा रहता है. बावजूद इसके, आपको हर दिन स्मोकिंग और फास्ट फूड खाने की आदत से बचना चाहिए.

मिथ-स्तन में होने वाले सभी गांठ या लम्प ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण होते हैं.
सच्चाई- यह एक मिथक है. स्तन में सभी गांठ कैंसर नहीं होते हैं. ब्रेस्ट में होने वाले अधिकांश नए गांठ बिनाइन (Benign) यानी नॉन-कैंसरस होते हैं. ब्रेस्ट में होने वाली किसी भी नई गांठ को डॉक्टर से ज़रूर दिखाना चाहिए, ताकि पता चल सके कि बिनाइन है या मैलिग्नेंट.

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अंशुमाला
अंशुमाला हिंदी पत्रकारिता में डिप्लोमा होल्डर हैं. इन्होंने YMCA दिल्ली से हिंदी जर्नलिज्म की पढ़ाई की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 13 वर्षों से काम कर रही हैं. न्यूज 18 हिंदी में फरवरी 2022 से लाइफस्टाइ...और पढ़ें
अंशुमाला हिंदी पत्रकारिता में डिप्लोमा होल्डर हैं. इन्होंने YMCA दिल्ली से हिंदी जर्नलिज्म की पढ़ाई की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 13 वर्षों से काम कर रही हैं. न्यूज 18 हिंदी में फरवरी 2022 से लाइफस्टाइ... और पढ़ें
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