डायबिटीज के मरीजों को हो सकता है गैंगरीन, जानें क्यों होता है फुट अटैक का खतरा
Agency:Myupchar
Last Updated:
यदि डायबिटीज (Diabetes) 10 साल से ज्यादा पुरानी है तो शरीर की नसों में खून का थक्का (Blood Clot) जमने लगता है, इससे नसें सिकुड़नी शुरू हो जाती हैं.

रक्त में शुगर लेवल अनियंत्रित होने पर व्यक्ति डायबिटीज की बीमारी का शिकार हो जाता है. शुगर लेवल का बहुत अधिक बढ़ना भी खतरनाक होता है और ज्यादा कम शुगर होना भी खतरे का संकेत होता है. डायबिटीज के रोगियों में शुगर अनियंत्रित होने के कारण बहुत सी बीमारियां घर बना सकती हैं. हार्ट अटैक, हाई बीपी, पैरालिसिस या ब्रेन स्ट्रोक आदि बीमारियां तो खतरनाक होती ही हैं. ये बीमारियां डायबिटीज के रोगियों में होने की आशंका ज्यादा रहती है. डायबिटीज के रोगियों में इन सभी बीमारियों के अलावा फुट अटैक की आशंका भी सबसे ज्यादा होती है. आइए जानते है फुट अटैक क्या होता है और यह कैसे डायबिटीज के रोगियों में हो सकता है.
फुट अटैक की बीमारी क्या है
डायबिटीज होने पर शरीर में ब्लड शुगर जब बढ़ जाता है. यदि डायबिटीज 10 साल से ज्यादा पुरानी है तो शरीर की नसों में खून का थक्का जमने लगता है, इससे नसें सिकुड़नी शुरू हो जाती हैं. डायबिटीज के रोगियों में थक्का जमने के कारण हार्ट की नसें ब्लॉक हो सकती हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा रहता है. यदि डायबिटीज के रोगी के पैर की नसों में खून का थक्का जमने लगता है और इससे पैरों की नसें ब्लॉक हो जाएं, तो उनमें लेग अटैक या फुट अटैक हो सकता है. डायबिटीज होने पर रोगी के पैरों की नसें जाम होने पर पैर काला पड़ जाता है और इससे गैंगरीन की समस्या हो सकती है. डायबिटीज के मरीजों में छोटा सा भी जख्म हो जाए तो घाव भरने के बजाय ज्यादा बढ़ जाते हैं, जिससे पैर काटने तक की नौबत आ सकती है. यह समस्या होने पर व्यक्ति को अत्यधिक दर्द हो सकता है.
फुट अटैक के लक्षण
- यह समस्या के होने पर चलते समय दर्द होता है.
- कुछ समय बाद स्थित यह हो जाती है कि मरीज खड़ा भी नहीं हो पाता है और चलने में असमर्थ हो जाता है.
- यदि पैर में कोई घाव हो जाए और जल्दी ठीक नहीं हो रहा है तो यह भी फुट अटैक का ही लक्षण हो सकता है, इसलिए इसका तत्काल इलाज करवाना चाहिए.
ये है फुट अटैक का सही उपचार
- फुट अटैक के उपचार के लिए एंडोवास्कुलर उपचार का उपयोग किया जाता है. इसमें दिल की धमनियों में किए जाने वाले बैलूनिंग, स्टंटिंग की तरह ही पैरों की नसों का उपचार किया जाता है. इस दौरान बहुत छोटे से चीरे लगाए जाते हैं. इसके साथ ही पैरों की धमनियों में कैथेटर डाले जाते हैं, जिससे ब्लॉक हुए हिस्से तक पहुंचा जा सके. अवरुद्ध नसों को खोलने के लिए कैथेटर की मदद से एंजियोप्लास्टी भी की जा सकती है.
- फुट अटैक के लिए एक और उपचार अथ्रेक्टॉमी के द्वारा धमनियों के भीतर जमी हुई परत को हटाने के लिए कैथेटर के साथ शेविंग ब्लेड की तरह कार्य करने वाले घूमते हुए ब्लेड का इस्तेमाल किया जाता है.
खानपान में रखें सावधानी
फुट अटैक से बचने के लिए मरीज को खान-पान में विशेष सावधानी रखनी चाहिए. सबसे पहले तो अपना शुगर लेवल नियंत्रित रखना चाहिए. वहीं ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन और फाइबर युक्त डाइट लेनी चाहिए. नियमित रूप से 40-50 मिनट तक कोई भी कार्डियो एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. myUpchar से जुड़े डॉ. लक्ष्मीदत्ता शुक्ला के अनुसार, डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल पर ध्यान दें. नियमित व्यायाम इस बीमारी से दूर रख सकता है. अधिक जानकारी के लिए हमारा आर्टिकल, गाउट क्या है, इसके लक्षण, कारण, बचाव, उपचार और दवा पढ़ें. न्यूज18 पर स्वास्थ्य संबंधी लेख myUpchar.com द्वारा लिखे जाते हैं. सत्यापित स्वास्थ्य संबंधी खबरों के लिए myUpchar देश का सबसे पहला और बड़ा स्त्रोत है. myUpchar में शोधकर्ता और पत्रकार, डॉक्टरों के साथ मिलकर आपके लिए स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियां लेकर आते हैं.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
और पढ़ें