श्रमिकों से किराया वसूली को लेकर मोदी सरकार ने दी सफाई, कहा- ये बात कभी नहीं हुई
Agency:News18Hindi
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स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल (Lav Agarwal) ने कहा कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों से टिकट के पैसे लेने की कोई बात नहीं की है, क्योंकि उनके परिवहन का 85% रेलवे और 15% खर्च राज्य सरकारें उठा रही हैं...और पढ़ें

नई दिल्ली. कोरोना लॉकडाउन (Corona Lockdown) में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए रेलवे (Railway) की ओर से किराया वसूली को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने सवाल उठाए कि गुजरात में एक कार्यक्रम में ट्रांसपोर्ट और खाने पीने में 100 करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते हैं, फिर श्रमिकों के किराए में क्यों नहीं? अब इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सफाई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार की ओर से कभी भी श्रमिकों से ट्रेन किराया वसूलने की बात नहीं कही गई.
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल (Lav Agarwal) ने कहा कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों से टिकट के पैसे लेने की कोई बात नहीं की है, क्योंकि उनके परिवहन का 85 फीसदी हिस्सा रेलवे वहन कर रहा है, जबकि 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारें उठा रही हैं. सरकार ने यह भी कहा कि ‘एक-दो राज्यों को छोड़कर’ फंसे प्रवासी मजदूरों की यात्रा प्रक्रिया का समन्वय राज्य सरकारें ही कर रही हैं. यह पूछने पर कि क्या प्रवासी श्रमिकों को घर तक ले जाने के लिए पैसे लिए जा रहे हैं, तो अग्रवाल ने कहा कि जहां तक प्रवासी श्रमिकों की बात है तो दिशानिर्देशों में स्पष्ट बताया गया है कि संक्रामक बीमारी प्रबंधन के तहत जो जहां है उसे वहीं ठहरना चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल (Lav Agarwal) ने कहा कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों से टिकट के पैसे लेने की कोई बात नहीं की है, क्योंकि उनके परिवहन का 85 फीसदी हिस्सा रेलवे वहन कर रहा है, जबकि 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारें उठा रही हैं. सरकार ने यह भी कहा कि ‘एक-दो राज्यों को छोड़कर’ फंसे प्रवासी मजदूरों की यात्रा प्रक्रिया का समन्वय राज्य सरकारें ही कर रही हैं. यह पूछने पर कि क्या प्रवासी श्रमिकों को घर तक ले जाने के लिए पैसे लिए जा रहे हैं, तो अग्रवाल ने कहा कि जहां तक प्रवासी श्रमिकों की बात है तो दिशानिर्देशों में स्पष्ट बताया गया है कि संक्रामक बीमारी प्रबंधन के तहत जो जहां है उसे वहीं ठहरना चाहिए.
राज्यों के अनुरोध पर फंसे हुए लोगों की आवाजाही के लिए विशेष ट्रेन चलाने की अनुमति दी गई है। भारत सरकार द्वारा कभी भी श्रमिकों से ट्रेन किराया वसूलने की बात नहीं की गई है
85% किराया #indianrailway और 15% राज्य सरकार द्वारा द्वारा वहन किया जाएगा : @MoHFW_INDIA https://t.co/ovbRR3NZ7G
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) May 4, 2020
‘सरकार ने नहीं कही किराया लेने की बात’
लव अग्रवाल ने कहा, ‘कुछ मामलों में राज्यों के आग्रह पर विशेष ट्रेन चलाने की अनुमति दी गई. चाहे भारत सरकार हो या रेलवे, हमने मजदूरों से टिकट के पैसे लेने के बारे में बात नहीं की है. उनके परिवहन पर आने वाले 85 फीसदी लागत खर्च को रेलवे उठा रहा है जबकि राज्यों को 15 फीसदी लागत खर्च उठाना है.’ अग्रवाल ने कहा, ‘राज्यों के आग्रह पर किसी निश्चित कारण से सीमित संख्या में फंसी प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाना है जिसका समन्वय एक-दो राज्यों को छोड़कर अधिकतर राज्य सरकारें खुद कर रही हैं.’
24 घंटे में कोरोना के 1074 मरीज ठीक हुए
अग्रवाल ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1074 रोगी ठीक हुए हैं जो एक दिन में ठीक होने वाले रोगियों की सर्वाधिक संख्या है. उन्होंने कहा कि ठीक होने की दर 27.52 फीसदी है और 11,706 रोगी अभी तक ठीक हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 2553 मामले सामने आए जिससे कुल मामलों की संख्या 42,533 हो गई है. कुल सक्रिय मामलों की संख्या 29,453 है. संयुक्त सचिव ने कहा कि फिलहाल कोविड-19 का ग्राफ सपाट है और यह कहना ठीक नहीं है कि इसका चरम बिंदु कब आएगा.
(भाषा इनपुट के साथ)
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