अलवर: सर्जिकल वार्ड के मरीजों के साथ टीबी रोगियों के भर्ती होने से संक्रमण का खतरा बढ़ा
Agency:News18 Rajasthan
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आरोप है कि अस्पताल में बने सर्जिकल वार्ड में ऑपरेशन के बाद भर्ती किए गए मरीजों के साथ ही टीबी के मरीजों को भी भर्ती किया जा रहा है. डॉक्टरों के इस लापरवाही के चलते वार्ड में संक्रमण का खतरा बना हुआ है.

राजस्थान में अलवर के सबसे बड़े राजकीय सामान्य चिकित्सालय में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किए जाने का मामला सामने आया है. आरोप है कि अस्पताल में बने सर्जिकल वार्ड में ऑपरेशन के बाद भर्ती किए गए मरीजों के साथ ही टीबी के मरीजों को भी भर्ती किया जा रहा है. डॉक्टरों के इस लापरवाही के चलते वार्ड में संक्रमण का खतरा बना हुआ है.
चिकित्सा प्रशासन की लापरवाही के चलते वार्डों में मौजूद चिकित्सा कर्मी मुक दर्शक बने हुए हैं. मरीज और उनके परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद उनके मरीज को जिस वार्ड में भर्ती किया गया है उसी में टीबी से पीड़ित मरीजों को भी भर्ती किया जा रहा है. प्रशासन से शिकायत के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जबकि टीबी के मरीजों के लिए बनाया गया फ्लोटिंग वार्ड पूरी तरह खाली है और उस पर ताला लगा हुआ.
वहीं इस संबंध में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी भगवान सहाय का कहना है कि सामान्य चिकित्सालय में टीबी के मरीजों के लिए अलग वार्ड नहीं है. ऐसे में इन वार्डों में भी टीबी के मरीजों को रखना उनकी मजबूरी है. हालांकि उन्होंने कहा कि अस्पताल के जीर्णोद्धार के लिए 3,00,000 रुपए का बजट आया है, जिससे चार अलग बेड बनवाया जा सकता है ताकि टीबी के मरीजों को उसमें रखा जा सके.
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चिकित्सा प्रशासन की लापरवाही के चलते वार्डों में मौजूद चिकित्सा कर्मी मुक दर्शक बने हुए हैं. मरीज और उनके परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद उनके मरीज को जिस वार्ड में भर्ती किया गया है उसी में टीबी से पीड़ित मरीजों को भी भर्ती किया जा रहा है. प्रशासन से शिकायत के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जबकि टीबी के मरीजों के लिए बनाया गया फ्लोटिंग वार्ड पूरी तरह खाली है और उस पर ताला लगा हुआ.
वहीं इस संबंध में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी भगवान सहाय का कहना है कि सामान्य चिकित्सालय में टीबी के मरीजों के लिए अलग वार्ड नहीं है. ऐसे में इन वार्डों में भी टीबी के मरीजों को रखना उनकी मजबूरी है. हालांकि उन्होंने कहा कि अस्पताल के जीर्णोद्धार के लिए 3,00,000 रुपए का बजट आया है, जिससे चार अलग बेड बनवाया जा सकता है ताकि टीबी के मरीजों को उसमें रखा जा सके.
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