पुलिस ने बंदियों को अर्द्धनग्न कर निकाला जुलूस, मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
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Agency:News18 Rajasthan
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अलवर (Alwar) के बहरोड़ थाने पर AK-47 से हमला करवाकर फरार होने वाले हार्डकोर अपराधी विक्रम उर्फ पपला गुर्जर (Hardcore criminal Vikram alias Papala Gurjar) के गिरफ्तार साथी बदमाशों (Punks) से जुड़ा मामला अब मानवाधिकार आयोग (Human rights commission) पहुंच गया है.

अलवर. राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ थाने पर AK-47 से हमला करवाकर फरार होने वाले हार्डकोर अपराधी विक्रम उर्फ पपला गुर्जर (Hardcore criminal Vikram alias Papala Gurjar) के गिरफ्तार साथी बदमाशों (Punks) से जुड़ा मामला अब मानवाधिकार आयोग (Human rights commission) पहुंच गया है. पुलिस ने बहरोड़ थाना लॉकअप ब्रेक कांड (Behror Police Station Lockup Brake Case) में गिरफ्तार किए गए 13 आरोपियों को दो दिन पहले अर्द्धनग्न कर बाजार में उनका जुलूस ( procession) निकाला था. इस पर मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी से पुलिस (police) का पक्ष मांगकर पूछा है कि क्या यह बंदियों के मानवाधिकारों का हनन नहीं है ? आयोग ने पुलिस और राज्य सरकार से उनका पक्ष मांगा है.
आयोग ने कहा यदि कानून में कमी है तो उसे दूर करें
आयोग अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि जनता को आतंकित रखना गंभीर अपराध है. लेकिन कानून में प्रावधान नहीं होने के चलते अपराधी तुरंत जमानत पर रिहा हो जाते हैं. इससे पुलिस और प्रशासन से भी जनता का भरोसा डगमगाता है. आयोग ने कहा है कि यदि कानून में कमी है तो उसे दूर करने पर तत्काल विचार होना चाहिए. मामले में गृह सचिव भी राज्य सरकार का पक्ष रख सकते हैं, लेकिन आयोग ने कहा है कि पुलिस की रिपोर्ट हू-ब-हू पेश ना की जाए. आयोग ने जनता को आतंकित करने वालों को सजा दिलवाने में जहां प्रावधानों का अभाव बताया है, वहीं बंदियों को हथकड़ी लगाकर अर्द्धनग्न घुमाने के मामले में पूछा है कि यह मानवाधिकारों का हनन कैसे नहीं है ?
पुलिस ने शिनाख्ती परेड नाम दिया था
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले रविवार को अलवर पुलिस ने बहरोड़ थाना लॉकअप ब्रेक कांड के आरोप में पकड़े गए 13 आरोपियों को अर्द्धनग्न कर भारी पुलिस जाब्ते के बीच बहरोड़ शहर की सड़कों पर घुमाया था. पुलिस ने शिनाख्ती परेड नाम दिया था.
पुलिस का यह तर्क था
इसको लेकर भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक अमनदीप सिंह कपूर का तर्क था क्षेत्र में बदमाशों का आतंक बना हुआ था. इससे आम आदमी अपने आप को बहुत डरा हुआ महसूस कर रहा था. इसलिए पुलिस ने लोगों के मन से वह डर बाहर निकालने के लिए बदमाशों का यह जुलूस निकाला है. इस जुलूस के माध्यम यह मैसेज देने की कोशिश की गई है कि सभी लोग बदमाशों के खिलाफ खड़े हों और पुलिस का साथ दें. बदमाशों का यही हाल होगा जो आप सड़क पर देख रहे हैं.
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आयोग ने कहा यदि कानून में कमी है तो उसे दूर करें
आयोग अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि जनता को आतंकित रखना गंभीर अपराध है. लेकिन कानून में प्रावधान नहीं होने के चलते अपराधी तुरंत जमानत पर रिहा हो जाते हैं. इससे पुलिस और प्रशासन से भी जनता का भरोसा डगमगाता है. आयोग ने कहा है कि यदि कानून में कमी है तो उसे दूर करने पर तत्काल विचार होना चाहिए. मामले में गृह सचिव भी राज्य सरकार का पक्ष रख सकते हैं, लेकिन आयोग ने कहा है कि पुलिस की रिपोर्ट हू-ब-हू पेश ना की जाए. आयोग ने जनता को आतंकित करने वालों को सजा दिलवाने में जहां प्रावधानों का अभाव बताया है, वहीं बंदियों को हथकड़ी लगाकर अर्द्धनग्न घुमाने के मामले में पूछा है कि यह मानवाधिकारों का हनन कैसे नहीं है ?
मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया। फोटो : न्यूज 18 राजस्थान ।
पुलिस ने शिनाख्ती परेड नाम दिया था
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले रविवार को अलवर पुलिस ने बहरोड़ थाना लॉकअप ब्रेक कांड के आरोप में पकड़े गए 13 आरोपियों को अर्द्धनग्न कर भारी पुलिस जाब्ते के बीच बहरोड़ शहर की सड़कों पर घुमाया था. पुलिस ने शिनाख्ती परेड नाम दिया था.
पुलिस का यह तर्क था
इसको लेकर भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक अमनदीप सिंह कपूर का तर्क था क्षेत्र में बदमाशों का आतंक बना हुआ था. इससे आम आदमी अपने आप को बहुत डरा हुआ महसूस कर रहा था. इसलिए पुलिस ने लोगों के मन से वह डर बाहर निकालने के लिए बदमाशों का यह जुलूस निकाला है. इस जुलूस के माध्यम यह मैसेज देने की कोशिश की गई है कि सभी लोग बदमाशों के खिलाफ खड़े हों और पुलिस का साथ दें. बदमाशों का यही हाल होगा जो आप सड़क पर देख रहे हैं.
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