चीन ने उठाया कश्मीर का मुद्दा, विदेश मंत्री ने ये जवाब देकर कर दी बोलती बंद
Agency:News18Hindi
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एस. जयशंकर की तीन दिवसीय चीन (China) यात्रा ऐसे समय हुई है, जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच माहौल तनावपूर्ण है.

भारत और चीन के बीच बीजिंग में वार्ता के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. jaishankar) ने साफ कह दिया कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) मसला भारत का आंतरिक मुद्दा है. भारतीय संविधान (Constitution) के एक अस्थायी प्रावधान में बदलाव करना भारत सरकार का विशेषाधिकार है.
वहीं, एस. जयशंकर की चीन के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के कुछ घंटों बाद भारत सरकार की ओर से दोहराया गया कि दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा. बता दें कि दोनों देशों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण (LAC) है. अब तक दोनों देशों के बीच सीमा विवाद (Border Dispute) को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि स्तर की 21 दौर की बातचीत हो चुकी है.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को बताया सरकार का विशेषाधिकार
एस. जयशंकर की तीन दिवसीय चीन (China) यात्रा ऐसे समय हुई है, जब जम्मू-कश्मीर (Jammu-kashmir) से अनुच्छेद-370 (Article-370) हटाने के बाद भारत और पाकिस्तान (India and pakistan) के बीच माहौल तनावपूर्ण है. सरकार के बयान में बताया गया है कि जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) के साथ द्विपक्षीय मुलाकात की. इस दौरान उन्हें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने और सूबे को दो केंद्रशासित राज्यों में बांटने के लिए संसद में पारित किए विधेयक के बारे में भी बताया गया.
जयशंकर ने वांग यी से कहा, जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा है
भारत के विदेश मंत्री ने वांग से स्पष्ट तौर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर का मसला भारत का आंतरिक मुद्दा है. भारतीय संविधान के एक अस्थायी प्रावधान में बदलाव करना भारत सरकार का विशेषाधिकार है. वहीं, भारत की ओर से चीन से सटे किसी नए क्षेत्र पर दावा नहीं किया गया है. मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच सीमा (Border) या वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ. भारत ने किसी नए क्षेत्र पर दावा नहीं करके चीन की चिंता को खत्म कर दिए.
भारत ने किया स्पष्ट, द्विपक्षीय संबंध साझा संवेदनशीलता पर हैं निर्भर
केंद्र सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, भारत-चीन सीमा को लेकर दोनों देश 2005 के राजनीतिक मापदंडों और सिद्धांतों के आधार पर स्पष्ट, तर्कसंगत व दोनों देशों को स्वीकार्य समाधान पर सहमत हैं. भारत और चीन द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए बेहतर कदम उठाने पर भी सहमत हैं. नई दिल्ली की ओर से जोर देकर कहा गया कि दोनों देशों के संबंधों का भविष्य हमारी चिंताओं पर साझा संवेदनशीलता पर निर्भर है. भारत की ओर से चीन को स्पष्ट कर दिया गया कि हमारे बीच अगर कोई मतभेद है तो वह विवाद में तब्दील नहीं होना चाहिए.
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अब पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने भारत को दी युद्ध की गीदड़ भभकी
वहीं, एस. जयशंकर की चीन के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के कुछ घंटों बाद भारत सरकार की ओर से दोहराया गया कि दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा. बता दें कि दोनों देशों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण (LAC) है. अब तक दोनों देशों के बीच सीमा विवाद (Border Dispute) को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि स्तर की 21 दौर की बातचीत हो चुकी है.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को बताया सरकार का विशेषाधिकार
एस. जयशंकर की तीन दिवसीय चीन (China) यात्रा ऐसे समय हुई है, जब जम्मू-कश्मीर (Jammu-kashmir) से अनुच्छेद-370 (Article-370) हटाने के बाद भारत और पाकिस्तान (India and pakistan) के बीच माहौल तनावपूर्ण है. सरकार के बयान में बताया गया है कि जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) के साथ द्विपक्षीय मुलाकात की. इस दौरान उन्हें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने और सूबे को दो केंद्रशासित राज्यों में बांटने के लिए संसद में पारित किए विधेयक के बारे में भी बताया गया.
जयशंकर ने वांग यी से कहा, जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा है
भारत के विदेश मंत्री ने वांग से स्पष्ट तौर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर का मसला भारत का आंतरिक मुद्दा है. भारतीय संविधान के एक अस्थायी प्रावधान में बदलाव करना भारत सरकार का विशेषाधिकार है. वहीं, भारत की ओर से चीन से सटे किसी नए क्षेत्र पर दावा नहीं किया गया है. मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच सीमा (Border) या वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ. भारत ने किसी नए क्षेत्र पर दावा नहीं करके चीन की चिंता को खत्म कर दिए.
भारत ने किया स्पष्ट, द्विपक्षीय संबंध साझा संवेदनशीलता पर हैं निर्भर
केंद्र सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, भारत-चीन सीमा को लेकर दोनों देश 2005 के राजनीतिक मापदंडों और सिद्धांतों के आधार पर स्पष्ट, तर्कसंगत व दोनों देशों को स्वीकार्य समाधान पर सहमत हैं. भारत और चीन द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए बेहतर कदम उठाने पर भी सहमत हैं. नई दिल्ली की ओर से जोर देकर कहा गया कि दोनों देशों के संबंधों का भविष्य हमारी चिंताओं पर साझा संवेदनशीलता पर निर्भर है. भारत की ओर से चीन को स्पष्ट कर दिया गया कि हमारे बीच अगर कोई मतभेद है तो वह विवाद में तब्दील नहीं होना चाहिए.
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