इंदिरा गांधी के बचपन के दिलचस्प किस्से, जब उन्होंने अपनी गुड़िया को आग के हवाले किया
Agency:News18Hindi
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इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के बचपन को लेकर कई किस्से हैं. एक बार उन्होंने कहा था कि उनका बचपन अकेलेपन में बीता..

देश की सबसे ताकतवर राजनीतिक शख्सियतों का नाम लिया जाएगा तो इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का नाम जरूर आएगा. भारत के सबसे ताकतवर परिवार में जन्म लेने वाली इंदिरा गांधी के हिस्से में राजनीतिक कामयाबी के कई किस्से दर्ज हैं तो विवादों के छींटे भी हैं. इंदिरा गांधी के लिए राजनीतिक फैसलों (political decisions) पर आज भी बहस होती है.
इंदिरा गांधी ने बचपन से ही राजनीति को करीब से देखा था. 1917 में जब इंदिरा गांधी का जन्म हुआ उनके पिता जवाहलाल नेहरू स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे. स्वतंत्रता आंदोलन में अपने पिता की सक्रियता से लेकर आजाद भारत में उनकी राजनीति को करीब से देखते हुए वो बड़ी हुईं.
3 साल से ही शुरू हो गई थी पब्लिक लाइफ
इंदिरा गांधी का बचपन अकेलपन में बीता. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके माता-पिता अक्सर जेल में होते. इलाहाबाद के उनके घर पर पुलिस की रेड पड़ती रहती. घर में पुलिस का आना-जाना लगा रहता. बचपन में इन सारी बातों के अनुभव ने ही शायद इंदिरा गांधी की शख्सियत को इतना ताकतवर बनाया.
एक बार इंदिरा गांधी ने अपने बचपन की चर्चा करते हुए कहा था कि उनकी पब्लिक लाइफ 3 साल की उम्र में ही शुरू हो गई थी. इंदिरा ने कहा था- ‘मुझे बचपन के खेलों की कुछ याद नहीं है. मुझे याद नहीं है कि बचपन में मैं दूसरे बच्चों के साथ कभी खेला करती थी. मुझे लगता है कि बचपन में जो काम मैं सबसे ज्यादा करती थी, वो था- एक ऊंचे टेबल पर खड़े होकर नौकरों को वजनदार आवाज में भाषण देना. मेरे बचपन के खेल भी राजनीतिक हुआ करते थे.’
इंदिरा गांधी ने कहा था- मेरे घर का माहौल नॉर्मल नहीं था
इंदिरा गांधी का बचपन आसान नहीं था. परिवार की स्वतंत्रता आंदोलन में अत्यधिक सक्रियता की वजह से इंदिरा को अपने बचपन में मां-बाप का ज्यादा साथ नहीं मिला. लेकिन उस वक्त की परिस्थितियों की वजह से इंदिरा के मजबूत व्यक्तित्व का निर्माण हुआ. एक बार इंदिरा गांधी ने कहा था- ‘मैं धुन की पक्की थी. घर में हर वक्त तनाव का माहौल रहता था. घर के किसी सदस्य की लाइफ नॉर्मल नहीं थी. घर पर कभी पुलिस का छापा पड़ता, कभी गिरफ्तारी होती. इन सबसे मानसिक तनाव बना रहता था. ये सारी चीजें पब्लिक में होती’
इंदिरा गांधी के बचपन पर उनकी मां कमला नेहरू की बीमारी का असर भी पड़ा. मां की बीमारी की वजह से उनका बचपन और भी मुश्किल हो गया. हालांकि इंदिरा का मानना था कि मां की वजह से ही वो भारतीय संस्कार और परंपरा को अच्छे तरह से समझ पाईं. इंदिरा गांधी कहा करती थी कि उनकी हिंदी उनके पिता जवाहरलाल नेहरू से भी अच्छी थी, और ये उनकी मां कमला नेहरू की वजह से था.
इंदिरा की भारतीयता और हिंदू परंपरा वाली भारतीयता पर उनकी मां कमला नेहरू की छाप थी. एकबार ये पूछे जाने पर कि उनकी मां की किस चीज का उन पर सबसे ज्यादा असर पड़ा. इंदिरा गांधी ने कहा था कि ‘मैंने अपनी मां को दुखी होते देखा था. मैंने उसी वक्त सोच लिया था कि कुछ भी हो जाए मैं दुखी नहीं होऊंगी.’
जब इंदिरा गांधी ने अपनी डॉल को आग के हवाले कर दिया
इंदिरा गांधी ने अपनी परिवार की परंपरा का पालन करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्सा लिया. बचपन में वो जो कर सकती थीं, उन्होंने किया. स्वतंत्रता आंदोलन में सड़कों पर उतरकर ही हिस्सा नहीं लिया जा सकता था. उनदिनों ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार करके भी लोग स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन कर रहे थे. इंदिरा गांधी को अपने बचपन में विदेशी सामान से बड़ा लगाव था. जब वो सिर्फ 5 साल की थीं तो उन्होंने अपनी सबसे प्यारी डॉल को आग के हवाले कर दिया था, क्योंकि वो डॉल इंग्लैंड में बनी थी.
इंदिरा गांधी जब 12 साल की हुईं तो उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी ज्यादा बड़ी भूमिका तलाश ली. स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने बच्चों की वानर सेना का नेतृत्व किया. वानर सेना का आयडिया रामायण से आई थी. जैसे रावण के खिलाफ युद्ध में प्रभु श्रीराम की सेना में वानरों ने मदद की थी. उसी तर्ज पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बच्चों की वानर सेना बनाई गई थी.
इसका नेतृत्व इंदिरा गांधी ने किया था. इंदिरा गांधी की वानर सेना में करीब 60 हजार बच्चे और किशोर आंदोलनकारी थे. इनका काम इनवेलअप और झंडे-पोस्टर बनाना और आंदोलनकारियों तक संदेश पहुंचाना था. ये काम भी कम खतरनाक नहीं था. लेकिन इंदिरा गांधी ने अपने नेतृत्व में इसे अच्छे से अंजाम दिया.
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इंदिरा गांधी ने बचपन से ही राजनीति को करीब से देखा था. 1917 में जब इंदिरा गांधी का जन्म हुआ उनके पिता जवाहलाल नेहरू स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे. स्वतंत्रता आंदोलन में अपने पिता की सक्रियता से लेकर आजाद भारत में उनकी राजनीति को करीब से देखते हुए वो बड़ी हुईं.
3 साल से ही शुरू हो गई थी पब्लिक लाइफ
इंदिरा गांधी का बचपन अकेलपन में बीता. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके माता-पिता अक्सर जेल में होते. इलाहाबाद के उनके घर पर पुलिस की रेड पड़ती रहती. घर में पुलिस का आना-जाना लगा रहता. बचपन में इन सारी बातों के अनुभव ने ही शायद इंदिरा गांधी की शख्सियत को इतना ताकतवर बनाया.
एक बार इंदिरा गांधी ने अपने बचपन की चर्चा करते हुए कहा था कि उनकी पब्लिक लाइफ 3 साल की उम्र में ही शुरू हो गई थी. इंदिरा ने कहा था- ‘मुझे बचपन के खेलों की कुछ याद नहीं है. मुझे याद नहीं है कि बचपन में मैं दूसरे बच्चों के साथ कभी खेला करती थी. मुझे लगता है कि बचपन में जो काम मैं सबसे ज्यादा करती थी, वो था- एक ऊंचे टेबल पर खड़े होकर नौकरों को वजनदार आवाज में भाषण देना. मेरे बचपन के खेल भी राजनीतिक हुआ करते थे.’
इंदिरा गांधी ने कहा था- मेरे घर का माहौल नॉर्मल नहीं था
इंदिरा गांधी का बचपन आसान नहीं था. परिवार की स्वतंत्रता आंदोलन में अत्यधिक सक्रियता की वजह से इंदिरा को अपने बचपन में मां-बाप का ज्यादा साथ नहीं मिला. लेकिन उस वक्त की परिस्थितियों की वजह से इंदिरा के मजबूत व्यक्तित्व का निर्माण हुआ. एक बार इंदिरा गांधी ने कहा था- ‘मैं धुन की पक्की थी. घर में हर वक्त तनाव का माहौल रहता था. घर के किसी सदस्य की लाइफ नॉर्मल नहीं थी. घर पर कभी पुलिस का छापा पड़ता, कभी गिरफ्तारी होती. इन सबसे मानसिक तनाव बना रहता था. ये सारी चीजें पब्लिक में होती’
इंदिरा गांधी ने एक बार कहा था कि उनकी पब्लिक लाइफ 3 साल से ही शुरू हो गई थी
इंदिरा गांधी के बचपन पर उनकी मां कमला नेहरू की बीमारी का असर भी पड़ा. मां की बीमारी की वजह से उनका बचपन और भी मुश्किल हो गया. हालांकि इंदिरा का मानना था कि मां की वजह से ही वो भारतीय संस्कार और परंपरा को अच्छे तरह से समझ पाईं. इंदिरा गांधी कहा करती थी कि उनकी हिंदी उनके पिता जवाहरलाल नेहरू से भी अच्छी थी, और ये उनकी मां कमला नेहरू की वजह से था.
इंदिरा की भारतीयता और हिंदू परंपरा वाली भारतीयता पर उनकी मां कमला नेहरू की छाप थी. एकबार ये पूछे जाने पर कि उनकी मां की किस चीज का उन पर सबसे ज्यादा असर पड़ा. इंदिरा गांधी ने कहा था कि ‘मैंने अपनी मां को दुखी होते देखा था. मैंने उसी वक्त सोच लिया था कि कुछ भी हो जाए मैं दुखी नहीं होऊंगी.’
जब इंदिरा गांधी ने अपनी डॉल को आग के हवाले कर दिया
इंदिरा गांधी ने अपनी परिवार की परंपरा का पालन करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्सा लिया. बचपन में वो जो कर सकती थीं, उन्होंने किया. स्वतंत्रता आंदोलन में सड़कों पर उतरकर ही हिस्सा नहीं लिया जा सकता था. उनदिनों ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार करके भी लोग स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन कर रहे थे. इंदिरा गांधी को अपने बचपन में विदेशी सामान से बड़ा लगाव था. जब वो सिर्फ 5 साल की थीं तो उन्होंने अपनी सबसे प्यारी डॉल को आग के हवाले कर दिया था, क्योंकि वो डॉल इंग्लैंड में बनी थी.
फिरोज गांधी के साथ इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी जब 12 साल की हुईं तो उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी ज्यादा बड़ी भूमिका तलाश ली. स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने बच्चों की वानर सेना का नेतृत्व किया. वानर सेना का आयडिया रामायण से आई थी. जैसे रावण के खिलाफ युद्ध में प्रभु श्रीराम की सेना में वानरों ने मदद की थी. उसी तर्ज पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बच्चों की वानर सेना बनाई गई थी.
इसका नेतृत्व इंदिरा गांधी ने किया था. इंदिरा गांधी की वानर सेना में करीब 60 हजार बच्चे और किशोर आंदोलनकारी थे. इनका काम इनवेलअप और झंडे-पोस्टर बनाना और आंदोलनकारियों तक संदेश पहुंचाना था. ये काम भी कम खतरनाक नहीं था. लेकिन इंदिरा गांधी ने अपने नेतृत्व में इसे अच्छे से अंजाम दिया.
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