आरा लोकसभा सीट: क्या इस सीट पर टूटेगा 'सिर्फ एक बार जीत' का मिथक?
Agency:News18 Bihar
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बीते तीस सालों से आरा लोकसभा सीट पर एक मिथक बना हुआ है. वह यह है कि यहां कोई प्रत्याशी दूसरी बार नहीं जीतता.

बीते तीस सालों से आरा लोकसभा सीट पर एक मिथक बना हुआ है. वह यह है कि यहां कोई प्रत्याशी दूसरी बार नहीं जीतता. 1989 के चुनाव के बाद से यहां लगातार दो बार कोई भी प्रत्याशी नहीं जीता है. हालांकि यहां हमेशा ऐसा नहीं रहा. शुरुआती कई चुनावों मे लगातार यहां कांग्रेस के प्रत्याशी बलिराम भगत का एकछत्र कब्जा रहा. 2014 में यहां से बीजेपी उम्मीदवार आरके सिंह चुनाव जीते थे.
सीट का इतिहास
1952 में यह सीट पटना साहाबाद सीट हुआ करती थी. उस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बलिराम भगत चुनाव जीते थे. इसके बाद 25 सालों तक वो यहां के सांसद रहे. पटना के ही यादव परिवार में जन्में बलिराम भगत कांग्रेस से आजादी के पहले जुड़े थे. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था. पटना युनिवर्सिटी से इकॉनोमिक्स में एमए बलिराम भगत 1963 और 1967 वित्त राज्य मंत्री रहे. 1967 में कम समय के लिए रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री भी रहे. इंदिरा गांधी सरकार में उन्हें कई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो मिले. 1976 से 77 तक वो लोकसभा के स्पीकर भी रहे.
1977 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के चंद्रदेव प्रसाद वर्मा जीते. वर्मा ने यह सीट 1980 में भी जीती. 1984 में इस सीट पर एक बार फिर बलिराम भगत ने कब्जा जमाया और राजीव गांधी की प्रचंड बहुमत से बनी सरकार में विदेश मंत्री रहे. वो राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के गवर्नर पद पर भी रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में आरा सीट पर इंडियन पीपुल्स फ्रंट के रामेश्वर प्रसाद जीते तो 1991 में जनता दल के राम लखन यादव ने विजय पायी. 1996 के चुनाव में इस सीट पर एक बार फिर जनता दल के टिकट पर चंद्र देव प्रसाद वर्मा जीते. समता पार्टी के एचपी सिंह ने 1998 में इस सीट पर विजय पाई. 1999 में आरजेडी के राम प्रसाद सिंह जीते तो 2004 में आरजेडी के कांति सिंह जीते. 2009 के चुनाव में जेडीयू की मीना सिंह ने इस सीट पर कब्जा जमाया. बीजेपी के लिए इस सीट का रास्ता 2014 में ही जाकर खुल पाया.
कौन हैं प्रत्याशी
इस बार के चुनाव में बीजेपी पूर्व आईएएस अधिकारी आरके सिंह को उम्मीदवार बनाया है. वहीं विपक्षी गठबंधन के तहत ये सीपीआई माले को मिली है. यहां सीपीआई माले के उम्मीदवार राजू यादव हैं.
राजनीतिक और सामाजिक समीकरण
आरा लोकसभा सीट में कुल सात विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से पांच पर एनडीए गठबंधन का कब्जा है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार आरके सिंह को 3,91,074 वोट मिले थे. आरजेडी प्रत्याशी श्रीभगवान कुशवाहा को 2,55,204 वोट मिले थे. 57.81 प्रतिशत पुरुषों और 42.19 प्रतिशत महिलाओं ने वोट किया था.
यह भी पढ़ें: सुपौल लोकसभा सीट: एकजुट एनडीए के सामने जीत दोहरा पाएंगी रंजीत रंजन?
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सीट का इतिहास
1952 में यह सीट पटना साहाबाद सीट हुआ करती थी. उस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बलिराम भगत चुनाव जीते थे. इसके बाद 25 सालों तक वो यहां के सांसद रहे. पटना के ही यादव परिवार में जन्में बलिराम भगत कांग्रेस से आजादी के पहले जुड़े थे. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था. पटना युनिवर्सिटी से इकॉनोमिक्स में एमए बलिराम भगत 1963 और 1967 वित्त राज्य मंत्री रहे. 1967 में कम समय के लिए रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री भी रहे. इंदिरा गांधी सरकार में उन्हें कई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो मिले. 1976 से 77 तक वो लोकसभा के स्पीकर भी रहे.
रोमानिया के राष्ट्रपति के साथ बलिराम भगत (बाएं)
1977 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के चंद्रदेव प्रसाद वर्मा जीते. वर्मा ने यह सीट 1980 में भी जीती. 1984 में इस सीट पर एक बार फिर बलिराम भगत ने कब्जा जमाया और राजीव गांधी की प्रचंड बहुमत से बनी सरकार में विदेश मंत्री रहे. वो राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के गवर्नर पद पर भी रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में आरा सीट पर इंडियन पीपुल्स फ्रंट के रामेश्वर प्रसाद जीते तो 1991 में जनता दल के राम लखन यादव ने विजय पायी. 1996 के चुनाव में इस सीट पर एक बार फिर जनता दल के टिकट पर चंद्र देव प्रसाद वर्मा जीते. समता पार्टी के एचपी सिंह ने 1998 में इस सीट पर विजय पाई. 1999 में आरजेडी के राम प्रसाद सिंह जीते तो 2004 में आरजेडी के कांति सिंह जीते. 2009 के चुनाव में जेडीयू की मीना सिंह ने इस सीट पर कब्जा जमाया. बीजेपी के लिए इस सीट का रास्ता 2014 में ही जाकर खुल पाया.
कौन हैं प्रत्याशी
इस बार के चुनाव में बीजेपी पूर्व आईएएस अधिकारी आरके सिंह को उम्मीदवार बनाया है. वहीं विपक्षी गठबंधन के तहत ये सीपीआई माले को मिली है. यहां सीपीआई माले के उम्मीदवार राजू यादव हैं.
विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार राजू यादव
राजनीतिक और सामाजिक समीकरण
आरा लोकसभा सीट में कुल सात विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से पांच पर एनडीए गठबंधन का कब्जा है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार आरके सिंह को 3,91,074 वोट मिले थे. आरजेडी प्रत्याशी श्रीभगवान कुशवाहा को 2,55,204 वोट मिले थे. 57.81 प्रतिशत पुरुषों और 42.19 प्रतिशत महिलाओं ने वोट किया था.
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