इस चुनाव में कितने गठबंधन, कौन किसके साथ, जानें 2019 के चुनाव के बारे में सबकुछ
Agency:News18Hindi
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मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कौन, यूपीए या फेडरल फ्रंट?

लोकसभा चुनाव 2019 में राजनैतिक दलों के महागठबंधन को लेकर कई तरह के अनुमान लगे थे. माना जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट हो सकता है. लेकिन कई मंचों पर विपक्षी पार्टियों के साथ आने और कई स्तर की बैठकों के बाद भी चुनाव पूर्व महागठबंधन मूर्त रूप नहीं ले पाया.
हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में कुल पांच तरह के गठबंधन उभरे हैं. अबकी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) पूर्व घोषित में हैं तो समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP)के नेतृत्व वाला फेडरल फ्रंट भी मैदान में है. भले आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPM) ने साथ आने की घोषणा ना की हो पर वे किसी हाल में नरेंद्र मोदी को वापस नहीं आने देना चाहते. जबकि तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), बीजू जनता दल (BJD) और भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (INLD) जैसी खुद पर भरोसा रखने वाली पार्टियां हैं जो एक नया रास्ता बना सकती है. ऐसे में ये पांच गठबंधन हैं जो 2019 में प्रभावी होंगे.
1. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)
2. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA)
3. फेडरल फ्रंट
4. मोदी विरोधी पार्टियों का अघोषित गठबंधन
5. अलग-थलग पड़ी पार्टियों अघोषित गठबंधन
आइए, लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन और उनकी ताकतों जान लेते हैं.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का नया स्वरूप
देश की मौजूदा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार NDA की है. इसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी करती है. पिछले चुनावों की तुलना में इस बार इस NDA का स्वरूप बदल गया है. अबकी इसमें ये प्रमुख पार्टियां शामिल हैं.
1. भारतीय जनता पार्टी (BJP)
2. जनता दल (यूनाइटेड) JDU
3. शिव सेना
4. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP)
5. अपना दल
6. अकाली दल
7. ऑल इंडिया अन्ना द्रविण मुनेत्र कड़गम (AIADMK)
8. पताली मक्कल कांची (PMK)
NDA की ताकत, उत्तर से दक्षिण गहरी हैं जड़ें
भारतीय जनता पार्टी (BJP): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी अगुवाई करते हैं. अमित शाह इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पिछले चुनाव में इस पार्टी कुल 282 सीटें हासिल की थीं.
जनता दल यूनाइटेड (JDU): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पार्टी के मुखिया हैं. पिछले चुनाव में इस पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली थी.
चुनावों में प्रधानमंत्री को कैसे मिला विमान के इस्तेमाल का अधिकार
शिव सेनाः उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में कुल 18 सीटें जीती थीं. महाराष्ट्र में यह पार्टी मजबूत है.
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP): पिछले चुनाव में बिहार की 6 सीटें जीतने वाली इस पार्टी का नेतृत्व राम विलास पासवान करते हैं.
अपना दलः पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी की मुखिया अनुप्रिया पटेल हैं. पिछले चुनाव में इसने 2 सीटें जीती थीं.
अकाली दलः पंजाब में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी की अगुवाई प्रकाश सिंह बादल करते हैं. पिछले चुनाव में इस पार्टी ने 4 सीटें जीती थीं.
ऑल इंडिया अन्ना द्रविण मुनेत्र कड़गम(AIADMK): तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में 37 सीटें जीती थीं. जयललिता के निधन के बाद यह इस पार्टी का पहला लोकसभा चुनाव है.
पताली मक्कल कांची (PMK): तमिलनाडु में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव ने 1 सीट जीती थीं. इसके मुखिया एस रामादास हैं.
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) में हैं ये पार्टियां
यूपीए का नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) करती है. ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस ऐसे प्रयास कर रही है कि यूपीए में नरेंद्र मोदी के सभी विरोधियों को शामिल कर लिया और इस गठबंधन का नाम भी बदल दिया जाए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वर्तमान में यूपीए का स्वरूप ऐसा है.
1. कांग्रेस (INC)
2. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)
3. राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
4. जनता दल सेक्यूलर (JDS)
5. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP)
6. नेशनल कांफ्रेंस (NC)
7. मालूम मिर्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDK)
UPA की ताकत, पहले से हैं मजबूत
कांग्रेस (INC): राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस पहली बार लोकसभा चुनावों में उतरने जा रही है. तीन राज्यों में मिली हालिया जीत पार्टी को संजीवनी मिली है. पिछले लोकसभा चुनाव में इसे 44 सीटें मिली थीं.
लोकसभा चुनाव 2019: वोटर लिस्ट में नाम है या नहीं, ऐसे करें चेक
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK): तमिलनाडु में विपक्ष में बैठने वाली इस पार्टी का भी एम. करुणानिधि के निधन के बाद यह पहले लोकसभा चुनाव होंगे. इसके मुखिया एमके स्टालिन हैं. पिछले चुनाव में इस पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी.
राष्ट्रीय जनता दल (RJD): लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद उनके बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में यह पहले लोकसभा चुनाव होंगे. इस पार्टी ने पिछली बार कुल 4 सीटें जीती थीं.
जनता दल सेक्यूलर (JDS): कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के मार्गदर्शन वाली इस पार्टी ने पिछले चुनावों में कुल 2 सीटें जीती थीं.
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP): महाराष्ट्र में दोबारा उभरने की तैयारी में लगी शरद पवार की अगुवाई वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में कुल 6 सीटें जीती थीं.
नेशनल कांफ्रेंस (NC): ओमार अब्दुल्ला की अगूवाई वाली जम्मू कश्मीर की इस पार्टी को पिछले चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी.
मालूमलर्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDK): वाइको के नेतृत्व वाली इस पार्टी को पिछले चुनाव में किसी सीट पर जीत नहीं मिली थीं. यह पार्टी तमिलनाडु में चुनाव लड़ती है.
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फडरल फ्रंट निभा सकता है निर्णायक भूमिका
लोकसभा चुनाव 2019 में फेडरल फ्रंड एक महती भूमिका निभा सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि माया-अखिलेश की जोड़ी के साथ ममता बनर्जी भी हैं. इसमें चंद्रबाबू नायडू के साथ जुड़ जाने के बाद यह गठबंधन एनडीए और बीजपी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. ऐसा खुद अमित शाह मानते हैं.
1. बहुजन समाज पार्टी (BSP)
2. समाजवादी पार्टी (SP)
3. तेलगू देशम पार्टी (TDP)
4. तृणमूल कांग्रेस (TMC)
5. राष्ट्रीय लोक दल (RLD)
6. असम गण परिषद (AGP)
फडरल फ्रंट की ताकत, मजबूत पार्टियों का गठबंधन
बहुजन समाज पार्टी (BSP): बसपा सुप्रीमो मायावती पिछले चुनाव में बुरी तरह गिरने के बाद अपनी राजनीतिक सूझबूझ से दोबारा उभरने में लगी है. उत्तर प्रदेश की 38 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी इस पार्टी को पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी.
समाजवादी पार्टी (SP): पारिवारिक विवाद के बाद अखिलेश यादव के नेतृत्व में पहली बार यह पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही है. उत्तर प्रदेश में व्यापक प्रभाव रखने वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में कुल 5 सीटें जीती थीं.
चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद इस तरह के काम नहीं कर सकती मोदी सरकार
तेलगू देशम पार्टी (TDP): आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2014 ने 16 सीटें जीती थीं. हालांकि पिछले बार यह एनडीए की हिस्सा थी. लेकिन एनडीए से बाहर आकर इसने एनडीए को तगड़ा झटका दिया था.
तृणमूल कांग्रेस (TMC): पश्चिम बंगाल में मजबूत पकड़ रखने वाली तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी हैं. पिछले चुनाव में टीएमसी को कुल 34 सीटें मिली थीं. फिलहाल बीजेपी इन्हें अपनी सबसे प्रबल विरोधी के रूप में देखती है.
राष्ट्रीय लोक दल (RLD): पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के यूपी से सटे हिस्सों में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी को पिछले चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थीं. चौधरी अजीत सिंह इसके सुप्रीमो हैं.
असम गण परिषद (AGP): प्रफुल्ल महंता की अगुवाई वाली इस पार्टी का प्रभाव असम में है. हालांकि पिछले चुनाव में यह पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
मोदी विरोधी अघोषित गठबंधन
लोसकभा चुनाव में कुछ पार्टियां ऐसी भी हैं जो कई मामलों में एक दूसरे से अलग सोच और नीति रखती हैं. लेकिन वे इस बात पर एकमत हैं कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हराना चाहिए. वे आपस में एक दूसरे के साथ खड़ी नजर आ रही हैं. ये रहीं वे पार्टियां-
1. आम आदमी पार्टी (AAP)
2. भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPM)
3. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP)
मोदी विरोधी अघोषित गठबंधन की ताकत
आम आदमी पार्टी (AAP): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में 4 लोकसभा सीटें जीती थीं. खुद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी में जाकर चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर रहे थे. साथ ही देशभर की करीबन ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश की थी. लेकिन इस बार पार्टी चुनिंदा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है.
भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPM): कांग्रेस के बाद देश की सार्वाधिक पुरानी इस पार्टी का नेतृत्व फिलहाल सीताराम येचुरी के हाथों में है. पिछली बार इस पार्टी ने कुल 9 सीटें जीती थीं.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP): जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली इस पार्टी ने पिछले बार 3 सीटें जीती थीं.
अलग-थलग पड़ी पार्टियों अघोषित गठबंधन
लोकसभा चुनाव 2019 में एक ऐसा राजनैतिक धड़ा भी है जो मौजूदा किसी गठबंधन से इत्तेफाक नहीं रखता. ये पार्टियां अपने ही तरह की राजनीति करती हैं और खासी मजबूत भी हैं. ये सभी अपने-अपने दम पर अच्छी खासी सीटें जीतने का माद्दा रखती हैं. लिहाजा ये सभी मिलकर अपने ही तरह का एक गठबंधन कर सकती हैं.
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1. तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS)
2. बीजू जनता दल (BJD)
3. भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (INLD)
4. वाईएसआर कांग्रेस
इस अघोषित गठबंधन की ताकत
तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS): हालिया विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने तेलंगाना से बीजेपी, कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन का सूपड़ा साफ कर दिया था. पिछले लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने कुल 11 सीटें जीती थीं. इसके मुखिया वर्तमान तेलंगाना मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव हैं.
बीजू जनता दल (BJD): ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में 20 सीटें जीती थीं. बीजेपी इन्हें भी अपना मजबूत विरोधी मानती है.
भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (INLD): ओमप्रकाश चौटाला की अगुवाई वाली अलग-थलग पड़ी यह पार्टी पंजाब और हरियाणा में व्यापाक प्रभाव रखती है. पिछले चुनाव में इसने 2 सीटें जीती थीं.
वाईएसआर कांग्रेस: जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली यह पार्टी एक समय में आंध्र प्रदेश की सरकार चलाती थीं. पिछले चुनाव में इसने कुल 6 सीटें जीती थीं. इस बार यह अलग-थलग पड़ी हुई है.
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हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में कुल पांच तरह के गठबंधन उभरे हैं. अबकी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) पूर्व घोषित में हैं तो समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP)के नेतृत्व वाला फेडरल फ्रंट भी मैदान में है. भले आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPM) ने साथ आने की घोषणा ना की हो पर वे किसी हाल में नरेंद्र मोदी को वापस नहीं आने देना चाहते. जबकि तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), बीजू जनता दल (BJD) और भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (INLD) जैसी खुद पर भरोसा रखने वाली पार्टियां हैं जो एक नया रास्ता बना सकती है. ऐसे में ये पांच गठबंधन हैं जो 2019 में प्रभावी होंगे.
1. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)
2. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA)
3. फेडरल फ्रंट
4. मोदी विरोधी पार्टियों का अघोषित गठबंधन
5. अलग-थलग पड़ी पार्टियों अघोषित गठबंधन
आइए, लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन और उनकी ताकतों जान लेते हैं.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का नया स्वरूप
देश की मौजूदा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार NDA की है. इसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी करती है. पिछले चुनावों की तुलना में इस बार इस NDA का स्वरूप बदल गया है. अबकी इसमें ये प्रमुख पार्टियां शामिल हैं.
1. भारतीय जनता पार्टी (BJP)
2. जनता दल (यूनाइटेड) JDU
3. शिव सेना
4. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP)
5. अपना दल
6. अकाली दल
7. ऑल इंडिया अन्ना द्रविण मुनेत्र कड़गम (AIADMK)
8. पताली मक्कल कांची (PMK)
NDA की ताकत, उत्तर से दक्षिण गहरी हैं जड़ें
भारतीय जनता पार्टी (BJP): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी अगुवाई करते हैं. अमित शाह इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पिछले चुनाव में इस पार्टी कुल 282 सीटें हासिल की थीं.
जनता दल यूनाइटेड (JDU): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पार्टी के मुखिया हैं. पिछले चुनाव में इस पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली थी.
चुनावों में प्रधानमंत्री को कैसे मिला विमान के इस्तेमाल का अधिकार
शिव सेनाः उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में कुल 18 सीटें जीती थीं. महाराष्ट्र में यह पार्टी मजबूत है.
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP): पिछले चुनाव में बिहार की 6 सीटें जीतने वाली इस पार्टी का नेतृत्व राम विलास पासवान करते हैं.
अपना दलः पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी की मुखिया अनुप्रिया पटेल हैं. पिछले चुनाव में इसने 2 सीटें जीती थीं.
अकाली दलः पंजाब में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी की अगुवाई प्रकाश सिंह बादल करते हैं. पिछले चुनाव में इस पार्टी ने 4 सीटें जीती थीं.
ऑल इंडिया अन्ना द्रविण मुनेत्र कड़गम(AIADMK): तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में 37 सीटें जीती थीं. जयललिता के निधन के बाद यह इस पार्टी का पहला लोकसभा चुनाव है.
पताली मक्कल कांची (PMK): तमिलनाडु में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव ने 1 सीट जीती थीं. इसके मुखिया एस रामादास हैं.
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) में हैं ये पार्टियां
यूपीए का नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) करती है. ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस ऐसे प्रयास कर रही है कि यूपीए में नरेंद्र मोदी के सभी विरोधियों को शामिल कर लिया और इस गठबंधन का नाम भी बदल दिया जाए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वर्तमान में यूपीए का स्वरूप ऐसा है.
1. कांग्रेस (INC)
2. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)
3. राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
4. जनता दल सेक्यूलर (JDS)
5. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP)
6. नेशनल कांफ्रेंस (NC)
7. मालूम मिर्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDK)
UPA की ताकत, पहले से हैं मजबूत
कांग्रेस (INC): राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस पहली बार लोकसभा चुनावों में उतरने जा रही है. तीन राज्यों में मिली हालिया जीत पार्टी को संजीवनी मिली है. पिछले लोकसभा चुनाव में इसे 44 सीटें मिली थीं.
लोकसभा चुनाव 2019: वोटर लिस्ट में नाम है या नहीं, ऐसे करें चेक
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK): तमिलनाडु में विपक्ष में बैठने वाली इस पार्टी का भी एम. करुणानिधि के निधन के बाद यह पहले लोकसभा चुनाव होंगे. इसके मुखिया एमके स्टालिन हैं. पिछले चुनाव में इस पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी.
राष्ट्रीय जनता दल (RJD): लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद उनके बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में यह पहले लोकसभा चुनाव होंगे. इस पार्टी ने पिछली बार कुल 4 सीटें जीती थीं.
जनता दल सेक्यूलर (JDS): कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के मार्गदर्शन वाली इस पार्टी ने पिछले चुनावों में कुल 2 सीटें जीती थीं.
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP): महाराष्ट्र में दोबारा उभरने की तैयारी में लगी शरद पवार की अगुवाई वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में कुल 6 सीटें जीती थीं.
नेशनल कांफ्रेंस (NC): ओमार अब्दुल्ला की अगूवाई वाली जम्मू कश्मीर की इस पार्टी को पिछले चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी.
मालूमलर्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDK): वाइको के नेतृत्व वाली इस पार्टी को पिछले चुनाव में किसी सीट पर जीत नहीं मिली थीं. यह पार्टी तमिलनाडु में चुनाव लड़ती है.
Lok Sabha Election 2019: जानें लंबे वक्त तक क्यों नहीं छूटती है चुनाव की स्याही
फडरल फ्रंट निभा सकता है निर्णायक भूमिका
लोकसभा चुनाव 2019 में फेडरल फ्रंड एक महती भूमिका निभा सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि माया-अखिलेश की जोड़ी के साथ ममता बनर्जी भी हैं. इसमें चंद्रबाबू नायडू के साथ जुड़ जाने के बाद यह गठबंधन एनडीए और बीजपी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. ऐसा खुद अमित शाह मानते हैं.
1. बहुजन समाज पार्टी (BSP)
2. समाजवादी पार्टी (SP)
3. तेलगू देशम पार्टी (TDP)
4. तृणमूल कांग्रेस (TMC)
5. राष्ट्रीय लोक दल (RLD)
6. असम गण परिषद (AGP)
फडरल फ्रंट की ताकत, मजबूत पार्टियों का गठबंधन
बहुजन समाज पार्टी (BSP): बसपा सुप्रीमो मायावती पिछले चुनाव में बुरी तरह गिरने के बाद अपनी राजनीतिक सूझबूझ से दोबारा उभरने में लगी है. उत्तर प्रदेश की 38 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी इस पार्टी को पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी.
समाजवादी पार्टी (SP): पारिवारिक विवाद के बाद अखिलेश यादव के नेतृत्व में पहली बार यह पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही है. उत्तर प्रदेश में व्यापक प्रभाव रखने वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में कुल 5 सीटें जीती थीं.
चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद इस तरह के काम नहीं कर सकती मोदी सरकार
तेलगू देशम पार्टी (TDP): आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2014 ने 16 सीटें जीती थीं. हालांकि पिछले बार यह एनडीए की हिस्सा थी. लेकिन एनडीए से बाहर आकर इसने एनडीए को तगड़ा झटका दिया था.
तृणमूल कांग्रेस (TMC): पश्चिम बंगाल में मजबूत पकड़ रखने वाली तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी हैं. पिछले चुनाव में टीएमसी को कुल 34 सीटें मिली थीं. फिलहाल बीजेपी इन्हें अपनी सबसे प्रबल विरोधी के रूप में देखती है.
राष्ट्रीय लोक दल (RLD): पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के यूपी से सटे हिस्सों में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी को पिछले चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थीं. चौधरी अजीत सिंह इसके सुप्रीमो हैं.
असम गण परिषद (AGP): प्रफुल्ल महंता की अगुवाई वाली इस पार्टी का प्रभाव असम में है. हालांकि पिछले चुनाव में यह पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
मोदी विरोधी अघोषित गठबंधन
लोसकभा चुनाव में कुछ पार्टियां ऐसी भी हैं जो कई मामलों में एक दूसरे से अलग सोच और नीति रखती हैं. लेकिन वे इस बात पर एकमत हैं कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हराना चाहिए. वे आपस में एक दूसरे के साथ खड़ी नजर आ रही हैं. ये रहीं वे पार्टियां-
1. आम आदमी पार्टी (AAP)
2. भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPM)
3. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP)
मोदी विरोधी अघोषित गठबंधन की ताकत
आम आदमी पार्टी (AAP): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में 4 लोकसभा सीटें जीती थीं. खुद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी में जाकर चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर रहे थे. साथ ही देशभर की करीबन ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश की थी. लेकिन इस बार पार्टी चुनिंदा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल
भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPM): कांग्रेस के बाद देश की सार्वाधिक पुरानी इस पार्टी का नेतृत्व फिलहाल सीताराम येचुरी के हाथों में है. पिछली बार इस पार्टी ने कुल 9 सीटें जीती थीं.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP): जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली इस पार्टी ने पिछले बार 3 सीटें जीती थीं.
अलग-थलग पड़ी पार्टियों अघोषित गठबंधन
लोकसभा चुनाव 2019 में एक ऐसा राजनैतिक धड़ा भी है जो मौजूदा किसी गठबंधन से इत्तेफाक नहीं रखता. ये पार्टियां अपने ही तरह की राजनीति करती हैं और खासी मजबूत भी हैं. ये सभी अपने-अपने दम पर अच्छी खासी सीटें जीतने का माद्दा रखती हैं. लिहाजा ये सभी मिलकर अपने ही तरह का एक गठबंधन कर सकती हैं.
Lok Sabha Election 2019: वोटिंग से कितने दिन पहले घोषित होती है लोकसभा चुनाव की तारीखें, पिछली बार क्या था हाल?
1. तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS)
2. बीजू जनता दल (BJD)
3. भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (INLD)
4. वाईएसआर कांग्रेस
इस अघोषित गठबंधन की ताकत
तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS): हालिया विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने तेलंगाना से बीजेपी, कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन का सूपड़ा साफ कर दिया था. पिछले लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने कुल 11 सीटें जीती थीं. इसके मुखिया वर्तमान तेलंगाना मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव हैं.
बीजू जनता दल (BJD): ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली इस पार्टी ने पिछले चुनाव में 20 सीटें जीती थीं. बीजेपी इन्हें भी अपना मजबूत विरोधी मानती है.
भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (INLD): ओमप्रकाश चौटाला की अगुवाई वाली अलग-थलग पड़ी यह पार्टी पंजाब और हरियाणा में व्यापाक प्रभाव रखती है. पिछले चुनाव में इसने 2 सीटें जीती थीं.
वाईएसआर कांग्रेस: जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली यह पार्टी एक समय में आंध्र प्रदेश की सरकार चलाती थीं. पिछले चुनाव में इसने कुल 6 सीटें जीती थीं. इस बार यह अलग-थलग पड़ी हुई है.
चुनाव के दौरान देश में सबसे ज्यादा पॉवरफुल होंगे यह शख्स, PM पर भी कार्रवाई का अधिकार
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