कौन हैं तिरुवल्लुवर, तमिलनाडु में जिनके नाम का सहारा लेती हैं पार्टियां
Agency:News18Hindi
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तिरुवल्लुवर (Thiruvalluvar) तमिलनाडु (Tamilnadu) के ऐसे कवि हैं, जिनके नाम, जन्म की तिथि, स्थान, परिवार और धर्म के बारे में कुछ भी पक्का नहीं है. उन्हें तमिल का कबीर भी कहा जाता है. यही कारण है कि ज्यादातर पार्टियां उन्हें या उनके विचारों से खुद को आसानी से जोड़ लेती हैं.

चेन्नई. देश में तमिलनाडु (Tamilnadu) उन राज्यों में से है, जहां बीजेपी को चाहकर भी अभी तक मनमाफिक कामयाबी नहीं मिली है. 2019 के चुनावों में जब पूरे देश में बीजेपी ने अपने प्रचंड वेग से जीत हासिल की, ऐसे में तमिलनाडु उन राज्यों में रहा जहां बीजेपी (BJP) का खाता नहीं खुला. इस राज्य में लोकसभा की 38 सीटें आती हैं. पुडुचेरी की एक सीट मिला दें तो ये आंकड़ा 39 हो जाता है. देश में सीटों के लिहाज ये पांचवें नंबर पर है. अब बीजेपी ने तमिलनाडु (Tamilnadu) पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है. यही कारण है कि कभी न कभी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के भाषणों में तमिलनाडु के कवियों या यहां से जुड़ी किसी बात का जिक्र मिल जाता है. इनमें एक नाम तमिलनाडु के प्राचीन कवि तिरुवल्लुवर (Thiruvalluvar) का है.
तिरुवल्लुवर (Thiruvalluvar) तमिलनाडु के ऐसे कवि हैं, जिनके नाम, जन्म की तिथि, स्थान, परिवार और धर्म के बारे में कुछ भी पक्का नहीं है. उन्हें तमिल का कबीर भी कहा जाता है. यही कारण है कि ज्यादातर पार्टियां उन्हें या उनके विचारों से खुद को आसानी से जोड़ लेती हैं. माना जाता है कि तिरुवल्लुवर दो हजार साल पहले चेन्नई (Chennai) के मायलापुर में कहीं रहते थे. उनके विचार तमिलनाडु में इस कदर लोकप्रिय हैं कि युवा भी उनके विचारों से खुद को आसानी से जोड़ लेते हैं. यही कारण है कि तमिलनाडु में सभी राजनीतिक पार्टियां और धार्मिक गुरु तिरुवल्लुवर की विरासत पर अपना अधिकार जताते हैं.
अभी हाल में तिरुवल्लुवर को लेकर उस समय विवाद उठ खड़ा हुआ, जब तमिलनाडु की बीजेपी इकाई ने अपने ट्विटर हैंडल पर तिरुवल्लुवर की केसरिया वस्त्रों में एक फोटो ट्वीट की. जिसमें तिरुवल्लुवर के माथे पर उसी तरह चंदन या राख दिखाई गई, जैसे अन्य महात्माओं के चित्रों में दिखाई जाती है. इसी दिन थाइलैंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवल्लुवर का लिखा तिरुक्कुरल का थाई संस्करण लॉन्च किया. ये विवाद उस समय और बढ़ गया, जब किसी ने तमिलनाडु के पिल्लायरपत्ती गांव में तिरुवल्लुवर की प्रतिमा पर कालिख पोत दी.
तिरुवल्लुवर (Thiruvalluvar) तमिलनाडु के ऐसे कवि हैं, जिनके नाम, जन्म की तिथि, स्थान, परिवार और धर्म के बारे में कुछ भी पक्का नहीं है. उन्हें तमिल का कबीर भी कहा जाता है. यही कारण है कि ज्यादातर पार्टियां उन्हें या उनके विचारों से खुद को आसानी से जोड़ लेती हैं. माना जाता है कि तिरुवल्लुवर दो हजार साल पहले चेन्नई (Chennai) के मायलापुर में कहीं रहते थे. उनके विचार तमिलनाडु में इस कदर लोकप्रिय हैं कि युवा भी उनके विचारों से खुद को आसानी से जोड़ लेते हैं. यही कारण है कि तमिलनाडु में सभी राजनीतिक पार्टियां और धार्मिक गुरु तिरुवल्लुवर की विरासत पर अपना अधिकार जताते हैं.
अभी हाल में तिरुवल्लुवर को लेकर उस समय विवाद उठ खड़ा हुआ, जब तमिलनाडु की बीजेपी इकाई ने अपने ट्विटर हैंडल पर तिरुवल्लुवर की केसरिया वस्त्रों में एक फोटो ट्वीट की. जिसमें तिरुवल्लुवर के माथे पर उसी तरह चंदन या राख दिखाई गई, जैसे अन्य महात्माओं के चित्रों में दिखाई जाती है. इसी दिन थाइलैंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवल्लुवर का लिखा तिरुक्कुरल का थाई संस्करण लॉन्च किया. ये विवाद उस समय और बढ़ गया, जब किसी ने तमिलनाडु के पिल्लायरपत्ती गांव में तिरुवल्लुवर की प्रतिमा पर कालिख पोत दी.
Thiruvalluvar was Saint not a DMK leader. He lived for universal values which are applicable for entire humanity & never favoured sectarian values. @mkstalin must desist from narrow interpretation of Saint Thiruvalluvar. DMK always betrayed Tamilians in last few decades for power pic.twitter.com/1MwV9NkVoA
— P Muralidhar Rao (@PMuralidharRao) November 4, 2019
रिटायर्ड तमिल प्रोफेसर वी अरासू ने NEWS18 से बातचीत में कहा, ''तिरुक्कुरल तमिल समाज की समृद्धि का प्रतीक है. तिरुवल्लुवर का संदेश प्रकृति से प्रेरित था, न कि धर्म या भगवान से प्रेरित था. उनके लिए प्रकृति ही सर्वोच्च और महत्वपूर्ण थी. चौथी और पांचवीं शताब्दी के बाद धार्मिक प्रभाव शुरू हुआ. इसका एक बड़ा कारण पुराना साहित्य है. 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश मिशनरी ने तिरुक्कुरल का ट्रांसलेशन इंग्लिश में कराया. द्रविड़ राजनीति के समय भी तिरुवल्लुवर के तिरुक्कुरल को बढ़ावा मिला. द्रविड़ राजनीति के पुरोधा पेरियार ने भी इसे मान्यता दी और कई बार अपने भाषणों में इसकी प्रशंसा की. डीएमके ने तिरुक्कुरल के संदेशों को पब्लिक बसों पर लिखकर इनका प्रचार किया.''
लेकिन आज भी तिरुवल्लुवर के जन्म और उनके विचारों पर विवाद जारी है. बीजेपी ने अभी हाल में तिरुवल्लुवर के एक विचार को शेयर करते हुए लिखा, ऐसी शिक्षा का क्या उपयोग, जिससे वह भगवान को बदनाम करने के काम आए और उनके मानने वाले को गुस्सा दिलाए. इसके बाद डीएमके और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इसके बाद ट्विटर पर #BJPInsultsThiruvalluvar ट्रेंड करने लगा.
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