गुजरात के पोरबंदर की एक अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 1997 के हिरासत में यातना मामले में बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष “संदेह से परे मामले को साबित नहीं” कर पाया.
IPS Sanjeev Bhatt Case: संजीव भट्ट को साल 1990 कस्टडी डेथ मामले में सजा सुनाई गई. मृतक के परिवार ने आरोप लगाया था कि हिरासत में लिए गए लोगों को लापरवाही से लाठियों से पीटा गया और उन्हें कोहनी के बल रेंगने जैसी कुछ हरकतें करने के लिए मजबूर किया गया. ...
एक अधिकारी ने बताया कि भट्ट को दंगों के संबंध में बेगुनाह लोगों को गलत तरीके से फंसाने की साजिश के एक मामले में 'ट्रांसफर वारंट' के जरिए गिरफ्तार किया गया है. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार के बा...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि एएमयू में मिनी इंडिया बसता है.
बर्ख़ास्त आईपीएस संजीव भट्ट (IPS Sanjeev Bhatt) के ख़िलाफ़ कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने अहमदाबाद पुलिस (Ahmadabad Police) को संजीव भट्ट के खिलाफ जांच करने के निर्देश दिए हैं.
आईपीएस संजीव भट्ट एक जमाने में गुजरात पुलिस के चर्चित अधिकारी रहे हैं. हालांकि वो उतने ही विवादास्पद भी रहे. कई साल पहले गुजरात सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था
भट्ट ने कहा कि उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा को इसलिए चुना था क्योंकि वह इसे एक ऐसे करियर के रूप में देखते थे जो उनके जीवन को एक अर्थ और गति देगा।
गुजरात के 1988 बैच के आईपीएस संजीव भट्ट को बर्खास्त कर दिया गया है। बर्खास्तगी के पीछे सरकार ने अनुशासनहीनता को आधार बनाया।
गुजरात के चर्चित आईपीएस ऑफिसर संजीव भट्ट महिला की सीडी को लेकर विवादों में हैं। इसे लेकर गुजरात सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया।
इस अफसर ने सरकार को चिट्ठी में साफ लिखा है कि भट्ट को कट्टरवादियों से जान का खतरा है और उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलनी चाहिए।