लड़के या मर्द आखिर क्यों करते हैं बलात्कार?
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Agency:News18India
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हाथरस सामूहिक बलात्कार व हत्याकांड (Hathras Gang Rape Case) के लगातार सुर्खियों में रहने और हाथरस में एक और बेटी से बलात्कार (Hathras Rape Case) की वारदात सामने आने के बाद भी क्या आपके मन में ये सवाल नहीं उठता? क्या आपने जवाब खोजा?

सब ताकत का खेल (Power Game) है. बलात्कार शब्द का अर्थ ही 'बलपूर्वक किया जाने वाला काम' है. लेकिन, इसे समझना इतना आसान भी नहीं है. सामाजिक से लेकर मनोवैज्ञानिक कारणों (Psychology of Rape) तक की पड़ताल ज़रूरी है कि आखिर आदमी किसी औरत पर बलात्कार क्यों करते हैं. जैसा कि मशहूर वैज्ञानिक फ्रायड (Sigmond Freud) ने कहा था कि 'शरीर का विज्ञान ही आपकी नियति/किस्मत है' (Anatomy is Destiny). तो क्या सिर्फ शरीर के स्तर पर ही इस सवाल का जवाब मिल सकता है या मन और व्यवस्था में भी रेप के कुछ सूत्र छुपे हैं?
रेप करने के कारणों के बारे में चर्चा से पहले कुछ बातें स्पष्ट हो जाना बहुत ज़रूरी हैं. एक तो ये किसी समाज या पद या वर्ग विशेष के लोगों से यह अपराध या मनोवृत्ति नहीं जुड़ी है. अनपढ़ से लेकर विद्वान, गरीब से लेकर अमीर तक और किसी भी धर्म, जाति या नस्ल के अंतर से कोई अंतर नहीं पड़ता, हर जगह यह अपराध देखा जाता है. इसके बावजूद, भारत में रेप (Rape in India) के कारणों में सामाजिक पहलू कुछ अलग किस्म के हो जाते हैं. सबसे पहले रेप से जुड़ी कुछ गलतफहमियों के बारे में जानें.
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1. ना का मतलब हां! मर्दों की मानसिकता यह है कि लड़की तो 'ना' ही कहेगी, आपको ज़बरदस्ती ना को हां में बदलना चाहिए.
2. महिलाओं को मर्द का ताकत इस्तेमाल करना अच्छा लगता है यानी औरतें इसे मर्दानगी समझकर मर्द की इज़्ज़त करती हैं.
3. जो औरतें शराब या सिगरेट पीती हैं, बाहर खुलकर घूमती हैं, उन्हें नये नये एक्सपेरिमेंट करना पसंद होता है.
4. औरत अस्ल में मर्द की जायदाद होती है इसलिए वो मर्द का विरोध नहीं कर सकती.
इस तरह की तमाम बातें 'प्रो रेप' मानसिकता के लोगों ने कई बार स्वीकारी हैं और कई शोधों में इनका ज़िक्र है. वागेश्वरी के लेख में स्पष्ट शब्दों में कहा गया कि कई बार तो बलात्कार की शिकार लड़की या औरत को पता ही नहीं होता कि उसके साथ यह क्यों हुआ. बहरहाल, ऐसी घटनाओं से जुड़ी कई सूचनाएं मिलती रही हैं, यहां हम पुरुष से जुड़े कारणों के बारे में चर्चा करते हैं.
क्या कहता है मनोविज्ञान?
विज्ञान में इस सवाल के वैज्ञानिक जवाब की परंपरा फ्रायड के शोधों से शुरू होती है. 'एनाटमी इज़ डेस्टिनी' के सिद्धांत में फ्रायड की थ्योरी को समझें तो प्राकृतिक तौर पर पुरुष में शारीरिक ताकत ज़्यादा होती है इसलिए वह इस बल के प्रयोग से नहीं हिचकता. इसे फ्रायडवादियों ने 'नेचर' तक कहकर परिभाषित किया. दूसरी थ्योरी कहती है कि सेक्स के साथ हिंसा का स्वाभाविक रिश्ता रहा है.
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मनोविज्ञान आधारित पोर्टल के एक लेख की मानें तो मनोवैज्ञानिक तौर पर, सेक्स के साथ हिंसा का प्राकृतिक संबंध रहा है. भाषा में भी आप इसके उदाहरण देख सकते हैं. 'जीतना, हारना और समर्पण कर देना या बाज़ी मारना' जैसी शब्दावली सेक्स के साथ जुड़ती है, जो साफ तौर पर बहादुरी, मर्दानगी या युद्धवीर तरह की मानसिकता से जुड़ती है. इसी मानसिकता का एक नतीजा गालियों में दिखता है और भद्दी गालियां 'मां या बहन' के शब्दों के साथ जुड़ती हैं.
सामाजिक कारण क्या हो सकते हैं?
निर्भया केस रहा हो, या ताज़ा हाथरस गैंग रेप मामला, भारतीय संदर्भ में एक बहुत कॉमन बात यह निकलकर हर बार आती ही है कि लड़कियां कपड़े उत्तेजक पहनती हैं या फिर लड़कों को उकसाने वाली हरकतें करती हैं. बलात्कार को जायज़ ठहराने के लिए मर्दों की दुनिया के पास कई तरह जस्टिफिकेशन बहुत आसानी से मिलते हैं. समाज के संदर्भों में कुछ कारणों को समझना बेहद ज़रूरी है.
* महिला के साथ सेक्स उसकी और उसके परिवार की इज़्ज़त से जुड़ा है इसलिए महिला के साथ बलात्कार करने से एक पूरे परिवार से बदला लेने या सबक सिखाने जैसी अवधारणा जुड़ी है.
* नियंत्रण करना, अपनी मर्ज़ी से चलाना या फिर अपनी हुकूमत चलाने जैसी भावनाओं के कारण रेप वर्चस्व की लड़ाई में प्रमुख हथियार बनता है. यह गांवों की मामूली लड़ाइयों से लेकर विश्व युद्ध तक दिखा है.
* सेक्स एजुकेशन का अभाव एक बड़ा कारण है. दूसरे शब्दों में लड़कों की परवरिश गलत मानसिकता के साथ किया जाना लड़कियों को एक असुरक्षित समाज देने की बड़ी वजह है.
* कानून और अपराध के बारे में पूरी और गंभीर समझ की कमी एक महत्वपूर्ण वजह है. अब इन कारणों को ज़रा बारीकी से समझते हैं.
विशेषज्ञों की राय क्या है?
रेप के अपराधियों, उन अपराधियों से जुड़े लोगों के साथ लंबे समय तक बातचीत करने के बाद निकले निष्कर्षों के आधार पर तारा कौशल की किताब 'व्हाय मैन रेप' कई पहलुओं को उघाड़ती है. कौशल के हिसाब से कई मामलों में पुरुषों को पता ही नहीं था कि रेप क्या होता है! जी हां, औरत से ज़बरदस्ती करना उनके लिए इतना आसान और मामूली बात थी. यही नहीं, इस किताब में कौशल ने एक जगह दर्ज किया है कि आक्रामक रवैये से औरत को अपनी जायदाद समझना सच्चे प्यार की निशानी तक मानने वाले पुरुष भी हैं.
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कौशल ने दो और मुख्य बातें किताब में उकेरीं. एक प्रमुख सामाजिक कारण यह है कि जिस समाज के लोग प्रताड़ित, शोषित और कुंठित रहे हैं, अपने गुस्से, खीझ और कुढ़न को निकालने के लिए वो एक रास्ता खोजते हैं और रेप का कारण बनता है. दूसरा प्रमुख पहलू यह भी है कि जिस समाज को आप बेसिक शिक्षा और समझ तक नहीं दे सके हैं, उसके हाथों में इंटरनेट पर तकरीबन मुफ्त अनलिमिटेड पॉर्न दे दिया गया है. तो, यह गुस्सा और पॉर्न जो मानसिक समीकरण बनाते हैं, जिसे समझना ज़रूरी है.
अध्ययन क्या कहते हैं?
यही नहीं, बलात्कार के आरोपियों के साथ बातचीत पर आधारित शोध करने वाली क्रिमिनोलॉजी की लेक्चरर मधुमिता पांडेय ने एक केस के बारे में बताया था. साल 2010 में पांच साल की बच्ची से रेप के दोषी 23 साल के कैदी ने पांडेय को बताया था कि उस भिखारन बच्ची ने उसे गलत तरह से छूकर उकसाया. उसकी मां के चरित्र को लेकर भी उसने ठीक बातें नहीं सुनी थीं इसलिए उसने सबक सिखाने के लिए रेप किया. इस तरह का जस्टिफिकेशन कई केसों में देखा गया.
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पांडेय की स्टडी में कुछ प्रश्नोत्तरियों के ज़रिये अपराधियों के मन को समझा गया था. उन्होंने पाया था कि रेप के अपराधियों में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता बहुत कम और अपनी शारीरिक ताकत को लेकर एक घमंड ज़्यादा था. इस स्टडी में एक खास बात यह भी सामने आई कि कई अपराधी रेप की ज़्यादा से ज़्यादा सज़ा ये मान बैठे थे कि उन्हें उस लड़की से शादी करने को कहा जाएगा. बहरहाल, पांडेय के शब्दों में रेप का अपराध जटिल मानसिकता वाला है, इसे हर केस में अलग सिरे से समझना होता है.
बात साफ है, कि ये कारण एक तस्वीर पेश करते हैं, लेकिन इनके अलावा भी और कई कारण हो सकते हैं. समाज और बड़ी आबादी का मन जहां विषय हो, वहां विज्ञान कई बार सारे जवाब नहीं दे पाता. जैसे फ्रायडवादियों के 'नेचर' के सिलसिले में न्यूटन का तीसरा सिद्धांत 'हर क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है', क्या लागू होता है?
रेप करने के कारणों के बारे में चर्चा से पहले कुछ बातें स्पष्ट हो जाना बहुत ज़रूरी हैं. एक तो ये किसी समाज या पद या वर्ग विशेष के लोगों से यह अपराध या मनोवृत्ति नहीं जुड़ी है. अनपढ़ से लेकर विद्वान, गरीब से लेकर अमीर तक और किसी भी धर्म, जाति या नस्ल के अंतर से कोई अंतर नहीं पड़ता, हर जगह यह अपराध देखा जाता है. इसके बावजूद, भारत में रेप (Rape in India) के कारणों में सामाजिक पहलू कुछ अलग किस्म के हो जाते हैं. सबसे पहले रेप से जुड़ी कुछ गलतफहमियों के बारे में जानें.
ये भी पढ़ें :- क्या गलवान वैली फेसऑफ में चीनी वर्दी में पाकिस्तानी सैनिक थे?
1. ना का मतलब हां! मर्दों की मानसिकता यह है कि लड़की तो 'ना' ही कहेगी, आपको ज़बरदस्ती ना को हां में बदलना चाहिए.
2. महिलाओं को मर्द का ताकत इस्तेमाल करना अच्छा लगता है यानी औरतें इसे मर्दानगी समझकर मर्द की इज़्ज़त करती हैं.
3. जो औरतें शराब या सिगरेट पीती हैं, बाहर खुलकर घूमती हैं, उन्हें नये नये एक्सपेरिमेंट करना पसंद होता है.
4. औरत अस्ल में मर्द की जायदाद होती है इसलिए वो मर्द का विरोध नहीं कर सकती.
न्यूज़18 इलस्ट्रेशन
इस तरह की तमाम बातें 'प्रो रेप' मानसिकता के लोगों ने कई बार स्वीकारी हैं और कई शोधों में इनका ज़िक्र है. वागेश्वरी के लेख में स्पष्ट शब्दों में कहा गया कि कई बार तो बलात्कार की शिकार लड़की या औरत को पता ही नहीं होता कि उसके साथ यह क्यों हुआ. बहरहाल, ऐसी घटनाओं से जुड़ी कई सूचनाएं मिलती रही हैं, यहां हम पुरुष से जुड़े कारणों के बारे में चर्चा करते हैं.
क्या कहता है मनोविज्ञान?
विज्ञान में इस सवाल के वैज्ञानिक जवाब की परंपरा फ्रायड के शोधों से शुरू होती है. 'एनाटमी इज़ डेस्टिनी' के सिद्धांत में फ्रायड की थ्योरी को समझें तो प्राकृतिक तौर पर पुरुष में शारीरिक ताकत ज़्यादा होती है इसलिए वह इस बल के प्रयोग से नहीं हिचकता. इसे फ्रायडवादियों ने 'नेचर' तक कहकर परिभाषित किया. दूसरी थ्योरी कहती है कि सेक्स के साथ हिंसा का स्वाभाविक रिश्ता रहा है.
ये भी पढ़ें :- भारतीय नेवी में हीरो रहा आईएनएस विराट टुकड़े टुकड़े हो जाएगा या बचेगा?
मनोविज्ञान आधारित पोर्टल के एक लेख की मानें तो मनोवैज्ञानिक तौर पर, सेक्स के साथ हिंसा का प्राकृतिक संबंध रहा है. भाषा में भी आप इसके उदाहरण देख सकते हैं. 'जीतना, हारना और समर्पण कर देना या बाज़ी मारना' जैसी शब्दावली सेक्स के साथ जुड़ती है, जो साफ तौर पर बहादुरी, मर्दानगी या युद्धवीर तरह की मानसिकता से जुड़ती है. इसी मानसिकता का एक नतीजा गालियों में दिखता है और भद्दी गालियां 'मां या बहन' के शब्दों के साथ जुड़ती हैं.
सामाजिक कारण क्या हो सकते हैं?
निर्भया केस रहा हो, या ताज़ा हाथरस गैंग रेप मामला, भारतीय संदर्भ में एक बहुत कॉमन बात यह निकलकर हर बार आती ही है कि लड़कियां कपड़े उत्तेजक पहनती हैं या फिर लड़कों को उकसाने वाली हरकतें करती हैं. बलात्कार को जायज़ ठहराने के लिए मर्दों की दुनिया के पास कई तरह जस्टिफिकेशन बहुत आसानी से मिलते हैं. समाज के संदर्भों में कुछ कारणों को समझना बेहद ज़रूरी है.
एक स्टडी में कहा गया कि कई मामलों में औरतों का समझ ही नहीं आता कि उनके साथ ये अपराध क्यों किया गया.
* महिला के साथ सेक्स उसकी और उसके परिवार की इज़्ज़त से जुड़ा है इसलिए महिला के साथ बलात्कार करने से एक पूरे परिवार से बदला लेने या सबक सिखाने जैसी अवधारणा जुड़ी है.
* नियंत्रण करना, अपनी मर्ज़ी से चलाना या फिर अपनी हुकूमत चलाने जैसी भावनाओं के कारण रेप वर्चस्व की लड़ाई में प्रमुख हथियार बनता है. यह गांवों की मामूली लड़ाइयों से लेकर विश्व युद्ध तक दिखा है.
* सेक्स एजुकेशन का अभाव एक बड़ा कारण है. दूसरे शब्दों में लड़कों की परवरिश गलत मानसिकता के साथ किया जाना लड़कियों को एक असुरक्षित समाज देने की बड़ी वजह है.
* कानून और अपराध के बारे में पूरी और गंभीर समझ की कमी एक महत्वपूर्ण वजह है. अब इन कारणों को ज़रा बारीकी से समझते हैं.
विशेषज्ञों की राय क्या है?
रेप के अपराधियों, उन अपराधियों से जुड़े लोगों के साथ लंबे समय तक बातचीत करने के बाद निकले निष्कर्षों के आधार पर तारा कौशल की किताब 'व्हाय मैन रेप' कई पहलुओं को उघाड़ती है. कौशल के हिसाब से कई मामलों में पुरुषों को पता ही नहीं था कि रेप क्या होता है! जी हां, औरत से ज़बरदस्ती करना उनके लिए इतना आसान और मामूली बात थी. यही नहीं, इस किताब में कौशल ने एक जगह दर्ज किया है कि आक्रामक रवैये से औरत को अपनी जायदाद समझना सच्चे प्यार की निशानी तक मानने वाले पुरुष भी हैं.
ये भी पढ़ें :- सैंपल जांच में स्पर्म न मिले तो क्या रेप होना नहीं माना जाएगा? क्या कहता है कानून?
कौशल ने दो और मुख्य बातें किताब में उकेरीं. एक प्रमुख सामाजिक कारण यह है कि जिस समाज के लोग प्रताड़ित, शोषित और कुंठित रहे हैं, अपने गुस्से, खीझ और कुढ़न को निकालने के लिए वो एक रास्ता खोजते हैं और रेप का कारण बनता है. दूसरा प्रमुख पहलू यह भी है कि जिस समाज को आप बेसिक शिक्षा और समझ तक नहीं दे सके हैं, उसके हाथों में इंटरनेट पर तकरीबन मुफ्त अनलिमिटेड पॉर्न दे दिया गया है. तो, यह गुस्सा और पॉर्न जो मानसिक समीकरण बनाते हैं, जिसे समझना ज़रूरी है.
न्यूज़18 इलस्ट्रेशन
अध्ययन क्या कहते हैं?
यही नहीं, बलात्कार के आरोपियों के साथ बातचीत पर आधारित शोध करने वाली क्रिमिनोलॉजी की लेक्चरर मधुमिता पांडेय ने एक केस के बारे में बताया था. साल 2010 में पांच साल की बच्ची से रेप के दोषी 23 साल के कैदी ने पांडेय को बताया था कि उस भिखारन बच्ची ने उसे गलत तरह से छूकर उकसाया. उसकी मां के चरित्र को लेकर भी उसने ठीक बातें नहीं सुनी थीं इसलिए उसने सबक सिखाने के लिए रेप किया. इस तरह का जस्टिफिकेशन कई केसों में देखा गया.
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पांडेय की स्टडी में कुछ प्रश्नोत्तरियों के ज़रिये अपराधियों के मन को समझा गया था. उन्होंने पाया था कि रेप के अपराधियों में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता बहुत कम और अपनी शारीरिक ताकत को लेकर एक घमंड ज़्यादा था. इस स्टडी में एक खास बात यह भी सामने आई कि कई अपराधी रेप की ज़्यादा से ज़्यादा सज़ा ये मान बैठे थे कि उन्हें उस लड़की से शादी करने को कहा जाएगा. बहरहाल, पांडेय के शब्दों में रेप का अपराध जटिल मानसिकता वाला है, इसे हर केस में अलग सिरे से समझना होता है.
बात साफ है, कि ये कारण एक तस्वीर पेश करते हैं, लेकिन इनके अलावा भी और कई कारण हो सकते हैं. समाज और बड़ी आबादी का मन जहां विषय हो, वहां विज्ञान कई बार सारे जवाब नहीं दे पाता. जैसे फ्रायडवादियों के 'नेचर' के सिलसिले में न्यूटन का तीसरा सिद्धांत 'हर क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है', क्या लागू होता है?
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